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हॉलीवुड में भी शराब के खतरे

२१ फ़रवरी २०१२

हॉलीवुड के पर्दे पर भले ही बड़े स्टार शराब की चुस्कियां लेने से परहेज न करते हों लेकिन इससे दुनिया भर के बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है. अपने सितारों को देख कर बच्चे भी एक बार को बोतल में बंद चीज को चख लेना चाहते हैं.

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तस्वीर: Fotolia/drx

अमेरिका में एक स्टडी में दावा किया गया है कि किशोरावस्था में बच्चे फिल्मों में शराब पीने के सीन से ज्यादा आकर्षित होते हैं. इस स्टडी का कहना है कि अगर उनके मां बाप शराबी हों, तो भी उतना फर्क नहीं पड़ता, जितना फिल्मों में शराब के सीन को देखने से पड़ता है.

स्टडी करने वालों का कहना है कि इस रिसर्च में बेहद सावधानी और संवेदनशीलता से काम लिया गया है. 10 से 14 साल के 6500 बच्चों का टेलीफोन पर इंटरव्यू किया गया और दो साल के भीतर उनसे तीन और बार बात की गई. इनसे पूछा गया कि क्या वे बड़ी फिल्में देखते हैं और क्या उसमें शराब के सीन को देखते हैं. उनसे यह भी पूछा गया कि क्या उन्होंने शराब को चखा है और वे स्कूल में किन बातों पर ध्यान देते हैं.

इन इंटरव्यू में जिन 50 फिल्मों के नाम लिए गए, उन्हें 500 फिल्मों की सूची में से रैंडम चुना गया था. इनके अलावा 32 दूसरी फिल्मों के बारे में भी पूछा गया, जिन्होंने अच्छा खासा बिजनेस किया था. रिसर्चरों ने इसके बाद फिल्मों में बारीकी से देखा कि किस स्तर पर शराब को दिखाया गया है और अभिनेता कितनी शराब पीता है.

रिसर्च में पता चला कि किशोरों ने औसत तौर पर इन दृश्यों को साढ़े चार घंटे तक देखा. कुछ ने तो आठ घंटे से भी ज्यादा ऐसे दृश्यों को देखा, जिसमें शराब का जिक्र हो रहा हो. दो साल तक चले इस रिसर्च में पता चला कि शराब पीने वालों का प्रतिशत 11 फीसदी से बढ़ कर 25 फीसदी हो गया. जिन लोगों ने यूं ही चखने के लिए शराब पीना शुरू किया था, वे तीनगुना ज्यादा पीने लगे.

फिल्मों में देख कर शराब पीने को शराबी बनने की प्रक्रिया में तीसरा सबसे बड़ा खतरा बताया जाता है, जबकि किसी को पियक्कड़ बनाने में इसे चौथा सबसे अहम कारक बताया जाता है. रिसर्च में कहा गया है कि अगर किसी के मां बाप शराबी हों या किसी के पास पॉकेटमनी के तौर पर खूब ज्यादा पैसे हों, तो भी उनके इस तरह के शराबी बनने की संभावना नहीं रहती, जैसा कि फिल्मों में शराब के दृश्यों को देख कर होती है.

रिपोर्ट में कहा गया, "जिन बच्चों ने शराब वाली फिल्मों को देखा था, वे दूसरे बच्चों के मुकाबले दोगुनी संख्या में शराब पीने लगे. इनमें से 63 प्रतिशत पियक्कड़ बनने की राह पर निकल गए."

अध्ययन में कहा गया है कि फिल्मों में शराब का प्रचार अच्छे दृश्यों में होता है, इससे कोई नुकसान नहीं होता है और ज्यादातर बार शराब की कंपनी भी दिखती है, जो किशोरावस्था के बच्चों पर बुरा असर डालता है. यह रिसर्च बीएमजे ओपन पत्रिका में प्रकाशित हुई है.

न्यू हैंपशर यूनिवर्सिटी के डार्टमाउथ मेडिकल स्कूल में पढ़ाने वाले जेम्स सार्जेंट की अगुवाई में यह रिसर्च की गई. उन्होंने सेहत के लिए काम करने वाली एजेंसियों से कहा है कि उन्हें इस पर चिंता जतानी चाहिए. हॉलीवुड फिल्मों का आधा से ज्यादा राजस्व विदेशों से जुटता है, जिनमें यूरोप, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और दक्षिण कोरिया शामिल है.

रिपोर्टः एएफपी/ए जमाल

संपादनः महेश झा