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हिमालय को बचाने उतरे भारत, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश

२० नवम्बर २०११

हिमालय की बर्फ तेजी से पिघल रही है. पारिस्थिकीय तंत्र में हो रहे बड़े बदलावों को देखते हुए भारत ने भूटान, नेपाल और बांग्लादेश के साथ जलवायु परिवर्तन से संबंधित समझौते का एलान किया हैं. कोशिश हिमालय को बचाने की है.

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तस्वीर: CC/Sandip Sengupta

चारों पड़ोसी देश ऊर्जा, पानी, खाद्य और जैव विविधता के मुद्दों पर सहयोग के लिए वचनबद्ध हो गए हैं. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के मुताबिक भूटान की राजधानी थिम्पू में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. समझौते के तहत ऐसी योजनाएं बनाने पर सहमति बनी जो जलवायु परिवर्तन के मुताबिक ढल सके और हिमालय को बचाने में मददगार हों.

Flash-Galerie Siachen Gletscher
तस्वीर: AP

समझौते के बाद भूटान के प्रधानमंत्री ल्योनछोएन जिग्मी वाई थिनले ने कहा, "हमारे प्रयास की सफलता का सीधा और त्वरित असर न सिर्फ हमारे लोगों पर होगा बल्कि हम ऐसी ही समस्या से जूझ रहे अन्य देशों के लिए एक बहुमूल्य उदाहरण भी पेश करेंगे."

"क्लाइमेट सम्मिट फॉर लिविंग हिमालयाज" के नाम से दो दिन तक चले सम्मेलन के बाद भारत, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश समझौते पर पहुंचे. चारों देश हिमालयी क्षेत्र में वन्य जीव संरक्षण को बढ़ावा देंगे. वनों को बचाएंगे. खाद्य और पानी की आपूर्ति को बचाए रखने पर भी सहमति बनी है.

Flash-Galerie Erderwärmung
तस्वीर: AP

सम्मेलन में नई दिल्ली का प्रतिनिधित्व भारत के पर्यावरण सचिव टीएस चटर्जी ने किया. अधिकारियों के अलावा गैर सरकारी संगठन के लोगों और चारों देशों के सिविल सोसाइटी के सदस्य भी थिम्पू में थे. सम्मेलन की तरफ से जारी बयान में कहा गया, "इसके तहत ऊर्जा की आपूर्ति, बिजली और प्राकृतिक गैस के लिए इलाके में बेहतर संपर्क स्थापित करने करने का काम होगा. साथ ही पूर्वी हिमालय में ऊर्जा बचाने को बढ़ावा दिया जाएगा."

Gletscherschmelze im Himalaya
तस्वीर: DW/Hörig

वैज्ञानिक रूप से इस बात के प्रमाण मिल चुके हैं कि हिमालय की बर्फ तेजी से पिघल रही है. पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम चक्र में आश्चर्यजनक बदलाव देखे जा रहे हैं. बरसात की प्रकृति बदल गई है और हिमालय के आस पास बढ़ता तापमान स्थानीय लोगों और वन्य जीवन पर असर डाल रहा है. हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्ग भी जलवायु परिवर्तन की गवाही दे रहे हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एन रंजन

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