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शादियां दनादन, जाना है लंदन

१४ जुलाई २०१२

ब्रिटेन के नए वीजा नियमों ने पाकिस्तानी लोगों के बीच अंग्रेजी सीखने और शादी करने की होड़ मचा दी है. नए नियमों में नई पाबंदियां हैं और बेहतर जिंदगी की उम्मीद लोगों को वतन छोड़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं दिखा रही है.

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तस्वीर: picture-alliance/Ton Koene

सबसे ज्यादा हलचल है मीरपुर में जहां पाकिस्तान सरकार के मुताबिक करीब दो लाख ब्रिटिश मुसलमानों के परिवारों की जड़ें हैं. ब्रिटेन में करीब 12 लाख पाकिस्तानी मुस्लिम रहते हैं. मीरपुर के करीब चार लाख परिवारों में से करीब करीब हर किसी का रिश्तेदार ब्रिटेन में है. 1960 के दशक में यहां एक बड़ा बांध बना और तब सैकड़ों किसान परिवारों की रोजीरोटी छिन गई. उस वक्त ब्रिटेन को उत्तरी और मध्य इंग्लैंड के औद्योगिक शहरों में मजदूरों की जररूरत थी तो उसने बहुत से परिवारों को वहां बसा दिया.

अब ब्रिटेन में प्रवासियों का मुद्दा बड़ी तेजी से विवाद का रूप ले रहा है इसलिए वीजा और वहां रहने के नियम सख्त हो रहे हैं. इससे पहले कि दरवाजे पूरी तरह बंद हो जाएं मीरपुरवासी वहां रहने के रास्ते तैयार कर रहे हैं.

शादियां कराने वाले कमर कस कर इंतजाम में जुट गए हैं तो अंग्रेजी सिखाने वाले टीचर कई कई शिफ्टों में क्लास ले रहे हैं. वीजा दिलाने वाले एजेंट कागजात का पुलिंदा थामे दूतावासों का चक्कर काटने में जुटे हैं. सारी जल्दबाजी इसलिए कि छह जुलाई से पहले वीजा के लिए आवेदन जमा कर दिया जाए. 9 जुलाई से नए नियम लागू हो गए हैं और इनमें साफ साफ बता दिया गया है कि सालाना 18,600 पाउंड से कम कमाई वाला शख्स अपने जीवनसाथी को अपने साथ ब्रिटेन नहीं ले जा पाएगा. अगर कोई शख्स अपने बच्चे को भी साथ रखना चाहता है तो उसे कम से कम साल भर में 22,400 पाउंड की कमाई करनी होगी. ब्रिटेन की नागरिकता हासिल करने के लिए ब्रिटिश कामगार के विदेशी जीवनसाथी को रिश्ता पक्का है यह बताने के लिए अब दो की बजाय पांच साल तक इंतजार करना होगा. इसके अलावा अंग्रेजी में दक्षता हासिल करनी होगी और ब्रिटेन पहुंचने के बाद वहां एक अलग टेस्ट का सामना करना होगा.

आव्रजन सलाहकार फैसल महमूद ने बताया कि फिलहाल काम जोरों पर है. आम तौर पर हफ्ते में छह से आठ मामले देखने वाले महमूद ने बताया, "मैंने जुलाई के पहले हफ्ते में 53 जोड़ों के आव्रजन के लिए आवेदन में मदद की." पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश लोगों को शादी और छुट्टी मनाने के लिए अप्रैल का महीना मुफीद रहता है क्योंकि इसके बाद उत्तरी इलाकों में गर्मी का प्रकोप शुरू हो जाता है. लेकिन इस बार यहां जून और जुलाई के महीने में ज्यादा शादियां हुईं. एजेंसियों के मुताबिक इस साल करीब 20 फीसदी ज्यादा शादियां हुई हैं. केवल 1 से 6 जुलाई के बीच ही 15 ब्रिटिश शादी के बंधन में बंध चुके हैं.

Muslimische Braut
तस्वीर: AP

यही हाल अंग्रेजी सीखने वालों का भी है. यूके कॉलेज ऑफ इंग्लिश लैंग्वेज के एमडी अली रजा के मुताबिक केवल जून महीने में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में 50 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ. रजा ने बताया, "लड़कों से ज्यादा लड़कियां आई हैं. हर कोई जल्दी अंग्रेजी सीख लेना चाहता है ताकि वीजा अप्लाई कर सके. किसी को उम्मीद नहीं थी कि नया कानून आ जाएगा. लोगों के बीच हड़कंप है."

इस्लामाबाद में ब्रिटिश उच्चायोग का कहना है कि नया नियम लागू होने के पहले अपने जीवनसाथी के साथ रहने और ब्रिटेन में बसने के लिए आवेदनों की बाढ़ आ गई है. इसका नतीजा यह हुआ कि उच्चायोग को आवेदनों को निपटाने में देरी हो रही है. कुछ मामले तो निपटने में छह छह महीने लग जा रहे हैं. जो लोग अंतिम तारीख से पहले आवेदन नहीं कर पाए हैं उनके लिए नया कानून नई अनिश्चितताएं लेकर आया है. 32 साल के नईम लोदी का बचपन से ही लंदन जाने का सपना था. 22 जून को उनकी शादी भी हो गई लेकिन समय पर दस्तावेज पूरे नहीं हो सके और वो आवेदन नहीं कर सके. लोदी ने बताया, "मेरी बीवी जो यहां मुझसे शादी करने आई थी, वो एक महीने में लंदन चली जाएगी. मैं अपने आव्रजन के लिए परेशान हूं क्योंकि उसका वेतन उतना नहीं है जितने की जरूरत है."

एनआर/एजेए (एएफपी)