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पाक न्यायिक आयोग की रिपोर्ट अवैध

१७ जुलाई २०१२

26/11 हमलों की जांच कर चुके पाकिस्तानी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को पाकिस्तान की अदालत ने अवैध करार दिया. रावलपिंडी की अदालत ने रिपोर्ट को सबूत मानने से भी इनकार कर दिया है.

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तस्वीर: AP

रावलपिंडी की आतंकवाद निरोधी अदालत में मुंबई हमलों के सात आरोपियों के खिलाफ 2009 से सुनवाई चल रही है. भारत और पाकिस्तान के संबंध बहुत हद तक इस सुनवाई से ऊपर नीचे होते हैं. भारत आरोप लगाता रहा है कि पाकिस्तान 26/11 हमले की साजिश रचने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है. इस्लामाबाद कहता है कि रावलपिंडी में अदालत अपना काम कर रही है.

लेकिन मंगलवार को एक नया मोड़ आया. लंबी जद्दोजेहद के बाद भारत आए पाकिस्तानी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को आतंकवाद विरोधी अदालत के जज चौधरी हबीब उर रहमान ने अवैध करार दिया. न्यायिक आयोग इस साल मार्च में भारत के दौरे पर गया था. इस दौरान आयोग ने भारत में मुंबई हमलों की सुनवाई करने वाले जज और पुलिस अधिकारियों से बातचीत की. साथ ही हमले में मारे गए आतंकवादियों और आम लोगों के शवों का परीक्षण करने वाले दो डॉक्टरों से भी आयोग ने पूछताछ की.

न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को आरोपी और लश्कर ए तैयबा के कमांडर जकी उर रहमान लखवी ने चुनौती दी थी. मंगलवार को लखवी के वकील ख्वाजा हारिस अहमद ने कहा, "जज ने आयोग की रिपोर्ट को अवैध करार दिया और कहा कि इसे केस रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाएगा. कोर्ट के पास इसका पूरा अधिकार है कि आयोग की रिपोर्ट और उसकी कार्यशैली की समीक्षा करे. अदालत ने फैसला किया है कि रिपोर्ट ठीक से तैयार नहीं की गई है. रिपोर्ट को सबूत के तौर पर नहीं देखा जाएगा."

Indien Pakistan Außenminister Jalil Abbas Jilani in New Delhi bei Ranjan Mathai
जुलाई में नई दिल्ली में मिले भारत-पाक सचिवतस्वीर: dapd

सातों आरोपियों के वकील रिपोर्ट का विरोध कर रहे थे. उनका तर्क था कि रिपोर्ट का 'कोई कानूनी आधार' नहीं है. आयोग को मुंबई दौरे के दौरान गवाहों से सवाल नहीं करने दिया गया. आठ सदस्यों वाले आयोग में अभियोजन और बचाव पक्ष के वकील थे. भारतीय पक्ष का कहना है कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच यह तय नहीं हुआ था कि आयोग गवाहों से सवाल जवाब करेगा.

मुख्य अभियोजक चौधरी जुल्फिकार अली कह चुके हैं कि गवाहों से सवाल जवाब करने के लिए एक और न्यायिक आयोग भारत भेजा जाएगा. माना जा रहा है कि रावलपिंडी की अदालत के फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान गवाहों से सवाल जवाब करने पर राजी हो सकते हैं. वहीं मई में भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों की बैठक में यह तय हो चुका है कि हमलों की जांच के संबंध में भारतीय न्यायिक आयोग पाकिस्तान का दौरा करेगा.

लेकिन फिलहाल कोर्ट के ताजा फैसले को अभियोजन पक्ष की बड़ी नाकामी के तौर पर देखा जा रहा है. नवंबर 2008 के मुंबई हमलों में 166 लोग मारे गए. पाकिस्तान में हमले की साजिश रचने, वित्तीय मदद करने और हमले को अंजाम देने के सात आरोपियों के खिलाफ सुनवाई चल रही है. अदालती कार्रवाई 2009 में शुरू हुई और बीते साल यह करीब करीब ठप रही. अब सुनवाई की अगली तारीख 21 जुलाई तय की गई है.

ओएसजे/एमजे (पीटीआई)

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