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धरती से बाहर के जीवाष्म पर वैज्ञानिक विवाद

८ मार्च २०११

क्या धरती पर गिरे उल्कापिंड में अंतरिक्ष के किसी जीवाणु का जीवाष्म मिला था नासा के वैज्ञानिक रिचर्ड हूवर ने ऐसा दावा किया था?. अब उनके साथी वैज्ञानिकों ने इसका खंडन किया है.

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उल्कापिंडों के साथ आए जीवाष्म?तस्वीर: AP

इंटरनेट पर उपलब्ध पत्रिका जर्नल ऑफ कॉस्मोलॉजी में अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान नासा के वैज्ञानिक हूवर ने अपने "शोध" का परिणाम प्रस्तुत किया था. इसमें कहा गया था कि उन्होंने कई ऐसे उल्कापिंडों का परीक्षण किया, जिनमें जल और कार्बनिक तत्वों की पर्याप्त मात्रा पाई जाती हैं. फील्ड एमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी, या फेसेम के जरिए उन्होंने इन्हें जांचा और उन्होंने बैक्टीरिया जैसे जीवों के अवशेष मिले. हूवर इन्हें "स्थानीय जीवाष्म" कहते हैं और उनका दावा है कि धरती पर गिरने से पहले ही ये जीवाष्म इन उल्कापिंडों में मौजूद थे.

नासा के ऐस्ट्रोबायोलॉजी इंस्टिट्यूट के निदेशक कार्ल पिल्चर ने इस सिलसिले में कहा है कि रिचर्ड हूवर नासा के कर्मचारी हैं और वे एलाबामा प्रदेश में संस्थान की सोलर फिजिक्स शाखा की एक प्रयोगशाला में काम करते हैं. उन्होंने कहा, "हूवर एक अरसे से ऐसे दावे किए जा रहे हैं. मुझे पता नहीं है कि अन्य शोधकर्ता उनके इस दावे से सहमत हैं कि ये जीव उल्कापिंडों के गिरने से पहले ही उनमें मौजूद थे और धरती में संक्रमण के परिणाम नहीं हैं."

पिल्चर ने कहा कि इसकी सबसे सरल व्याख्या यही है कि इन उल्कापिंडों में जीवाणु पाए गए हैं, जो धरती के जीवाणु हैं, यानी उनका संक्रमण हुआ है. इस सिलसिले में उन्होंने ध्यान दिलाया है कि जिन उल्कापिंडों का परीक्षण किया गया है, वे 100 से 200 साल पहले धरती पर गिरे थे. वे इंसानों के संपर्क में आए हैं, इसलिए माना जा सकता है कि उनमें जीवाणुओं का संक्रमण हुआ है.

वाशिंगटन में नासा के साइंस मिशन डायरेक्टोरेट के मुख्य वैज्ञानिक पॉल हर्त्ज ने एक वक्तव्य में कहा है कि नासा हूवर के दावों का समर्थन नहीं करता है. उन्होंने कहा कि वे वैज्ञानिक खोज के अंग के रूप में विचारों, आंकड़ों और सूचनाओं के मुक्त आदान प्रदान को महत्व देते हैं, लेकिन दूसरे विशेषज्ञों द्वारा जांच के बिना ऐसे दावों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के स्तर पर हूवर के अध्ययन की जांच नहीं हुई है.

कुछ वैज्ञानिक हूवर के अध्ययन को गंभीरता से ले रहे हैं. जर्नल ऑफ कॉस्मोलॉजी के संपादन विभाग के चंद्रा विक्रमसिंघे का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि हूवर ने जो तस्वीरें पेश की है वे जाली हैं. ऐसी हालत में वह इन्हें संक्रमित जीवाणु नहीं मानते. विक्रमसिंघे ने कहा कि अगर हूवर की मान्यताएं स्वीकार की जाएं तो धरती पर जीवन के आंरभ की धारणाएं बदलनी पड़ेंगी. उन्होंने कहा कि रूस और यूरोप के चार जिओलॉजिस्टों ने हूवर के अध्ययन की जांच की थी और उनमें से तीन की प्रतिक्रियाएं सकारात्मक थीं.

पत्रिका की ओर से हूवर के अध्ययन के समर्थन और विरोध में विशेषज्ञों की राय मांगी गई है. ऐसी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एस गौड़

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