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पाकिस्तानी हिंदू तलाश रहे हैं भारत में सुरक्षा

९ मार्च २०१२

प्रीतम दास की डॉक्टरी पाकिस्तान में बहुत अच्छी चल रही है. अस्पताल में और निजी क्लीनिक भी. लेकिन वह पाकिस्तान छोड़ने की सोच रहे हैं. क्योंकि हिंदुओं पर हमलों और अपहरण की संख्या बढ़ रही है.

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सुरक्षा की चिंतातस्वीर: AP

प्रीतम दास अपनी पत्नी और बच्चों के साथ कराची में रहते हैं. वे पाकिस्तान में सिंध के दक्षिणी जिले कश्मोर के रहने वाले हैं. उनका परिवार कई साल से वहां है. 1947 में प्रीतम दास के परिजन पाकिस्तान में बस गए. उन्हें पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना के वादे में विश्वास था कि अल्पसंख्यकों को पूरी सुरक्षा मिलेगी. लेकिन 60 साल बाद वह कहते हैं कि काश्मोर में रहना असंभव हो गया है. हालात हर दिन खराब होते जा रहे हैं.

उनके दो चाचाओं का अपहरण हो गया. पैसे वाले हिंदू परिवारों को वहां सबसे ज्यादा खतरा है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि 30 साल में अन्य धर्मों के प्रति लोगों की सहिष्णुता कम हो गई है और उन्हें सेकंड क्लास नागरिक माना जाने लगा है. दास कहते हैं कि वह सिर्फ अपनी मां की वजह से पाकिस्तान में रह रहे हैं. "मां ने यहां से जाने से साफ मना कर दिया है. मैं उनके बगैर नहीं जा सकता."

पाकिस्तान की करीब 18 करोड़ आबादी में से करीब सवा चार लाख हिंदू हैं. इनमें से अधिकतर सिंध में रहते हैं और अच्छे पैसे वाले हैं.

नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, "हर महीने करीब 10 हिंदू परिवार पाकिस्तान से जाते हैं और इनमें से अधिकतर अमीर होते हैं." पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के ग्रुप्स का कहना है कि पाकिस्तान छोड़ने वाले हिंदुओं की संख्या बढ़ती जा रही है और लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन के डर से भी कई परिवार देश छोड़ कर जा रहे हैं. सिंध के उत्तरी जिले में किसान जय राम कहते हैं, "मेरे दो भाई भारत चले गए हैं और चाचा अरब. यहां रहना मुश्किल होता जा रहा है. सिंधी इस देश में सबसे सहिष्णु समुदाय है लेकिन कानून और व्यवस्था की खराब होती स्थिति उन्हें यहां से जाने पर मजबूर कर रही है." 

रमेश कुमार वांकवानी पाकिस्तान हिंदू परिषद के प्रमुख हैं और सिंध में सांसद रह चुके हैं. वह कहते हैं कि हिंदुओं का पहले अपहरण कर लिया जाता है और उनकी बेटियों को धर्म परिवर्तन पर मजबूर किया जाता है. "हर दिन हमें खबर मिलती है कि परिवार यहां से जा रहे हैं. हालत बिगड़ रहे हैं. लोगों को बहुत परेशान किया जाता है और उन्हें अपना घर और देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है लेकिन हमारे नेता इसके खिलाफ कुछ नहीं करते."

सिंध में ह्यूमन राइट्स फोरम के प्रमुख रुबाब जाफरी कहते हैं, हाल ही में पांच हिंदू परिवारों के 37 सदस्य भारत चले गए क्योंकि उनके साथ भेदभाव हो रहा था. जबकि एक डॉक्टर सहित तीन लोगों की शिकारपुर जिले में हत्या कर दी गई. हिंसा की घटनाएं रोज हो रही हैं इनमें से कई दर्ज ही नहीं होती.

शिड्यूल कास्ट राइट्स मूवमेंट के सर्वे के मुताबिक 80 प्रतिशत हिंदुओं की शिकायत होती है कि मुसलमान परिवार उनके साथ भेदभाव करते हैं. जाफरी कहते हैं, "हिंदुओं का पाकिस्तान से जाना ब्रेन ड्रेन है क्योंकि जाने वाले लोगों में अधिकतर डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी और बुद्धिमान लोग हैं." आबकारी और कर मामलों के मंत्री मुकेश कुमार चावला कहते हैं. "मैं मानता हूं कि सिंध के कई जिलों में कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है. लेकिन यह सबके लिए खराब है सिर्फ मेरे समुदाय के लिए नहीं. बड़ी संख्या में हिंदू देश छोड़ कर नहीं जा रहे, जैसा कि अक्सर दावा किया जाता है. इनमें से अधिकतर अच्छे भविष्य के लिए बाहर जा रहे हैं." 

रिपोर्टः एएफपी/आभा एम

संपादनः ए जमाल