1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हिमालय पर ग्लोबल वॉर्मिंग का असर नहीं!

Priya Esselborn१७ अप्रैल २०१२

दुनिया की सबसे बड़ी पर्वतमाला हिमालय के ज्यादातर हिस्सों पर ग्लोबल वार्मिंग का असर नहीं पड़ा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमालय की बर्फ घटी नहीं, बल्कि कुछ बढ़ गई है. लेकिन क्या है शोध यकीन करने लायक हैं.

https://p.dw.com/p/14eo3
तस्वीर: picture-alliance/dpa

बीते कई सालों से वैज्ञानिक बहस कर रहे हैं कि पश्चिमी हिमालय में ग्लोबल वॉर्मिंग का क्या असर पड़ा है. पश्चिमी हिमालय में भारत, पाकिस्तान और चीन की सेनाएं तैनात हैं. बहुत ज्यादा ऊंचाई, दुर्गम जगह और तीन देशों के विवाद की वजह से वैज्ञानिक वहां जाकर रिसर्च नहीं कर पाते हैं.

फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने पश्चिमी हिमालय के उपग्रह से लिए 3डी नक्शों का सहारा लिया. टीम ने 2000 से 2008 तक के नक्शे देखे और उनका विश्लेषण किया. वैज्ञानिकों के मुताबिक वहां बर्फ में कमी नहीं आई है. बल्कि बर्फ हर साल .11 मिलीमीटर की दर से बढ़ी है.

ARCHIV Siachen Gletscher Pakistan 130 Soldaten von Lawine verschüttet pakistanischer Armeehelikopter
तस्वीर: AP

दक्षिण पूर्वी फ्रांस की ग्रेनोबेल यूनिवर्सिटी की जूली गार्डेले  कहती हैं, "स्पष्ट है कि कारोकोरम की स्थिति बाकी जगहों से अलग है. इसका अर्थ है कि वहां के ग्लेशियर कुछ समय के लिए स्थिर हैं."

रिपोर्ट नेचर जियो साइंस में छपी है. फ्रेंच वैज्ञानिकों के दावे और पाकिस्तान के सस्टेनेबल डेवलपमेंट पॉलिसी इंस्टीट्यूट, इस्लामाबाद के रिसर्च में बड़ा फर्क है. पाकिस्तानी सेंटर का कहना है कि सियाचिन ग्लेशियर के आस पास का इलाका बीते 35 साल में 10 किलोमीटर सिकुड़ चुका है.

कनाडा की ट्रेंट यूनिवर्सिटी के ग्रैहम कोगली कहते हैं, "ऐसा लगता है कि वहां के वातावरण को अभी तक ठीक ढंग से समझा ही नहीं गया है. फिलहाल पहाड़ों पर ज्यादा बर्फ और कम गर्मी है."

हिमालय की सेहत एक अरब लोगों से जुड़ी है. हिमालय से गंगा, यमुना, सिंधु, झेलम, रावी, ब्रह्मपुत्र, व्यास, सरयू, चेनाब और कोसी जैसी जीवनदायी नदियां निकलती है. ये नदियां भारत, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान और बांग्लादेश में रहने वाले करोड़ों लोगों को जीवन देती हैं. यही कारण है कि हिमालय पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों की नजरें टिकी रहती है.

Mount Everest Himalaya
तस्वीर: picture alliance/dpa

इसी साल फरवरी में एक अमेरिकी रिसर्च टीम ने कहा कि हिमालय में तेजी से बर्फ पिघल रही है. अनुमान लगाया गया कि वहां चार अरब टन बर्फ हर साल बिघल रही है. इस रिसर्च के नतीजे की आलोचना हुई, कहा गया कि इसमें आंकड़ों को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया है. इससे पहले आरके पचौरी की अगुवाई में जलवायु परिवर्तन पर आई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया कि 2050 तक हिमालय की बर्फ पिघल जाएगी. उस रिपोर्ट पर भी काफी बवाल हुआ. हालांकि बाद में आईपीसीसी ने मान लिया कि उसके आंकड़ों में भारी गड़बड़ी है.

लेकिन एक बात तय है कि तीन देशों के झगड़े की वजह से हिमालय की असल स्थिति पता नहीं चल पा रही है. विश्व के जलवायु को नियंत्रित करने में बड़ी भूमिका निभाने वाले हिमालय की सेहत उसकी वादियों में जाकर जांचनी होगी. जैसे चेहरे की तस्वीर से अकसर दिल की बीमारी का पता नहीं चलता वैसे ही फोटो, नक्शे या वीडियो देखने से हिमालय की हकीकत पता नहीं चलेगी.

ओएसजे/एनआर (एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी