1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

बड़ी गाड़ियों के साए में स्पोर्ट्स कार का मजा

३० जुलाई २०११

भारत के युवा शौकीन महंगी स्पोर्ट्स कारों का पूरा मजा लेने के लिए बड़ी गाड़ियों के साए में ड्राइविंग कर रहे हैं. आगे पीछे एसयूवी और बीच में चलेंगी स्पोर्ट्स कारें ताकि कोई टक्कर न मार दे.

https://p.dw.com/p/126eX
तस्वीर: AP

चंडीगढ़ की भीड़ भरी सड़कों पर ट्रकों और गड्ढों के बीच रास्ता बनाते हुए 25 आलीशान कारों ने 30 मिनट तक हवा से बातें की. पोर्श, फेरारी, लैम्बार्गिनी और जगुआर की कारों के काफिले में सबसे आगे और पीछे एसयूवी थी जिससे कि इन महंगी कारों को कोई छुए नहीं और बिना किसी से लड़े भिड़े ये गाड़ियां राज्य की हाईवे पर धुआं उड़ा सकें. इन गाड़ियों के सवार दिल्ली के एक क्लब के सदस्य हैं और इनमें सिर्फ उन्हीं गाड़ियों को शामिल किया गया जिनकी कीमत 70 लाख रुपये से ज्यादा थी.

स्पोर्ट्स कार का पूरा मजा

आयोजकों ने ड्राइवरों से कहा था कि वे इसे रेस न समझें और आगे पीछे चल रही गाड़ियों के दायरे से बाहर न निकलें. लेकिन रफ्तार के शौकीन कहां मानने वाले थे. वे लगातार यही सोचते रहे कि कैसे पुलिस से बचें और अपने लाइसेंस को भी बचाए रखें.

Indien Auto EXPO in Neu Delhi 2010 Flash-Galerie
तस्वीर: AP

क्लब शुरू करने वाले पारितोष गुप्ता ने इस आयोजन के बारे में बताया," हमारा मकसद अपने सदस्यों के लिए ड्राइविंग को तनाव मुक्त बनाना है. सुपरकार के मालिकों के लिए हम नेशनल हाईवे पर इस तरह की ड्राइविंग का आयोजन करते हैं जहां वे बड़ी गाड़ियों के साए में निश्चिंत हो कर ड्राइविंग मजा ले सकें."

पारितोष खुद पोर्श की पैनामेरा कार चलाते हैं. उन्होंने बताया कि लग्जरी गाड़ियों पर 100 फीसदी का भारी भरकम टैक्स होने के बावजूद भारत में इनके खरीदारों की संख्या बढ़ रही है. हालांकि महंगी कार खरीदने के बावजूद वे इसका मजा नहीं ले पाते और गाड़ियां गैरेज की ही शोभा बढ़ाती रहती हैं. पारितोष ने कहा, "गाड़ियों के मालिक इनका बहुत कम इस्तेमाल करते हैं. या तो वे इन पर सवार हो कर दफ्तर जाते हैं या फिर कभी लग्जरी होटलों में. मैं चाहता हूं कि क्लब के सदस्य अपनी गाड़ियों के साथ ज्यादा से ज्यादा मजे ले सकें."

Indien Auto EXPO in Neu Delhi 2010 Flash-Galerie
तस्वीर: AP

गहने और जवाहरात के कारोबारी 24 साल के ध्रुव तलवार चंडीगढ़ के एक अमीर परिवार से हैं. ध्रुव ने बताया, "मैं अपनी कार से बहुत प्यार करता हूं लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि भारत में स्पोर्ट्स कार चलाना चूहों की दौड़ में शामिल होने जैसा ही है." उन्होंने माना कि भारत की सड़कें ऐसी नहीं हैं कि उन पर स्पोर्ट्स कार दौड़ाई जा सकें.

ध्रुव के मुताबिक, "बदहवास ट्रैफिक और गड्ढों की ही समस्या नहीं है. सड़कों पर स्पोर्ट्स कार की मौजूदगी ही लोगों को उत्तेजित करती है और फिर लोगों के अलग अलग तरह के मनोभावों से जूझना पड़ता है. मोटरसाइकिल सवार जब हमें देखते हैं तो अपनी रफ्तार तेज कर हमसे रेस लगाते हैं और इस चक्कर में कई बार अपनी जान भी जोखिम में डाल लेते हैं. कई तो रेस लगाते वक्त अपनी तस्वीर खींचने की भी कोशिश करते हैं. इन कारों को देखते ही कुछ लोगों की नजरें टेढ़ी हो जाती हैं तो इनसे निकलने वाले शोर से झल्लाकर कुछ गाड़ियों में खरोंच लगाने की कोशिश करते हैं."

बढ़ रही हैं लग्जरी कारें

मई में फेरारी ने भारत में अपना पहला शोरूम खोला है और भारत के युवा रईस उसकी तरफ दौड़े चले आ रहे हैं. एश्टन मार्टिन, लैम्बॉर्गिनी, बेन्टले, जगुआर और पोर्श के डीलर यहां पहले से ही मौजूद हैं. वह भी तब जबकि उन्हें एक बड़ी रकम टैक्स के रूप में चुकानी पड़ती है. अब जब कारें आ रही हैं तो उनका मजा लेने के लिए नए नए तरीके भी इजाद हो रहे हैं और पारितोष गुप्ता का क्लब इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है. पिछले साल शुरू हुए क्लब के सदस्यों की संख्या 100 से ऊपर जा चुकी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी