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मिस वेनेजुएला बनीं मिस वर्ल्ड

७ नवम्बर २०११

वेनेजुएला की 22 साल की इवियन सार्कोज को मिस वर्ल्ड 2011 चुना गया है. हल्के गुलाबी रंग का गाउन पहने मिस वेनेजुएला को पिछले साल की मिस वर्ल्ड, अमेरिका की एलेक्जेंड्रिया मिल्स ने ताज पहनाया.

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समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए सार्कोज ने कहा, "मुझे उस वक्त ऐसा लगा जैसे मैं दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हूं. मैं इतनी खुश थी कि मैं खुशी के मारे चिल्लाना चाहता थी, रोना चाहती थी और साथ ही मैं चुप चाप खड़ी रहना चाहती थी, धीरे से मुस्कुराना चाहती थी. मैं बेहद खुश हूं कि मुझे यह मौका मिला और मैं इसे जीत पाई."

भारत रहा पीछे

मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में मिस वेनेजुएला जहां पहले स्थान पर रहीं. वहीं दूसरा स्थान मिला फिलिपींस की ग्वेंडोलाइन गेल को जबकि तीसरे नंबर पर रहीं पुएर्तो रिको की अमांडा पेरेज. इस प्रतियोगिता में भारत समेत 113 देशों की सुंदरियों ने हिस्सा लिया था. भारत की तरफ से इस बार मिस इंडिया कनिष्ठा धनखर शामिल हुईं थीं जिन्हें अंतिम 15 प्रतियोगियों में भी जगह नहीं मिली. अब तक हुई मिस वर्ल्ड प्रतियोगिताओं में वेनेजुएला ने सबसे ज्यादा छह बार इस खिताब पर कब्जा किया है. भारत ने भी अब तक पांच बार यह खिताब जीता है. ऐश्वर्या राय, डायना हेडन, युक्ता मुखी और प्रियंका चोपड़ा के बारे में तो लोग जानते ही हैं. लेकिन सबसे पहली बार भारत को यह खिताब रीटा फारिया ने 1966 में दिलवाया.

घर लौटी प्रतियोगिता

इस बार की मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता खास थी क्योंकि इस साल इस आयोजन की साठवीं सालगिरह थी. इस मौके पर प्रतियोगिता का आयोजन लंदन में किया गया. पहली प्रतियोगिता भी लंदन में ही हुई थी. मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता पहली बार 1951 में ब्रिटेन में आयोजत की गई. 1989 तक इसे लंदन में ही आयोजित किया जाता रहा. बाद में हर साल अलग अलग देशों में इसका आयोजन होने लगा. इस शो को 150 से अधिक देशों में करीब एक अरब लोगों ने देखा.

शो के दौरान कुछ नारीवादियों ने बाहर प्रदर्शन भी किए. 'सेक्सिज्म इज प्रिटी अग्ली' के बोर्ड हाथ में पकड़े हुए करीब पचास महिलाएं नारे लगा रही थीं कि औरत होना किसी प्रतियोगिता का सबब नहीं है.

'सबके काम आना चाहती हूं'

इवियन सार्कोज आठ साल की थीं जब वह अनाथ हो गईं और उन्हें एक आश्रम में भेज दिया गया. इसीलिए वह जरूरतमंदों के काम आना चाहती हैं, "मेरे लिए जीत के बहुत मायने हैं. मैं उम्मीद करती हूं कि मैं इसका ठीक तरह से फायदा उठा पाउंगी. मैं सबसे पहले जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहती हूं. मैं अपने जैसे लोगों की मदद करना चाहती हूं. मैं अनाथ हूं. साथ ही मैं बूढ़े लोगों और मुसीबत में फंसे युवाओं के भी काम आना चाहती हूं."

हालांकि यह प्रतियोगिता तो खूबसूरती की है, लेकिन इसमें शिक्षा का भी महत्व है. इस साल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली अधिकतर लड़कियों के पास यूनिवर्सिटी की डिग्री है और अधिकतर को कम से कम तीन भाषाओं का ज्ञान है. इवियन सार्कोज के पास मानव संसाधन के क्षेत्र में डिग्री है.

रिपोर्ट: एएफपी/ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे

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