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क्रांतिकारियों की ममी

१७ जनवरी २०१२

कम्युनिस्ट उत्तर कोरिया की शासक किम जोंग इल के शव को मलहम लगाकर सुरक्षित रखने की योजना है. उन्हें उनके पिता किम इल सुंग के साथ प्योंगयोंग के कुमसुसन स्मारक में रखा जाएगा.

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लेनिन की ममीतस्वीर: picture-alliance / Judaica-Sammlung Richter

उत्तर कोरिया के तानाशाह को जीवनकाल में ही देवता समान बना दिया गया था. सरकारी जीवनी के अनुसार किम जोंग इल के जन्म के समय एक नया तारा पैदा हुआ था और आसमान में दो दो इंद्रधनुष दिखे थे. उनकी मौत पर सरकारी मीडिया ने कहा कि "प्यारे नेता" ने भारी मानसिक और शारीरिक तकलीफ में जनता के लिए काम करते हुए जान दे दी.

पिता किम इस सुंग से उधार ली गई अजीब सनक अब उनकी मौत के बाद भी जारी है. उनकी कांसे की मूर्ति बनाई जाएगी तथा सारे देश में हंसते तानाशाह की तस्वीरें टांगी जाएंगी और उनकी नश्वरता की मीनार बनाई जाएगी. 16 फरवरी को पॉलितब्यूरो ने चमकते सितारे का दिन घोषित कर दिया है.

क्रांतिकारियों की ममी

इस फैसले के साथ किम जोंग इल 20वीं शताब्दी के अन्य कम्युनिस्ट नेताओं की कतार में शामिल हो गए हैं जिनके शव को मलहम लगाकर सुरक्षित रखा गया है. मॉस्को में लेनिन और स्टालिन की लाशें सुरक्षित हैं, बीजिंग में माओ झेदोंग की और हनोई में हो ची मिंह की.

1924 में जब तत्कालीन सोवियत नेता लेनिन की मौत हुई तो लेनिन की इच्छा के विपरीत स्टालिन ने उनके शव को सुरक्षित रखने का फैसला लिया. लेनिन की पत्नी के विरोध को भी अनसुना कर दिया गया जिन्होंने शव को सुरक्षित रखने का विरोध करते हुए कहा था, "इसकी इजाजत मत दो कि तुम्हारी तकलीफ व्लादीमीर इल्यिच (लेनिन) की बाहरी उपासना में बदल जाए."

जब लेनिन के शव को सुरक्षित रखने का पहला प्रयास विफल हो गया तो एनाटोमी के प्रोफेसर वोरोब्योव ने शव पर लेप लगाने का जिम्मा लिया. उन्होंने सारे अंदरूनी अंग हटा लिए, शरीर को आसवित पानी से धोया शरीर में शव को सुरक्षित रखने वाले रसायन को घोल भर दिया. शव का सड़ना रोकने और लेनिन का चेहरा देखने योग्य बनाने के लिए नकली आंख लगा दी गई, मुंह को सी दिया गया और हाइड्रोजन पेरोक्साइड स्प्रे कर दिया गया.

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अब किम जोंग इल का शव भी लेप लगा के संरक्षित किया गया है.तस्वीर: AP

लगभग 90 साल से लेनिन के शव पर नियमित अंतराल पर संलेपन किया जाता है. तब भी उनका शव धीरे धीरे गायब हो रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर का सिर्फ 10 फीसदी हिस्सा असली है. शव को सुरक्षित रखने पर रूस को हर साल 10 लाख यूरो खर्च करना पड़ता है. बार बार उन्हें आकिरकार दफना देने की मांग उठती है, लेकिन लेनिन को पूजने वाली देश की बुजुर्ग आबादी के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है.

व्यक्ति पूजा और तानाशाही

लेनिन और उसके बाद स्टालिन, माओ झेदोंग, हो ची मिन्ह और किम इल सुंग के उदाहरण दिखाते हैं कि 20वीं सदी की समाजवादी व्यवस्थाओं में व्यक्ति पूजन की कितनी केंद्रीय भूमिका थी और उत्तर कोरिया में आज भी है. आम तौर पर व्यक्ति पूजा तानाशाहों की शासन व्यवस्था का हिस्सा होता है. जर्मनी में हिटलर नाजी शासन तथा इटली में मुसोलिनी के फासीवादी शासन में ऐसा ही था. इराक में सद्दाम हुसैन या लीबिया में गद्दाफी की तानाशाहियों में भी यह देखने को मिला. तुर्कमेनिस्तान में भी 2006 में मरे राष्ट्रपति सपरमुरात नियासोव की व्यक्ति पूजा होती है. केवल लेप लगाकर शव को सुरक्षित रखने की प्रथा सिर्फ समाजवादी देशों में है.

रूस में ख्रुश्चोव ने शवों के संलेपन की प्रथा का अंत किया. कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस में स्टालिन की व्यक्ति पूजा और स्टालिनवाद की निंदा की गई. 1961 में स्टालिन के संलेपित शव को दफना दिया गया. हो ची मिन्ह और माओ भी लेनिन ही की तरह नहीं चाहते थे कि उनके शव को बचा कर रखा जाए. दोनों की इच्छा थी कि उनके शवों को जला दिया जाए. लेकिन पार्टी प्रतिष्ठानों ने अपने पूर्व नेताओं की इच्छा मानने से इंकार कर दिया. वे अपने लोकप्रिय नेताओं का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहते थे.

लेकिन चीन और वियतनाम में शव को सुरक्षित करने का लाभ सिर्फ राष्ट्र के संस्थापकों को मिला है, दूसरे नेताओं को नहीं. किम जोंग इल के शव को सुरक्षित रखने के फासले के साथ सिर्फ उत्तर कोरिया संलेपन की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है.

रिपोर्ट: रोडियोन एबिंगहाउजेन/मझा

संपादन: ए जमाल

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