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मंगल पर उतरा क्यूरियोसिटी

६ अगस्त २०१२

मंगल ग्रह पर इंसान के सबसे बड़े प्रयोग का पहला चरण सफल हुआ. 5.7 करोड़ किलोमीटर के सफर के बाद रोबोटिक वाहन क्यूरियोसिटी सफलता से लाल ग्रह की सतह पर उतरा. अब क्यूरियोसिटी मंगल के राज भेदेगा.

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तस्वीर: Reuters

क्यूरियोसिटी की लैंडिंग हॉलीवुड की किसी जबरदस्त साई-फाई फिल्म की तरह हुई. मंगल की सतह से 25 फुट ऊपर एक यान रुका. एक कवच खुला और फिर चेनों के सहारे एक छोटी कार जितना बड़ा रोवर क्यूरियोसिटी धीरे धीरे हवा में झूलता नीचे उतरने लगे. एक टन भारी क्यूरियोसिटी को यान से तीन किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से सावधानीपूर्वक नीचे उतारा गया.

क्यूरियोसिटी 5.7 करोड़ किलोमीटर की यात्रा के बाद मंगल की सतह पर पहुंचा है. मंगल के वातावरण में दाखिल होते वक्त यान की रफ्तार 21,000 किलोमीटर प्रतिघंटा थी. इस रफ्तार को शून्य पर लाने के लिए कई जोखिम भरी कलाबाजियां की गईं. ये सब सात मिनट के भीतर हुआ. लैंडिंग की इस पूरी प्रक्रिया पर ओडिसी उपग्रह से नजर रखी गई. नासा का ओडिसी उपग्रह मंगल की कक्षा में है.

मिशन सफल होते ही नासा की लैब में वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे. मिशन के इंजीनियर एलन चेन ने सबसे पहले सफल लैंडिंग की पुष्टि की, "उतर गये हैं..पक्का. हम मंगल पर सुरक्षित हैं."

NASA Kontrollzentrum Mars Landung Roboter Curiosity
झूम उठे वैज्ञानिकतस्वीर: Reuters

चेन की दी खुशखबरी से नासा के प्रबंधक चार्ल्स बोल्डन ने जोश भरी चीख निकल गई. कुछ मिनटों तक जोश में हल्ला होता रहा. फिर बोल्डन ने कहा, "हम फिर से मंगल पर हैं. यह वाकई अद्वितीय है. यह इससे बेहतर नहीं हो सकता था."

अब अगले पांच घंटों में वैज्ञानिक क्यूरियोसिटी का तकनीकी मुआयना करेंगे. उसके बाद रोवर की मशीनें स्टार्ट की जाएंगी.

यह चौथा मौका है जब नासा का रोवर मंगल की सतह पर उतरा है. क्यूरियोसिटी मंगल पर भेजा गया सबसे बड़ा रोवर है. पहली बार नासा ने 1997 में मंगल पर रोवर भेजा. उसके बाद 2004 में दो रोवर भेजे गए. इन रोवरों ने मंगल से कई तस्वीरें भेजीं. अब आगे की खोज का काम क्यूरियोसिटी करेगा.

NASA Kontrollzentrum Mars Landung Roboter Curiosity
मंगल की कुछ ताजा तस्वीरेंतस्वीर: Reuters

क्यूरियोसिटी के सामने गेल कार्टर पर चढ़ने की चुनौती है. गेल कार्टर मध्य मंगल की एक चट्टान है. इसकी जांच करने के लिए क्यूरियोसिटी को पांच किलोमीटर की चढ़ाई करनी होगी. अब तक की रिसर्च से लगता है कि मंगल की चट्टानों में पानी का अंश मौजूद है. क्यूरियोसिटी के भीतर ही एक प्रयोगशाला है. रोवर पता लगा सकेगा कि क्या मंगल पर एककोशिकीय जीवन फूटा था या इसकी संभावनाएं हैं.

क्यूरियोसिटी प्रोजेक्ट पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के 2.5 अरब डॉलर खर्च हो चुके हैं. क्यूरियोसिटी की सफलता पर नासा के मंगल मिशन का भविष्य टिका है.

रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी (एपी, एएफपी)

संपादन: मानसी गोपालकृष्णन

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