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भारत में असामान्य परिस्थितियों में इच्छा मृत्यु संभव

७ मार्च २०११

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के चलते भारत अब उन देशों में शामिल हो गया है, जहां किसी न किसी रूप में इच्छामृत्यु की अनुमति है. अब तक यह कानूनी रूप से पूरी तरह प्रतिबंधित था.

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तस्वीर: cc-by-nc-sa roop1977

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि कुछ "असामान्य परिस्थितियों में" निष्क्रिय इच्छामृत्यु या यूथेनेसिया की अनुमति दी जा सकती है. इस फैसले के बाद भारत अब दुनिया के उन चंद देशों में शामिल हो गया है, जहां किसी न किसी रूप में यूथेनेसिया को कानूनी मान्यता मिली हुई है.

जस्टिस मार्कंडेय काटजू और जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्र की खंडपीठ ने अरुणा रामचंद्र शानबाग के लिए की गई इच्छा मृत्यु की अपील खारिज करते हुए कहा कि एक्टिव यूथेनेसिया गैरकानूनी है लेकिन असामान्य परिस्थितियों में पैसिव मर्सी यूथेनेसिया को अनुमति दी जा सकती है. एक्टिव यूथेनेसिया के तहत गंभीर रूप से बीमार मरीज को कोई इंजेक्शन दिया जाता है जबकि पैसिव यूथेनेसिया के अंतर्गत जीवन रक्षक प्रणाली के उपकरण हटा लिए जाते हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अरुणा के मामले में तथ्यों और हालात, चिकित्सा साक्ष्य और बाकी जानकारी से पता चलता है कि पीड़ित को इच्छा मृत्यु की जरूरत नहीं है. हालांकि खंडपीठ ने यह भी कहा कि चूंकि देश में गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए इच्छा मृत्यु से जुड़ा कोई कानून नहीं है लेकिन असामान्य परिस्थितियों में कोमा में पड़े मरीजों को पैसिव यूथेनेसिया दिया जा सकता है.

बेंच ने यह भी साफ किया कि जब तक संसद इस बारे में कोई कानून नहीं बनाती, यह फैसला एक्टिव और पैसिव यूथेनेसिया दोनों ही तरीकों पर लागू रहेगा.

नर्स रहीं अरुणा 60 साल की हैं. 27 नवंबर 1973 को मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में स्टाफ के ही एक सदस्य ने अरुणा पर हमला कर, उनका गला कुत्ते को बांधने वाली चेन से कस दिया और उनके साथ दुराचार किया. इस हमले के कारण अरुणा के मस्तिष्क में चोट पहुंची और वह कोमा में चली गईं.

पिंकी वीरानी ने अरुणा के लिए इच्छा मृत्यु की याचिका दायर की. वीरानी के मुताबिक गले पर चेन कसने के कारण अरुणा के मस्तिष्क को ऑक्सीजन मिलना बंद हो गया और उनके कॉरटेक्स को क्षति पहुंची.

वीरानी की याचिका में कहा गया कि इस घटना के 37 साल बाद अरुणा का वजन बहुत कम हो गया है और उनकी हड्डियां नाजुक हो गई हैं. अरुणा के शरीर में कोई हलचल नहीं है. उनका मस्तिष्क मर चुका है और बाहरी दुनिया के बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है.

बहस के दौरान सरकार ने कहा कि वैधानिक और संवैधानिक दोनों ही में इच्छा मृत्यु की अनुमति नहीं है.

निष्क्रिय इच्छामृत्यु का मतलब चिकित्सा बंद कर देना हो सकता है. मिसाल के तौर पर, अगर किसी मरीज को डायलिसीस की जरूरत हो और उसे देना बंद कर दिया जाए, तो इसे निष्क्रिय इच्छामृत्यु कहा जाएगा. इसके विपरीत सक्रिय इच्छामृत्यु के तहत चंगा न हो सकने लायक वृद्ध रोगी को उसकी सहमति से कोई विषैला पदार्थ दिया जाता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: महेश झा

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