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हथियारों के व्यापार में अंधाधुंध बढ़ोत्तरी

२१ फ़रवरी २०११

एक तरफ नौकरियां जा रही हैं, सरकारें खर्चे कम कर रही हैं. दूसरी तरफ हथियारों की बिक्री और व्यापार बढ़ता जा रहा है. 2009 में दुनिया भर में 401 अरब डॉलर के हथियार बेचे गए. बिक्री पर मंदी जैसी रुकावटों का भी असर नहीं पड़ा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

दुनिया में हथियार बेचने वाली टॉप 100 कंपनियों में 45 अमेरिका और 33 पश्चिमी यूरोप की है. स्वीडन की एक रिसर्च संस्था के मुताबिक हथियार बाजार के 90 फीसदी से ज्यादा हिस्से पर अमेरिका और पश्चिमी यूरोप की कंपनियों की पकड़ है.

स्वीडन की संसद ने 1966 में सिप्री नाम की रिसर्च संस्था बनाई. संस्था दुनिया भर में सैन्य गतिविधियों पर हो रहे खर्च और विवादों पर वार्षिक रिपोर्ट जारी करती है. सिप्री के आर्म इंडस्ट्री एक्सपर्ट सुजान जैक्सन कहते हैं, ''अमेरिकी सरकार का सेना और सैन्य साजो सामान पर खर्च मुख्य कारण बना हुआ है. कंपनियां अमेरिकी सेना को बड़े बाजार की तरह देखती है.''

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हथियारों से भरता अंतरिक्षतस्वीर: Lockheed-Martin

टॉप 100 हथियार कंपनियों में भारत समेत एशिया की भी 10 कंपनियां हैं. इनमें से चार जापान, तीन भारतीय, दो दक्षिण कोरिया और एक सिंगापुर की है. रिसर्च संस्था सिप्री के मुताबिक चीन की कंपनियां भी हथियार बेचने में काफी आगे हैं, लेकिन कड़ी नीतियों के कारण चीनी कंपनियों के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पा रही है.

रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक मंदी के बावजूद हथियारों की बिक्री में कोई गिरावट नहीं देखी गई. सिप्री के मुताबिक 2009 में हथियारों की बिक्री करीब आठ फीसदी की दर से बढ़ी. अत्याधुनिक हवाई और रक्षा उपकरण बनाने वाली अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन सबसे ऊपर है. दूसरे नंबर पर ब्रिटिश कंपनी बीएई है. तीसरे स्थान पर पर विमान कंपनी बोईंग हैं. 30 फीसदी बाजार पर फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नॉर्व, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन की कंपनियां है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: आभा एम

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