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जीते जी देवी बन गईं मायावती

२८ जुलाई २०१२

मायावती अपनी प्रतिमा को तोड़े जाने पर भले आहत हुई हों पर जीवित देवी बनने की इच्छा जरूर पूरी हो गई है. यूपी पुलिस ने उनकी प्रतिमा तोड़ने पर आरोपियों के खिलाफ वही धाराएं लगाई हैं जो मंदिर की मूर्तियों को तोड़ने पर लगती हैं.

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तस्वीर: AP

यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल में उन्होंने बीएसपी कार्यकर्ताओं से कहा था कि मंदिरों में पत्थरों के देवी-देवताओं को पूजने और उनको दान देने के बजाए उन लोगों को वैसा ही सुलूक उन जैसी जीवित देवी के साथ करना चाहिए. बकौल मायावती वे खुद भी तो उनका भला ही सोचती हैं. उनके कल्याण के लिए ही तो संघर्ष करती रहती हैं. भगवान या देवी का काम भी यही बताया जाता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के वरिष्ठ अधिवक्ता रवि सिंह सिसौदिया ने बताया कि ये जरा पेचीदा मामला है. यूपी पुलिस ही क्या देश की किसी पुलिस के हाथ इस मामले में बंधे हुए हैं. क्यूंकि भगवान या इंसान की मूर्तियों के लिए अलग अलग कानून नहीं हैं. उनके मुताबिक आईपीसी और सीआरपीसी में जहां भी जिक्र है, सिर्फ मूर्तियों का है और जहां मूर्तियों या प्रतिमाओं का जिक्र है वहां धार्मिक भावना, सद्भाव, पवित्रता, अपमान जैसे शब्द भी जुड़े हुए हैं.

उधर दूसरी तरफ मायावती की प्रतिमा को तोड़ने आरोप में जिन तीन युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, उन्हें जब सीजेएम राजेश उपाध्याय की कोर्ट में पेश किया गया तो सीजेएम ने कहा कि ये कृत्य बेहद गंभीर है और राजद्रोह के दायरे में आता है. लिहाज़ा उन तीनो पर आईपीसी की धारा १२४-ए यानि राजद्रोह का केस दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. एफआईआर के आलावा मीडिया में आई खबरों पर संज्ञान लेते हुए सीजेएम ने 295 और 124-ए के आलावा 153-ए, 295-ए, 34 , 120 (बी) तथा लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा-3 के तहत मामला दर्ज करते हुए तीनो युवकों की जमानत याचिका खारिज कर दी.

अभी तक कानून के जानकार इसी में उलझे थे कि पुलिस के पास आईपीसी की धारा 295 और 295-ए लगाने के आलावा क्या क्या विकल्प थे जिसमें लिखा है कि " किसी ऐसे धार्मिक स्थल को अपवित्र करने की नियत से अपमानित करने, जिससे कि एक वर्ग की भावनाएं जुडी हुई हों, उसे बर्बाद करने और नुकसान पहुँचाने या ऐसी वस्तु जिसको पवित्र मन गया हो, उससे छेड़छाड़ करने की नीयत से किये गए अपराध के लिए दो साल के कारावास तथा जुर्माना या दोनों का प्रावधान है." इस धारा के मुताबिक, " धर्म, जाति, वर्ग, जन्म स्थान, आवास और भाषा के आधार पर विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य पैदा करने की कोशिश , जिसके तहत पांच वर्ष का कारावास या जुर्माना या दोनों दिये जा सकते हैं.

राजद्रोह का मुकदमा दर्ज होने के साथ अब एक नई बहस शुरू हो गई है कि वास्तव में इस तरह के मामलों में कौन सी धारा लगाई जा सकती हैं.रवि सिंह के मुताबिक राजद्रोह की धाराओं में आजीवन कारावास का प्रावधान है.

उधर लखनऊ के जिला प्रशासन ने बड़ी मशक्कत के बाद छतिग्रस्त मायावती की मूर्ति के स्थान के मायावती की हू-ब-हू दूसरी मूर्ति लगवा दी. साथ ही सरकार ने पूरे प्रदेश में डाक्टर अंबेडकर, कांशीराम और मायावती की मूर्तियों की हिफाजत के आदेश भी जारी कर दिए. पूरे राज्य में मायावती के समर्थकों के प्रदर्शन के बाद शुक्रवार को स्थिति सामान्य रही. बीएसपी के नेताओं ने राज्यपाल बीएल जोशी से मिलकर यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भी कर डाली.

अमित जानी का पता नहीं

इस पूरे मामले का सबसे मजेदार पहलू ये है कि नव निर्माण सेना के अमित जानी ने प्रेस कांफ्रेंस कर जिस समय धमकी दी कि मायावती की मूर्तियां तोड़ी जाएंगी ठीक उसी समय प्रेस कांफ्रेंस स्थल से पांच किलोमीटर दूर गोमती नगर में आंबेडकर स्मारक की मूर्ति तोड़ दी गई. तोड़ने वाले युवक अपने साथ एक स्थानीय चैनल के पत्रकार और अपना वीडियो ग्राफर साथ लाए थे.अमित जानी ने लोकसभा के 2009 के चुनाव में बागपत सीट से समाजवादी पार्टी का टिकट प्राप्त करने के लिए 10 हज़ार रूपये जमा कर आवेदन किया था. कुछ समय पहले मेरठ में उसने एक सम्मलेन किया था जिसमें सपा के नेता शामिल हुए थे. पुलिस उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है. पुलिस ने जिन तीन युवकों को गिरफ्तार किया है वे उस इवेंट मनेजमेंट कम्पनी के हैं जिन्होंने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कराइ थी. पुलिस के मुताबिक अमित जनि का अपराधिक इतिहास भी रहा है.

मायावती के मंदिर

पूर्वी और पश्चिमी यूपी के कई स्थानों में मायावती और कांशीराम के मंदिरों के लिए प्रयास किये जाते रहे हैं, बलिया, मऊ और अंबेडकर नगर में ऐसे कई घर हैं जिनके मुख्य द्वार के एक तरफ मायावती और दूसरी तरफ कांशीराम की मूर्तियां लगी हुई हैं. . साल 2010 में महोबा जिले के एक वकील कन्हैया लाल राजपूत ने अपनी तीन एकड़ भूमि मायावती का मंदिर बनाने के लिए दान देने की घोषणा की थी. अक्तूबर 2007 में एक व्यक्ति एम एल दुसाध ने एक किताब ' मायावती एक जिंदा देवी ' प्रकाशित की थी. इसमें उन्हें माता काली का अवतार बताया गया था. 2009 में एक आर्टिस्ट महेश त्रिपाठी ने अपनी पेंटिंग्स की एक प्रदर्शनी लगाईं थी जिसमें उन्हें देवत्व के अलग अलग रूपों में दर्शाया गया था. हालांकि उससे पहले उन पर एक किताब ' आयरन लेडी ' 1999 में ही प्रकाशित हो चुकी है.

सोनिया-जयललिता के मंदिर

भारत में मायावती अकेली नहीं हैं जिन्हें इतना आदर सम्मान प्राप्त हो कि वे देवी देवता के रूप में नज़र आएं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के मंदिर भी बने हुए हैं. हरियाणा के दानीपुर में सोनिया गाँधी की मूर्ति वाला मंदिर मौजूद है तो चेन्नई में जयललिता का मंदिर मौजूद है. राजकोट में नरेंद्र मोदी की मरती वाल मंदिर मौजूद है.

रिपोर्ट: एस. वहीद, लखनऊ

संपादनः एन रंजन

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