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भारतीय राजनीति में लव का तड़का

१८ मई २०११

वैसे तो वह तमिल फिल्मों के मेकअप आर्टिस्ट हैं लेकिन अब राजनीति से जुड़ गए हैं और भारत की राजनीति में थोड़ा प्यार मोहब्बत घोल देना चाहते हैं. उन्होने इंडियन लवर्स पार्टी बना दी है और चुनावों में भी खड़े हो रहे हैं.

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तस्वीर: AP

अपनी शादी में आई दिक्कतों को देखते हुए कुमार ने 2008 में एक ऐसी पार्टी बना दी, जिसका उद्देश्य उन प्रेमी जोड़ों को मिलाना था, जिनके मां बाप रिश्ते के लिए राजी नहीं होते. भारत में आम तौर पर मां बाप की सहमित से ही शादी होती है. ऐसा नहीं होने पर कई बार उन्हें परिवार से निकाल दिया जाता है और कई बार तो वे ऑनर किलिंग के शिकार हो जाते हैं.

इंडियन लवर्स पार्टी (आईएलपी) की कोशिश है कि बिना परिवार के समर्थन के रह रहे ऐसे जोड़ों को समाज में उचित जगह मिले और उन्हें आर्थिक मदद भी मिले. चेन्नई के एक छोटे से कमरे को कुमार ने अपनी पार्टी का मुख्यालय बना रखा है, जहां चारों तरफ पोस्टर चिपके हैं. वह गर्व से बताते हैं कि तरह उन्होंने 25 जोड़ों की शादी में मदद की.

कुमार का कहना है, "हमारी कोशिश होगी कि हम 2014 के लोकसभा चुनावों में कम से कम 10 लोगों को अपनी पार्टी से लोकसभा तक पहुंचाएं. मैं चाहता हूं कि मेरे मरने के बाद भी लोग जानें कि मैंने आईएलपी का गठन किया है."

अभिनेता बनने की चाह

35 साल के कुमार पहले अभिनेता बनना चाहते थे. 1989 में स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ने के बाद उन्होंने तमिल फिल्मों के गढ़ चेन्नई का रुख कर लिया. उनका कहना है, "जब मैंने गांव छोड़ा था, तभी कह दिया था कि यदि मैं बड़ा स्टार बन जाऊंगा तभी लौटूंगा नहीं तो नहीं लौटूंगा."

शुरू के दिनों में उन्होंने एक होटल में वेटर का काम करना शुरू किया और बाद में उन्हें एक फिल्मी स्टूडियो में मेक अप आर्टिस्ट की नौकरी मिल गई. इसी दौरान उनकी अपनी होने वाली बीवी मंगादेवी से मुलाकात हो गई.

मंगादेवी हंसते हुए बताती हैं कि किस तरह कुमार उनके पिता के पास आते थे और बातचीत करके वहीं से लौट जाते थे. आखिर एक दिन उन्होंने अपने प्यार का इजहार कर ही दिया. अब शादी की बारी थी. उन्होंने 10 साल तक कुमार के परिवार वालों को राजी करने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

दहेज का विरोध

कुमार का कहना है,"हमारे परिवार वाले मोटा दहेज चाहते थे. वह चाहते थे कि कोई उन्हें दो लाख या पांच लाख रुपये दे." जब परिवार की रजामंदी नहीं मिली, तो कुमार ने उन्हें बताए बिना ही शादी कर ली. कुमार का कहना है, "मुझे पता चला कि प्रेमी जोड़ों को किस तरह की दिक्कत होती है. उनके परिवार वाले चाहते हैं कि वे अपनी बिरादरी में शादी करें और उन्हें शादी से पैसे मिलें."

कुमार बताते हैं, "जब मैंने लोगों से बताया कि वह लवर्स पार्टी बनाना चाहते हैं तो लोग उन पर हंसते थे. लेकिन मुझे पता था कि देश में लाखों लोग हैं, जो उन्हें वोट देंगे." पार्टी के करीब 20 सदस्य पोस्टरों को चिपकाने का काम करते हैं. कुमार का दावा है कि उन्हें एक लाख लोगों का समर्थन हासिल है. हालांकि उनके सर्वे के तरीके सवाल भरे हैं.

हालांकि उनका कहना है, "मैं ऐसा कह रहा हूं क्योंकि हर रोज मुझे 15-20 कॉल आते हैं. वे लोग मेरी पार्टी का सहयोग चाहते हैं." मेक अप आर्टिस्ट के साथ साथ वह दूध पहुंचाने का भी काम करते हैं और इससे होने वाली आमदनी से उनकी पार्टी का खर्चा चलता है.

प्यार की निशानी

पार्टी का चिह्न दिल के निशान के आर पार एक तीर है. दिल में एक ताजमहल भी बना है, जो प्यार की निशानी समझी जाती है. पार्टी बनने के कुछ दिनों बाद कुमार की मुलाकात 23 साल की लक्ष्मी और 36 साल के श्रीनिवासन से हुई. यह उनकी पहली कामयाबी रही.

दोनों एक ही दुकान में काम करते थे और एक दूसरे से प्यार करने लगे. लेकिन श्रीनिवासन के घर वाले इसके लिए राजी नहीं हुए क्योंकि दोनों के सामाजिक स्तर में बहुत फर्क था. लड़के के पिता रेलवे में सम्मानित नौकरी करते थे, जबकि लक्ष्मी के पिता मजदूर थे. कुमार के पोस्टरों को देख कर वह पार्टी के पास पहुंचे. कुमार ने दोनों परिवार वालों के बीच बैठक तय की.

कुमार ने बताया, "मैंने उनसे कहा कि आप पैसों की चिंता मत करें. दोनों जवान हैं और कड़ी मेहनत करके खूब कमा सकते हैं." दोनों की 2008 में शादी हो गई और श्रीनिवासन के घर वाले भी इसके लिए राजी हो गए. लक्ष्मी का कहना है, "अगर हमने कुमार से मुलाकात नहीं की होती, तो हमारी शादी नहीं होती. मैं सोच नहीं सकती हूं कि तब मैं कितनी दुखी रहती."

हालांकि कुमार को विरोधों का भी सामना करना पड़ रहा है. कुछ कट्टर पार्टियां उनका विरोध कर रही हैं. शुक्रवार को जब राज्य में वोटों की गिनती हुई, तो कुमार की पार्टी को गिने चुने वोट ही मिले लेकिन वह हतोत्साहित नहीं हैं. उनका कहना है कि यह तो उनका पहला चुनाव था.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः आभा एम

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