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पॉस्को के लिए जमीन अधिग्रहण पर रोक

२१ जून २०११

भारत में उड़ीसा सरकार ने दक्षिण कोरिया की स्टील कंपनी पॉस्को के लिए होने वाले जमीन अधिग्रहण को रोक दिया है. राज्य सरकार के अधिकारी के मुताबिक जमीन अधिग्रहण के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के चलते ऐसा किया गया है.

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तस्वीर: AP

दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी पॉस्को उड़ीसा में 12 अरब डॉलर का निवेश कर प्लांट लगाना चाहती है. लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते कंपनी को इंतजार करना पड़ रहा है. नए सरकारी कदमों के बाद पॉस्को का इंतजार और लंबा होने जा रहा है. राज्य सरकार ने प्लांट के लिए प्रस्तावित जमीन अधिग्रहण पर रोक लगा दी है.

राज्य सरकार के एक उच्च अधिकारी एसके चतुर्वेदी ने कहा, "इस पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी गई है, तथाकथित विरोध के चलते ऐसा करना पड़ा है. हमें सरकार के आगामी निर्देश का इंतजार है." पॉस्को प्रोजेक्ट को इसी साल केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिली. लेकिन अब स्थानीय लोग खास तौर पर महिलाएं और बच्चे प्रस्तावित जमीन को घेर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

अड़चन का कौन जिम्मेदार

निवेश और आर्थिक मामलों पर नजर रखने वाले मुंबई के एक विशेषज्ञ कहते हैं, "यह विदेशी निवेश के लिए धक्के की बात है. यही वजह है कि कई विदेशी स्टील कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम के तौर पर आ रही हैं. ऐसा करने से प्रशासनिक अड़चनें कम हो जाती है. सरकार की मंजूरी के बावजूद स्थानीय लोगों का विरोध प्रोजेक्ट को जोखिम में डाल सकता है. स्थानीय लोगों की सहमति के बिना जमीन का अधिग्रहण मुश्किल है."

माना जा रहा है कि आर्थिक रूप से खस्ताहाल उड़ीसा सरकार प्रदर्शन कर रहे लोगों से बातचीत कर उनके सामने नई पेशकश रखेगी. भारत में जमीन अधिग्रहण के मामलों में राज्य सरकार सरकारी रेट पर सौदा करती है. ज्यादातर मामलों में यह देखा गया है कि सरकारी रेट बाजार मूल्य से काफी कम होता है. पुनर्वास की शर्तों को लेकर भी स्थानीय निवासियों की नाराजगी दूर करना एक चुनौती बनी रहती है. बीते दशक में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब राज्य सरकारों ने सस्ती दर पर जमीन खरीद कर कंपनियों को बेहद महंगे दाम पर बेची. बिचौलिये की तरह की गई खरीद बिक्री से हुआ फायदा स्थानीय लोगों तक नहीं पहुंचा.

अर्थव्यवस्था पर चोट

पॉस्को प्रोजेक्ट पर कई दूसरी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की नजर भी है. भारत एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और कई कंपनियां वहां निवेश करना चाहती हैं. लेकिन भ्रष्टाचार और जमीन अधिग्रहण की विवादित प्रक्रिया की वजह से भारत की छवि को धक्का लग रहा है. निवेशकों में यह भरोसा नहीं बन पा रहा है कि भारत में निवेश कर वह जल्द अपनी योजनाओं के साथ आगे बढ़ सकेंगे.

हालांकि पॉस्को को अब भी उम्मीद है कि उड़ीसा में उनका स्टील प्लांट बनेगा. सियोल में पॉस्को के मुख्यालय से एक प्रवक्ता का कहना है कि प्रोजेक्ट पाइपलाइन में है. कंपनी निर्माण कार्य के लिए तैयार है. अब तक 2,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है. पॉस्को इस पर निर्माण के लिए स्वतंत्र है. लेकिन कंपनी ने अभी वहां पहली ईंट भी नहीं रखी है, उसे चिंता है कि अगर शेष जमीन नहीं मिली तो काफी पैसा बर्बाद हो जाएगा. पॉस्को को 2,000 एकड़ जमीन और चाहिए. योजना के मुताबिक 40 लाख टन सालाना उत्पादन की क्षमता वाला यह प्लांट 2011 तक तैयार होना था. लेकिन छह साल से योजना विवादों की भेंट चढ़ी हुई है.

वित्तीय वर्ष 2011-12 में भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी धीमी पड़ने का अनुमान है. भ्रष्टाचार के नए नए आरोपों से जूझती केंद्र सरकार ने हाल फिलहाल में आर्थिक तेजी को बरकरार रखने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. विदेशी निवेश गिरने लगा है जिसकी वजह राजकोषीय घाटा बढ़ रहा है. आर्थिक जगत के शीर्ष अधिकारी और बैंकर्स चेतावनी दे चुके हैं कि अगर निवेश के लिए हालात नहीं सुधारे गए तो भारत की आर्थिक तरक्की ऐसे धराशायी होगी कि उससे निकलना भी मुश्किल हो जाएगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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