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गुलजार के अल्फाज में टैगोर

२१ सितम्बर २०११

दिल तो बच्चा है जी...थोड़ा कच्चा है जी लिखने वाले गुलजार साहब का कच्चा सा दिल अब बच्चों के लिए काम करने को मचल रहा है. वह बच्चों के लिए लिखीं रविंद्र नाथ ठाकुर की कविताओं का हिंदी में अनुवाद कर रहे हैं.

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तस्वीर: AP

गुलजार कहते हैं कि बाकी जबानों के लोग भी अब नोबेल पुरस्कार विजेता टैगोर की कविताएं पढ़ रहे हैं. 75 साल के गुलजार को लगता है कि विद्यालयों का पाठ्यक्रम बदल देना चाहिए. वह चाहते हैं कि बच्चों को टैगोर की कविताओं से परिचित कराया जाए. इस साल गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की 150वीं जयंती मनाई जा रही है.

गुलजार कहते हैं, "टैगोर सिर्फ गीतांजली तक नहीं बंधे हैं. बांग्ला के अलावा जो पाठक हैं, उन तक भी टैगोर पहुंच रहे हैं. मैं बच्चों के लिए टैगोर की कविताओं का हिंदी में अनुवाद कर रहा हूं. उम्मीद है इस साल में यह बाजार में आ जाएगी. लेकिन मुझे लगता है कि हाई स्कूल में बच्चों को टैगोर की कविताएं पढ़ाई जानी चाहिए."

Indien Gulzar Schriftsteller
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बदलाव हो

गुलजार सवाल उठाते हैं कि कब तक बच्चे उन्हीं कवियों को पढ़ते रहेंगे, जिन्हें हम दशकों से पढ़ रहे हैं. वह कहते हैं, "बच्चे कब तक अजय, निराला और महादेवी जैसे कवियों को पढ़ते रहेंगे? पिछले 50-60 साल में स्कूल कॉलेजों का सिलेबस ज्यादा नहीं बदला है. मेरा तो मानना है कि बच्चों को टैगोर, फिराक और दूसरे शायरों के बारे में जानना चाहिए."

गुलजार की अपनी शायरी का कमाल ऑस्कर तक जा चुका है. भारत के लिए ऑस्कर जीतने वाले पहले और एकमात्र गीतकार गुलजार हिंदुस्तानी साहित्य को बढ़ावा देने की बात करते हैं. वह कहते हैं, "हम अंग्रेजी कवियों के अनुवाद पढ़ते रहते हैं. बच्चों को भारत के साहित्य के बारे में ज्यादा बताया जाना चाहिए. मिल्टन के पैराडाइज लॉस्ट का हिंदी अनुवाद पढ़ाने के बजाय हाई स्कूल में महाभारत से युधिष्ठिर...द्रौपदी का अनुवाद पढ़ाया जाना चाहिए."

Indien Gulzar Javed Akhtar
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दो नई किताबें

इस साल गुलजार की दो किताबें बाजार में आई हैं. एक है पंद्रह, पांच, पचहत्तर और दूसरी है यार जुलाहे. वह कहते हैं, "एक लेखक से पाठक और कितना चाहेगा?"

जब गुलजार से पूछा गया कि इस वक्त नई गजल बहुत कम लिखी जा रही है, तो उन्होंने कहा, "शहरयार, बशीर बद्र और निदा फाजली उर्दू स्टाइल में गजलें लिख रहे हैं. लेकिन समकालीन गजल में आधुनिकता का स्वाद है."

गुलजार ने शहरयार सुनो का संपादन किया है. वह बताते हैं, "शहरयार उर्दू शायरी को इस अंदाज में लिखते हैं कि आम आदमी भी समझ सके. अब जबकि शहरयार ज्ञानपीठ जीत चुके हैं तो मुझे लगता है कि लोग एक बार फिर उर्दू शायरी की बात करने लगेंगे."

रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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