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भारत में तैनात है अमेरिकी सेना की टीम

२ मार्च २०१२

अमेरिकी स्पेशल फोर्स का दल फिलहाल भारत समेत पांच एशियाई देशों में तैनात हैं. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के एक कमांडर के मुताबिक सैनिकों की तैनाती आतंवाद को रोकने के अभियान में इन देशों से सहयोग के लिए की गई है.

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तस्वीर: AP

इन दलों को अमेरिकी सैना की पैसिफिक कमांड ने तैनात किया है. पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल रॉबर्ट विलार्ड ने बताया कि खास तौर से समुद्री सुरक्षा को ध्यान में रख कर इनकी तैनाती की गई है. रॉबर्ट विलार्ड ने बताया, "फिलहाल हमारे पास स्पेशल फोर्स की सहायक टीम है. पैसिफिक सहायक टीम को नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव के साथ ही भारत में भी तैनात किया गया है." आतंकवाद के खिलाफ अभियान में भारत से सहयोग के मसले पर अमेरिकी सांसदों के पूछे एक सवाल के जवाब में विलार्ड ने यह जानकारी दी.

पैसिफिक कमांडर से सांसद जो विल्सन ने पूछा था कि लश्कर ए तैयबा के खतरे से निबटने के लिए क्या किया जा रहा है. विलार्ड ने कहा कि पैसिफिक कमांड के भारत से जुड़ने के बाद मुंबई के आतंकवाद विरोधी विशेषज्ञों के साथ अमेरिका ने मिल कर एक दूसरे को ट्रेनिंग दी है. दक्षिण एशियाई सहयोगियों के साथ इस संपर्क को शुरू करने का मकसद लश्कर ए तैयबा पर काबू और इस इलाके की सेना को अपने आप में सक्षम बनाना है.

US Navy befreit 13 iranische Fischer vom Piraten
तस्वीर: picture-alliance/landov

विलार्ड ने कहा कि पूरा दक्षिण एशिया अमेरिका के लिए रणनीतिक लिहाज से काफी अहम है. भारत के साथ आगे बढ़ रहे इस इलाके में समुद्री संचार के प्रमुख मार्ग हैं, जिनसे ऊर्जा और दूसरे कारोबारी सामानों की ढुलाई एशिया, अमेरिका, मध्य पूर्व और यूरोप तक होती है. विलार्ड मानते हैं कि दक्षिण एशिया से सुरक्षा के लिए साझेदारी अमेरिका के पैसिफिक मिशन के लिए बेहद जरूरी है. 

रिश्ते मजबूत हुए पर चुनौतियां भी हैं

अमेरिकी कमांडर ने इस दौरान यह भी कहा कि भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते मजबूत हो रहे हैं लेकिन ऐसा भी नहीं कि इसमें चुनौतियां नहीं. विलार्ड ने सांसदों से कहा, "हमारे देशों के बीच आप जानते हैं कि लंबा इतिहास नहीं है. हम शीत युद्ध से गुजरे हैं. उस वक्त एक तरह से कोई रिश्ता नहीं था. उसके बाद नब्बे के दशक के आखिरी सालों में परमाणु परीक्षण के बाद हमने एक दूसरे की सरकारों के साथ रिश्ते को भी स्थगित कर दिया. हम तो पिछले दशक में ही भारत के साथ रिश्ता जोड़ पाए हैं." विलार्ड ने माना कि भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय रिश्तों में काफी प्रगति की है. उनका कहना है एक एक कदम बढ़ा कर भारत और अमेरिका एक दूसरे के करीब आए हैं. अमेरिका को भारत के साथ रिश्ते बढ़ाने के कारण दूसरे देशों से अपने संबंधों को संतुलित भी करना पड़ा है. उनके मुताबिक, "हमें पाकिस्तान से अपने रिश्तों में चुनौती मिली है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक रूप से कटुता रही है. भारत बहुत चुनौतियों वाला देश है. उसके पड़ोस में अफगानिस्तान है, पाकिस्तान है और कश्मीर का मसला जो काफी लंबे समय से चला आ रहा है. इसके बाद चीन और भारत के बीच सीमा विवाद."

वह मानते हैं कि इस तरह से अमेरिका और भारत के रिश्ते में काफी चुनौतियां है पर दोनों देश बातचीत जारी रखे हुए हैं और दोनों के लिए आतंकवाद एक प्रमुख मुद्दा है जिस पर सहयोग कर लगाम लगाने के लिए दोनों कोशिश कर रहे हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/ एन रंजन

संपादनः ए जमाल