1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ब्रिटेन पहुंची जिंदगी की जंग

१५ अक्टूबर २०१२

तालिबान की गोली का शिकार पाकिस्तानी बच्ची मलाला इलाज के लिए ब्रिटेन पहुंची. बर्मिंघम के क्वीन एलिजाबेथ हॉस्पिटल में उसका इलाज चलेगा. पाकिस्तान का आम आदमी पहली बार तालिबान के खिलाफ खुल कर खड़ा होता दिख रहा है.

https://p.dw.com/p/16Pzm
तस्वीर: Reuters

स्वात घाटी में स्कूल जा रही 14 साल की बच्ची मलाला को तालिबान के बंदूकधारियों ने गोली मार दी है. इस्लामाबाद में चल रहे इलाज के बाद डॉक्टरों ने फैसला किया कि आगे के इलाज के लिए उसे विदेश भेजना होगा. मलाला की स्थिति लंबे सफर को झेलने लायक होने के बाद उसे हवाई एंबुलेंस से लंदन रवाना कर दिया गया है. संयुक्त अरब अमीरात ने खास तौर पर हवाई एंबुलेंस मुहैया कराई है. उसके साथ पाकिस्तान सेना की खास मेडिकल टीम भी है.

पाकिस्तान सेना ने एक बयान जारी कर कहा, "डॉक्टरों के पैनल ने कहा है कि मलाला को यूनाइटेड किंगडम के उस खास सेंटर में भेजना चाहिए, जहां ऐसे बच्चों की देख रेख हो सकती है, जिन्हें कई जगहों पर चोट लगी हो." मलाला को सिर और गर्दन के पास गोली लगी है.

जिंदगी की जद्दोजहद

मलाला बच्चियों की पढ़ाई लिखाई की वकालत करती है और तालिबान इसका विरोध करता है. इसी तकरार में तालिबान ने कायरतापूर्ण हमले में मासूम मलाला पर गोली दाग दी. पूरी दुनिया में इस हमले की निंदा हो रही है. पाकिस्तान सरकार का कहना है कि वह मलाला का जीवन बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है. उसने साथ हमलावरों की जानकारी देने वाले को एक लाख डॉलर इनाम देने का एलान कर दिया है.

Afghanistan Gebete für Malala Yaosofzai Solidarität
तस्वीर: DW

स्वात घाटी में लंबे वक्त से तालिबान का खतरा है और वहां 2007 से 2009 तक उन्होंने अफरा तफरी मचा रखी थी. इसी दौरान मलाला ने एक ब्रिटिश वेबसाइट के लिए ब्लॉग लिखा, जिसकी काफी तारीफ हुई. तब से उसकी लोकप्रियता बढ़ती गई. उस पर हमले के बाद पाकिस्तान की जनता पहली बार खुल कर तालिबान के खिलाफ सामने आई है. कराची में रविवार को हुई एक खास प्रार्थना सभा में 10,000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया और मलाला के सेहतमंद होने की दुआ की. जानकारों का कहना है कि भले ही यह एक दुखद मामला हो लेकिन पाकिस्तान के लिए चेतावनी का सायरन साबित हो सकती है.

मलाला का साथ

मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट यानी एमक्यूएम ने कराची में रैली की, जिसे पार्टी नेता अलताफ हुसैन ने लंदन से टेलीफोन पर संबोधित किया. उन्होंने भी मलाला पर हमले की तीखे शब्दों में निंदा की. उन्होंने लोगों से तालिबान के खिलाफ एकजुट होने की अपील की, जो "देश को गर्त में ले जा रहे हैं." इक्का दुक्का धार्मिक नेताओं ने भी मलाला पर हमले की निंदा की है लेकिन आम तौर पर कट्टरपंथी धड़े ने खुद को इस घटना से अभी भी दूर रखा हुआ है.

फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली मलाला पर कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में बन चुकी हैं. ऐसी ही एक फिल्म में तीन साल पहले उसने कहा था कि वह डॉक्टर बनना चाहती है लेकिन पिता के जोर देने पर वह नेता के तौर पर करियर शुरू करने को राजी हो गई. मलाला खुल कर बच्चियों और महिलाओं की शिक्षा की वकालत करती थी और तालिबान शरीयत की दुहाई देते हुए कहता था कि महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं है. लगातार खतरे के बावजूद मलाला ने तालिबान के खिलाफ बोलना नहीं छोड़ा, जिसके बाद तालिबान नेता मुल्ला फजलुल्लाह ने उसकी आवाज बंद कर देने का फैसला किया.

तालिबान का खतरा

तालिबान ने उसकी मौत के लिए अखबारों में इश्तेहार भी दिए. उसके घर में दरवाजे के नीचे से ऐसे पर्चे भी सरकाए गए, जिसमें उसे चेतावनी दी गई थी. लेकिन मलाला ने सबको नजरअंदाज कर दिया. तालिबान का कहना है कि इसके बाद ही उन्होंने मलाला को मारने के लिए बंदूकधारी भेजा, जबकि उनके खुद के कायदे महिलाओं पर हमले कि इजाजत नहीं देते. दो ऐसे लोगों को स्कूल बस में हमले के लिए भेजा गया, जो वीआईपी को निशाना बनाने के लिए तैयार किए गए थे.

अल कायदा के समर्थन वाला तालिबान लंबे वक्त से पाकिस्तान की सरकार के साथ संघर्ष कर रहा है. उसकी कोशिश है कि पाकिस्तान की चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंके और वहां शरीयत लागू कर दे.

Pakistan Gebete für Malala Yaosofzai Solidarität
तस्वीर: RIZWAN TABASSUM/AFP/GettyImages

मलाला पर हमले के बाद उसे पहले रावलपिंडी के सैनिक अस्पताल में ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने "सफलता से" उसे वेंटिलेटर पर डाल दिया. डॉक्टरों का कहना है कि उसकी टूटी हुई हड्डी को जोड़ने या उसे बदलने में काफी विशेषज्ञता की जरूरत है औऱ उसके बाद भी लंबे वक्त तक उसका ध्यान रखने की जरूरत है. सिर में गोली लगने की वजह से अभी यह साफ नहीं है कि क्या इसका असर मलाला के दिमाग पर तो नहीं पड़ा है.

ब्रिटेन में इलाज

पाकिस्तान ने नहीं बताया है कि उसे ब्रिटेन में कहां ले जाया गया है लेकिन कहा है कि ऐसी जगह भेजा गया है, जहां "बच्चों को लगने वाली चोटों के लिए बहुत अच्छी इलाज की व्यवस्था है." पाकिस्तान सेना की मेडिकल टीम का दावा है कि उन्होंने मलाला की जो न्यूरो सर्जरी की है, वह पक्की रही है और अंतरराष्ट्रीय डॉक्टरों ने भी इसे बिलकुल सही माना है.

उसे पाकिस्तान से भेजते वक्त भी एहतियात बरती गई. आखिर तक नहीं बताया गया कि किस विमान से उसे भेजा जा रहा है. पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक का कहना है, "चूंकि तालिबान ने उस पर दोबारा हमला करने का एलान किया हुआ है, इसलिए फैसला किया गया कि इलाज के लिए उसे भेजे जाने की बात तब तक नहीं बताई जाएगी, जब तक विमान उड़ नहीं जाता."

पाकिस्तान सेना की मेडिकल टीम का कहना है कि उसे ब्रिटेन भेजे जाने के फैसले पर उसके परिवार वालों की राय भी ली गई. तालिबान ने कहा है कि अब वे मलाला के पिता को निशाना बनाएंगे, जो स्वात के मिंगोरा में बच्चियों के लिए स्कूल चलाते हैं.

एजेए/एएम (रॉयटर्स, एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी