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जर्मनी में सलाफी कट्टरपंथियों के ठिकानों पर छापे

१५ जून २०१२

जर्मन पुलिस ने सलाफी इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ देश भरे में छापे मारे हैं. एक संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया. जर्मन गृह मंत्री ने इन छापों के बाद देश में आतंकी हमलों की आशंका बढ़ने से इंकार किया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

इस्लाम के कट्टरपंथी सलाफी संप्रदाय से जुड़े संगठनों और लोगों के घरों पर पूरे जर्मनी में छापे मारे गए और कंप्यूटर तथा अन्य सामग्री जब्त कर ली गई. गुरुवार शाम भी छापे जारी रहे. सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने बर्लिन, हैम्बर्ग, बवेरिया, लोवर सेक्सनी, श्लेसविग होलस्टाइन और नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया और हेस्से प्रांतों में छापे मारे. पहले 71 जगहों पर छापा मारने की योजना थी, लेकिन छापों के दौरान मिली जानकारी के बाद 29 और जगहों पर छापे मारे गए और संविधान विरोधी सामग्रियां जब्त की गई. जर्मनी की घरेलू खुफिया एजेंसी के अनुसार श्लेसविग होलस्टाइन में करीब 200 सलाफी हैं जो राजनीतिक गतिविधियों में लगे हैं.

जर्मन गृह मंत्री हंस-पेटर फ्रीडरिष ने गुरुवार सोलिंगन शहर के सलाफी नेटवर्क मिलातु इब्राहिम पर प्रतिबंध लगा दिया. इन छापों के बावजूद गृह मंत्री को आतंकी हमलों का खतरा बढ़ने की आशंका नहीं है. शुक्रवार को उन्होंने कहा कि अकेले लोगों से हमेशा खतरा है, लेकिन पुलिस कार्रवाई के बाद उन्हें हमलों की ठोस योजना की संभावना नहीं दिखती. उन्होंने कहा कि छापों में बहुत सारी सामग्री जब्त की गई है, जिनका सावधानी से आकलन करना होगा.

Razzien gegen Salafisten Innenminister Friedrich verbietet Salafistenverein
गृह मंत्री हंस पेटर फ्रीडरिषतस्वीर: dapd

गृह मंत्री ने सलाफियों के भूमिगत होने की आशंकाओं पर कहा कि प्रतिबंध लगाना समस्या का अंतिम हल नहीं हो सकता. कट्टरपंथी विचारधारा के साथ बौद्धिक स्तर पर भी संघर्ष किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "इस बात का प्रयास होना चाहिए कि सलाफियों के धुंधले विचारों का प्रचार न हो." लेकिन साथ ही उन्होंने दावा किया कि सलाफियों पर गहरी चोट लगी है. सरकार उनके संगठनों को तो़ड़ने, उनकी संरचनाओं को नष्ट करने की हालत में है. और छापों तथा प्रतिबंधों से सलाफी विचार की ओर आकृष्ट हो रहे बहुत से लोग घबरा सकते हैं.

जर्मन संसद के गृहनैतिक आयोग के प्रमुख वोल्फगांग बोसबाख सलाफी विचारधारा को राज्य व समाज के लिए गंभीर खतरा मानते हैं. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ धार्मिक आंदोलन नहीं है, बल्कि राजनीतिक आंदोलन भी है जिसका लक्ष्य लोकतांत्रिक व्यवस्था के स्थान पर इस्लामी धार्मिक राज्य की स्थापना करना है.

जर्मनी की आबादी में मुसलमानों की तादाद 5 फीसदी है. यह देश का तीसरा सबसे बड़ा धार्मिक गुट है. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार जर्मनी में रहने वाले 40 लाख मुसलमानों में से करीब एक प्रतिशत को कट्टरपंथी माना जा सकता है. इनमें सलाफियों की संख्या करीब 5000 है. उनमें करीब सौ धार्मिक प्रचार में लगे हैं जबकि 24 को खतरनाक माना जाता है. घरेलू खुफिया सेवा के प्रमुख हाइंस फ्रॉम्म का कहना है कि हर सलाफी आतंकवादी नहीं है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की जानकारी वाला हर आतंकवादी या तो सलाफी है या किसी सलाफी से उसके संबंध हैं.

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खुले आम कुरान का वितरणतस्वीर: dapd

पिछले दिनों सलाफी संगठनों ने एक बड़ा अभियान चलाकर पूरे जर्मनी में मुफ्त में धार्मिक ग्रंथ कुरान बांटा था. उस समय इस अभियान की काफी आलोचना हुई थी लेकिन गैरकानूनी कार्रवाई न होने के कारण प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की थी. लेकिन करोड़ों की संख्या में मुफ्त कुरान बांटने के इस बड़े अभियान के चलते सलाफियों ने पुलिस और इमकम टैक्स अधिकारियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है.

जर्मन समाज और जनमत लोकतंत्र विरोधी गुटों की गतिविधियों पर बहुत संवेदनशील है. 1930 के दशक में हिटलर की नाजी पार्टी ने अभिव्यक्ति की आजादी के कानून का इस्तेमाल कर यहूदी विरोधी प्रचार शुरू किया था, जिसका परिणाम अंत में नाजियों के सत्ता में आने और यहूदियों के नरसंहार के रूप में सामने आया. कट्टर इस्लामी संगठन शरिया लागू करने की बात करते हैं जिसे जर्मनी में धर्मनिरपेक्ष राज्य के लिए खतरा समझा जाता है.

एमजे/एएम (डीएपीडी, डीपीए)

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