कैसी है नई फिल्म शैतान
११ जून २०११शैतान देखते समय अक्षय कुमार की फिल्म खिलाड़ी की याद आती है जिसकी कहानी शैतान से मिलती-जुलती है. इसके बावजूद शैतान देखने में मजा आता है क्योंकि इस कहानी को निर्देशक बिजॉय नाम्बियार ने अलग तरीके से स्क्रीन पर पेश किया है. साथ ही उन्होंने पुलिस डिपार्टमेंट की खामियों और खूबियों और टीनएजर्स व उनके पैरंट्स के बीच बढ़ती दूरियां वाला एंगल भी जोड़ा है, जिससे फिल्म को धार मिल गई है.
कहानी
एमी, डैश, केसी, जुबिन और तान्या किसी न किसी वजह से अपने माता-पिता से नाराज हैं. किसी की अपने पैरंट्स से इसलिए नहीं बनती क्योंकि उन्होंने दूसरी शादी कर ली तो कोई सिर्फ पैसा कमाने में व्यस्त है.
एमी और उसके गैंग के साथियों को प्यार नहीं मिलता इसलिए उनके मां-बाप उनकी जेबें रुपयों से भर देते हैं. इस वजह से वे शराब और ड्रग्स के नशे में डूबे रहते हैं. टाइम पास करने के लिए वे तरह-तरह के जोखिम उठाते हैं. इनमें कार रेस भी शामिल है. ऐसी ही एक कार रेस में वे दो लोगों को कुचल देते हैं और इसके बाद उनकी जिंदगी में यू टर्न आ जाता है.
एक्टिंग-डायरेक्शन
राजीव खंडेलवाल आमिर के बाद एक बार फिर प्रभावित करते हैं. रागिनी एमएमएस वाले रामकुमार यादव और कल्कि के अलावा ज्यादातर चेहरे अपरिचित हैं. लेकिन सभी अपने किरदारों में डूबे नजर आते हैं. कैमरा वर्क, लाइटिंग और संपादन के मामले में फिल्म सशक्त है. दो-तीन गाने थीम के अनुरुप हैं.
क्यों देखें
अनूठे प्रस्तुतिकरण और रोमांच का मजा लेना चाहते हैं तो शैतान को देखा जा सकता है.
रिपोर्टः वेब दुनिया
संपादनः वी कुमार