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तबला सीखना हो तो बर्लिन भी आइए

११ मार्च २०१२

जर्मनी में वायलिन और पियानो तो कहीं भी सीखा जा सकता है. लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि तबला या ग्रीस का बोजूका बर्लिन में सीखा जा सकता हो. बर्लिन की नई संगीत संस्था ग्लोबल म्यूजिक एकेडमी में यह अब संभव है.

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तस्वीर: Daniela Incoronato

संगीत शिक्षक दिमित्री वारेलोपुलोस हंसते हुए कहते हैं, "ग्रीस में वित्तीय संकट है लेकिन सांस्कृतिक संकट तो कहीं नहीं है. यहां जर्मन और ग्रीस के लोग साथ में साज बजाते हैं, और उसका आनंद उठाते हैं." ग्रीक जर्मन क्वार्टेट पहली बार साथ में आया है और ये लोग मिलजुलकर ग्रीस के बंदरगाह शहर पिरेयुस में बने रेंबेटिको संगीत का अभ्यास कर रहे हैं. बर्लिन के क्रॉएत्सबर्ग इलाके में ग्लोबल म्यूजिक एकेडमी (जीएमए) ने एक वर्कशॉप आयोजित की है. जिसे सीखने की इच्छा है और संगीत का अनुभव है उसके लिए यह अच्छा मौका है.

Global Music Academy Berlin
तस्वीर: Daniela Incoronato

तबले की वर्कशॉप में छात्र बहुत ध्यान लगा कर एक टुकड़े का अभ्यास कर रहे हैं. लॉरा पाचेन 35 साल पहले अमेरिका से बर्लिन आई और यहां उन्हें तबला शिक्षक मिले. बर्लिन में थोड़ा बहुत सीखने के बाद उन्होंने भारत में तबले की पढ़ाई की. इसके लिए उन्हें निजी स्तर पर काफी मेहनत करनी पड़ी. क्योंकि यूरोप में बाहरी साजों की पढ़ाई या ट्रेनिंग की कोई योजना नहीं है. न तो आम लोगों के लिए और न ही म्यूजिक कॉलेज में.

मल्टीकल्टी से ज्यादा

लॉरा को यह बात बहुत अच्छी लगती है कि एक ऐसी अकादमी में वह काम कर रही हैं जहां दुनिया भर का संगीत आप सीख सकते हों. आजकल दुनिया भर में इतने प्रभाव हैं, संगीत में भी. बर्लिन में दुनिया भर के इतने लोग रहते हैं. ग्लोबल म्यूजिक एकेडमी यहां खोलना समय के हिसाब से बिलकुल ठीक है.ऐसा भी कहा जा सकता था कि लंबे समय से इसकी जरूरत थी क्योंकि जर्मनी में संगीत का वैश्वीकरण अभी तक नहीं हुआ है. दुनिया का संगीत काफी जगह सुना जा सकता है लेकिन इसे सीखने की संभावनाएं अभी भी कम हैं.

Global Music Academy Berlin Andreas Freudenberg
फ्रॉयडेनबर्गतस्वीर: Daniela Incoronato

संगीत कॉलेजों में पॉप संगीत से जुड़ी चीजें तो सीखने को मिल जाती हैं लेकिन अफ्रीकी या एशियाई संगीत और वाद्ययंत्र सीखने को नहीं मिलते. जीएमए के प्रबंध निदेशक आंद्रेयास फ्रॉइडेनबर्ग कहते हैं, "यूरोपीय संगीत वैश्विक संस्कृति है. इसलिए अपने इलाके में बहुत ताकतवर महसूस होता है. खुद को खोलने के लिए हम तैयार नहीं हैं. संस्कृतियों के बीच संवाद के लिए तैयार नहीं है. यह मल्टीकल्टी शोर से बहुत आगे की बात है. सिर्फ फ्यूजन करना यहां काफी नहीं है."

यूरोप में इकलौती

आंद्रेयास फ्रॉयडेनबर्ग इसे एक ऐसी अकादमी बनाना चाहते हैं जो यूरोप में अपने तरह की अकेली हो. इसके लिए वह आम लोगों के लिए भी संगीत सिखाने की शुरुआत करेंगे और संगीत के जानने वालों के लिए तो यहां कक्षाएं होंगी ही. इस संगीत अकादमी को शुरू हुए कुछ एक महीने हो गए हैं. शुरुआती पढ़ाई भी शुरू होने को है. सिर्फ छात्रों की फीस से चलने वाली इस अकादमी में सबसे पहले बैचलर और फिर मास्टर्स की पढ़ाई शुरू की जाएगी. यहां अब कोरिया, ब्राजील, अंगोला, वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका, सभी देशों से संगीत शिक्षक होंगे. एक दो जर्मन भी इनमें शामिल हैं.

संगीत की भौतिकी

यहां पढ़ाई सिर्फ संगीत और वाद्यों की नहीं होगी. बल्कि थ्योरी की पढ़ाई भी होगी. लेकिन अलग अलग संस्कृतियों को एक साथ लाने वाली कोई थ्योरी अभी मौजूद नहीं है. यूरोपीय या पॉप म्यूजिक के संगीत का आधार टोन दुनिया भर में संगीत की बस एक थ्योरी है. इसके अलावा दुनिया में कई अलग अलग संगीत शास्त्र मौजूद हैं. प्रोग्राम डाइरेक्टर और वादक डीटरिष वोरलिन कहते हैं, "एक बार अगर हम सीमाओं से परे जाएं और दूसरी संरचना, शास्त्र पढ़ें तो अचानक सब आसान हो जाता है. सबके लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली थ्योरी, यह भौतिकी है. संगीत सिर्फ कला नहीं है बल्कि निश्चित फ्रिक्वेंसी बनाना भी है."

डीटरिष जानते हैं कि वो क्या कह रहे हैं. उन्होंने हाल ही में जीएमए के लिए तंजानिया में दारेस्सलाम यूनीवर्सिटी में एक वर्कशॉप की है. आने वाले दिनों में इस तरह के वर्कशॉप सामान्य होंगे.

रिपोर्टः आया बाख/आभा मोंढे

संपादनः महेश झा

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