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नेपाल में तीर्थस्थल बनाएगा चीन

१६ जून २०११

नेपाल सरकार एक चीनी संस्था के साथ मिलकर देश में गौतम बुद्ध के जन्मस्थान पर एक तीर्थस्थल बनाने की तैयारी कर रही है. बोद्ध लोगों के लिए यह वैसा ही होगा जैसे मुसलामानों के लिए मक्का या ईसाइयों के लिए वैटिकन है.

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Buddhistisches Neujahrfest am 15.02.2010 in einem Tempel in Hannover. Quelle: Behzad Keshmiripour Behzad Keshmiripour hat uns diese Bilder zur Verfügung gestellt. Zulieferer: Davoud Khodabakhsh
तस्वीर: Behzad Keshmiripour

राजधानी काठमांडू से करीब 200 किलोमीटर दूर लुंबिनी में 2600 साल पहले सिद्धार्थ गौतम का जन्म हुआ. चीन इस छोटे से शहर को हाई टेक बनाने की योजना बना रहा है. गौतम बुद्ध के जन्मस्थल लुंबिनी में कई नए मंदिर बनाए जाएंगे. इसके अलावा यहां एक बौद्ध विश्वविद्यालय, हवाई अड्डा, हाईवे और कई नए होटल भी बनाए जाएंगे. चीनी संस्था एशिया पैसिफिक एक्सचेंज एंड कोओपरेशन फाउंडेशन के अनुसार इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए तीन अरब डॉलर का खर्चा आएगा.

संस्था ने पिछले महीने ही नेपाल सरकार के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए. संस्था ने कहा है कि वह लुंबिनी में बिजली और पानी की सुविधा भी पहुंचाएगी. नेपाल में बिजली की कमी होने के कारण प्रति दिन 14 से 18 घंटे बिजली की कटौती होती है. यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि इस प्रोजेक्ट से नेपाल में अर्थव्यवस्था सुधर सकेगी और लोगों को रोजगार के नए मौके मिल सकेंगे.

Buddhistisches Neujahrfest am 15.02.2010 in einem Tempel in Hannover. Quelle: Behzad Keshmiripour
तस्वीर: DW

लुंबिनी में हर साल पांच लाख पर्यटक आते हैं जिनमें से अधिकतर भारत के हैं. खूबसूरत वादियों के अलावा देश के विभिन्न मंदिर भारत के लोगों को नेपाल की ओर खास तौर पर आकर्षित करते हैं. अब ऐसा एक तीर्थस्थान बन जाने के बाद नेपाल को उम्मीद है कि पर्यटन और बढेगा. चीन की कोशिश है कि भारत को भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बनाया जाए. यदि ऐसा हो सका तो बोधगया और कुशीनगर में भी तीर्थस्थल बन सकते हैं. गया के पास बोधगया में गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई, जबकि कुशीनगर में उनका निधन हुआ.

चीन में 1966-76 के बीच हुई सांस्कृतिक क्रांति के दौरान देश में सभी मंदिरों को बंद कर दिया गया था. इसके अलावा वहां कई बुद्ध प्रतिमाओं को तोड़ा गया और बौद्ध भिक्षुयों को जबरन आम जिंदगी जीने और शादी के लिए कहा गया. इतने सालों बाद चीन अपने छवि बदलने की कोशिश कर रहा है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: ए जमाल

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