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चिंता के साथ जर्मनी पहुंचे ओलांद

१५ मई २०१२

फ्रांस के नए राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद यूरो जोन संकट पर बीच का रास्ता तलाशने जर्मनी पहुंचे. यह उनकी पहली विदेश यात्रा है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मुलाकात के बहाने दोनों नेता एक दूसरे की से वाकिफ होंगे.

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फ्रांसोआ ओलांदतस्वीर: AP

हालांकि दोनों के बीच यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब ग्रीस ने गठबंधन सरकार बनाने की सारी कोशिशों के विफल होने के बाद नए चुनावों की घोषणा की है. ग्रीस में 17 जून को दोबारा चुनाव करवाए जाएंगे. जर्मनी के दौरे पर निकलने से पहले ओलांद ने प्रधानमंत्री पद के लिए जां मार्क एरॉल्ट को चुना.

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद ने आर्थिक विकास का वादा किया है और यूरो जोन की बचत नीति में बदलाव की बात की है. जर्मनी साफ शब्दों में कह चुका है कि यूरो जोन की बचत नीति में बदलाव नहीं किया जाएगा. उधर अटलांटिक पार अमेरिका से ओलांद को बधाई संदेश मिला है. अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गाइथनर ने कहा, "हमें यूरोप में विकास की नई बहस का स्वागत करना चाहिए."

इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में यूरो जोन में विकास दर शून्य रही. यह आंकड़ा यूरोपीय आयोग ने हाल ही में जारी किया है. इससे विश्लेषक भी हैरान है क्योंकि उन्होंने कम से कम 0.2 फीसदी विकास दर की अपेक्षा की थी. यूरो जोन एक हद तक मंदी से इसलिए भी उबरता दिख रहा है क्योंकि जर्मनी में विकास दर आधा फीसदी आंकी गई. जबकि फ्रांस में पहली चौमाही शून्य पर अटकी. बीते कुछि सालों की तरह यह शून्य से नीचे नहीं गई.

जर्मनी में चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा कि वह खुली बाहों से ओलांद का स्वागत करेंगी, ठीक वैसे ही जैसे यूरो जोन के दो देश आपस में मिलते हैं. लेकिन उन्होंने जोर दिया कि फ्रांस सहित कर्ज में डूबे देशों को गहरे और कड़े सुधारों की जरूरत है और खर्च में कटौती करने की भी. शायद टैक्स बढ़ाने से ऐसा करना ज्यादा आसान और प्रभावी होगा. ओलांद ने भी माना है कि बजट को ठीक करना जरूरी है लेकिन वह आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले उपायों के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं.

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ओलांद ने कहा कि वह जानते हैं कि उनके सामने क्या चुनौतियां हैं. बहरहाल जर्मन और फ्रांस के शीर्ष नेता अब नीतियों के  मामले में एक दूसरे से बिलकुल अगल दिखाई पड़ते हैं. यूरोपीय सेंट्रल बैंक की भूमिका पर फ्रांसीसी समाजवादी नेता ओलांद और जर्मनी के चांसलर मैर्केल की राय बिलकुल अलग है.

लेकिन जर्मन फ्रांसीसी दोस्ती यूरोपीय एकता का अहम आधार भी रही है. 1950 में फ्रांस के तात्कालीन विदेश मंत्री रॉबर्ट शूमान ने कहा था, यूरोपीय देशों को एक साथ लाने के लिए सदियों से चले आ रही फ्रांसीसी जर्मन दुश्मनी को भूलना होगा. और जो काम हमने हाथ में लिया उसे सबसे पहले फ्रांस और जर्मनी को शामिल होना होगा.  

एएम/ओएसजे (डीपीए, एएफपी)