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इतिहास को कुरेदेगा ड्रोन

१० अगस्त २०१२

ड्रोन का नाम सुनते ही खौफ पैदा होता है. अफगानिस्तान में तालिबान की कमर तोड़ने के बाद ड्रोन इतिहास में डुबकी लगाने की तैयारी कर रहा है. ये मानव रहित यान हजारों फीट की ऊंचाई से धरती पर छोटी छोटी चीजें देखने में सक्षम है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

लैटिन अमेरिकी देश पेरू की योजना है कि प्राचीन अंडियान पुरातात्विक अवशेषों को ड्रोन की सहायता से खोजा जाए. इसी महीने इसका परीक्षण भी करने की तैयारी है. समुद्र तल से 4100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माशू लाक्टा कस्बे में इसका परीक्षण होगा. ये कस्बा 16 वीं शताब्दी का है, जिस पर स्पेन का कब्जा था.

प्राचीन अवशेष के परीक्षण में जिस तरीके का इस्तेमाल किया गया है उसे स्केट स्मॉल अनमैन्ड एरियल सिस्टम कहा गया है.

मानव विज्ञानी स्टीवेन वेर्नके और प्रोफेसर जूली एडम्स का कहना है, "माशू लाक्टा एक संरक्षित स्थान है जो इस तरह के अध्ययन के लिए आदर्श जगह है. लेकिन इससे जुड़ी जटिलताओं की वजह से नक्शा समझने के लिए एक आदर्श तरीका विकसित करना होगा. यूएवी पर आधारित तरीका सबसे बढ़िया होगा क्योंकि इसकी सहायता से तेजी से और विस्तृत आंकड़े इकट्ठा किए जा सकते हैं."

परीक्षण के दौरान जिस इलाके का सर्वे किया जाएगा उसका क्षेत्रफल 25 फुटबॉल मैदान के बराबर है. इस पूरे इलाके का सर्वेक्षण करने में एक ड्रोन को महज 10 मिनट का वक्त लगेगा. शोधकर्ता स्केट का परीक्षण अलग-अलग वातावरण में करना चाहते हैं. उन्होंने ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है जो कम लागत पर भू वैज्ञानिक परीक्षणों को आसान बना देगा. अब तक ड्रोन का इस्तेमाल आतंकवादियों के सफाये के लिए ही किया गया है लेकिन अब इसे खोज और वैज्ञानिक कामों में भी लगाया जा रहा है.

ग्लोबल वॉर्मिंग से लेकर प्राकृतिक आपदा जैसी जगहों पर इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है. अगर ये परीक्षण कामयाब हो जाते हैं तो रिसर्चरों को पुरातात्विक महत्व की जगहों का त्रिआयामी आंकड़ा इकट्ठा करने में आसानी होगी. शोधकर्ताओं के लिए डिजिटल आर्काइव भी बनाया जा सकेगा.

वीडी/एजेए (एएफपी)

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