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सेक्स शिक्षा पर बंटा फिलीपीन्स

२४ सितम्बर २०१२

फिलीपीन्स में इन दिनों यौन और प्रजनन बिल पर कड़ी बहस हो रही है. एक बिल जो 14 साल से कानूनी अनिश्चितता का शिकार है क्योंकि कैथोलिक चर्च का भारी विरोध है

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तस्वीर: Fotolia/pressmaster

सांसद रेमंड पालाटिनो हंसते हुए बताते हैं कि बिशप और पादरियों के पत्र उन्हें आते रहते हैं. कई बार तो प्राथमिक विद्यालय के बच्चे उन्हें चिट्ठियां भेजते हैं और अपनी असीम भक्ति के बारे में बताते हैं. "वह मुझसे मांग करते हैं कि मैं रिप्रोडक्टिव हेल्थ बिल को वोट न दूं." 30 साल के पालाटिनो कहते हैं कि इनमें से कई चिट्ठियां धमकी भरी होती हैं.

तीन साल पहले पालाटिनो यूथ पार्टी के सदस्य के तौर पर संसद में चुने गए. तब से वह यौन शिक्षा और प्रजनन स्वास्थ्य प्रस्ताव को पास करने की कोशिश कर रहे हैं. इसे स्वास्थ्य बिल कहा जाता है. इस बिल को सबसे पहले 14 साल पहले रखा गया. लेकिन तब से कानूनी अनिश्चितता का शिकार यह बिल लटका हुआ है. इस बिल के जरिए स्कूलों में यौन शिक्षा, गर्भ निरोधक गोलियों की पहुंच बढ़ाने और जच्चा बच्चा के स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. लेकिन यह बिल किसी भी तरह गर्भपात को कानूनी नहीं करेगा.

खाना या गर्भनिरोधक

फिलीपीन्स में गर्भ निरोधक गोलियां बहुत महंगी हैं और इन्हें खरीदना भी मुश्किल है. एक पैकेट गोलियां 30 से 50 पीसो की आती हैं जो गरीब लोगों के लिए काफी ज्यादा रकम है. ह्यूमन राइट्स वॉच के लिए काम करने वाली अमिना इवांगेलिस्टा स्वानेपोएल कहती हैं, "अकसर गरीब परिवारों को फैसला करना पड़ता है कि वह एक महीने के लिए गर्भनिरोधक दवाई खरीदें या परिवार के लिए एक किलो चावल." आज वह गांव में महिलाओं के लिए काम करने वाले एक एनजीओ के साथ हैं. स्वानेपोएल कहती हैं कि बिल के पास होने से महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार दक्षिण एशिया में फिलीपीन्स में किशोर माताओं की संख्या सबसे आगे है. प्रजनन के दौरान मरने वाली महिलाओं की संख्या पड़ोसी देश वियतनाम से भी ज्यादा है. फिलीपीन्स में महिलाओं की शिक्षा पर तो काफी जोर दिया जाता है लेकिन किशोरियों के अनियोजित गर्भधारण पर कोई चर्चा नहीं होती.

इस बिल के पास न होने का एक कारण चर्च भी है क्योंकि चर्च इसका खुला विरोध कर रहा है. पालाटिनो का कहना है कि चर्च हर संभव तरीके से इस बिल को रोक रहा है.

सांसद एमेलिने अग्लिपे भी इस बात को मानती हैं और उन्हें भी बिल का समर्थन करने पर चर्च के दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा. जब वह स्थानीय चर्च में प्रार्थना के लिए जाती हैं तो पादरी उनकी ओर इशारा करते हैं क्योंकि वह प्रजनन अधिकारों का समर्थन करती हैं. "यह मेरे लिए बहुत शर्मनाक स्थिति होती है."

फिलीपीन्स की राजनीति में चर्च की अहम भूमिका है. अग्लिपे कहती हैं, "वह धर्मावलंबियों को बताते हैं कि किसे वोट देना और किसे नहीं. जब भी कोई इस बिल का समर्थन करता है, चर्च अपनी प्रार्थना के दौरान उस पर इल्जाम लगाते हैं."

उनका कहना है कि चर्च के अधिकारी पूरे देश में पत्र भेजते हैं और कहते हैं कि इन चिट्ठियों को प्रार्थना के दौरान पढ़ा जाए. फिलीपीन्स की 80 फीसदी आबादी कैथोलिक ईसाई है.

लेकिन जब भी कोई बिशप या पादरी बिल के खिलाफ रैली निकालता है तो लोग वहां से चले जाते हैं. अधिकतर फिलीपीन वासी इस बिल का समर्थन करते हैं. लेकिन अग्लिपे का कहना है कि विपक्षी मीडिया को अपनी ओर ले लेते हैं.

बिशप गाब्रिएल रेयेस का कहना है कि गर्भनिरोधकों के प्रचार के कारण यह बिल प्राकृतिक नैतिक ऑर्डर के विरोध में जाता है. हालांकि रेयेस यह भी कहते हैं कि जच्चा और बच्चा के स्वास्थ्य की देखभाल इस बिल का अच्छा मुद्दा है. उनका मुख्य विरोध सरकार के गर्भनिरोधक आसानी से उपलब्ध करवाने और यौन शिक्षा देने के मुद्दे पर है.

गहन बहस

रेयेस का कहना है कि वह यौन शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसमें नैतिकता होनी चाहिए नहीं तो युवा यौन संबंधों में इसका प्रयोग करने लगेंगे इससे गर्भपात का आंकड़ा बढ़ जाएगा. बिल में सुनिश्चित किया गया है कि गर्भपात अवैध है और वह ऐसा ही रहेगा. स्वानेपोएल का कहना है, "यह मुद्दा इतना बंटा हुआ है और इस पर बहस इतनी संवेदनशील हो गई है कि लोग इस बिल की अच्छाई पर बात करने की बजाए गर्भपात के मुद्दे पर आ जाते हैं."

फिलीपीन्स के राष्ट्रपति बेनिग्नो अक्विनो ने बिल का समर्थन किया है. लेकिन अक्तूबर में संसदीय चुनावों के लिए उम्मीदवार अपना मत रखेंगे. और वह उम्मीदवार जो इस बिल पर कोई मत नहीं रखते, वह इस पर कुछ नहीं बोलेंगे. स्वानेपोएल को डर है कि यह बिल एक बार फिर दरकिनार कर दिया जाएगा.वह कहती हैं, "यह दिमाग हिला देता है कि हमें अपने शरीर और अपनी फर्टिलिटी के बारे में फैसला लेने का हक नहीं है." वहीं बिशप रेयेन कहते हैं कि वह बिल पास नहीं होने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.

रिपोर्टः नाओमी कोनराड/आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल