1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

म्यांमार की धुन से बावला बर्लिन

१८ दिसम्बर २०१२

म्यांमार की सेना बैरक में लौटी और नेता जेल से बाहर निकले तो आजाद हवा में खुशी के साथ संस्कृतियों की छम छम भी उठी. बर्लिन में बड़े स्टेज पर साइड इफेक्ट ने जब संगीत के तार छेड़े तो गूंज पूरे जर्मनी में सुनाई दी.

https://p.dw.com/p/17463
तस्वीर: DW/Nadine Wojcik

म्यांमार के 'साइड इफेक्ट बैंड' के लिए जर्मनी आकर संगीत बजाना चांद पर ढोल बजाने से कम नहीं था. दशकों से अलग थलग पड़े देश ने बीते सालों में संगीत के रूप में सेना के ड्रम और दुदुंभियों की आवाजें ही सुनी थी. इनसे अलग कुछ था तो हॉलीवुड के मशहूर गानों की धुन पर स्थानीय भाषा में रिकॉर्ड की गई पैरोडी. ऐतिहासिक शहर बर्लिन में जब साइड इफेक्ट का संगीत गूंजा तो युवाओं की मौज किनारों को तोड़ने के लिए मचल उठी.

Rockband Side Effect
तस्वीर: DW/Nadine Wojcik

एक दिन पहले ही उन्होंने हैम्बर्ग के एक छोटे से क्लब में संगीत बजाया था लेकिन बर्लिन की तो बात ही कुछ और थी, बड़ा स्टेज, बड़ी भीड़ और बड़ा जोश. सुरों का जैसे ही आगाज हुआ लोगों के कदम थिरकने लगे और पहला गाना जब तक परवान चढ़ता तब तक तो सारी जनता उछलने लगी. कुछ लोग तो स्टेज पर भी बलखाने लगे. बैंड के प्रमुख गिटार वादक और गायक डार्को सी तो दर्शकों का यह उत्साह देख कर खुशी से हैरान रह गए. वहां मौजूद दर्शकों से कहा, "मेरे सामने पहली बार कोई स्टेज पर आ कर लोटपोट हुआ है.शुक्रिया बर्लिन, आप इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि इन सबका हमारे लिए क्या मतलब है. "

31 साल के डार्को ने 2004 में साइड इफेक्ट को शुरू किया था. द स्ट्रोक्स या द व्हाइट स्ट्राइप्स की याद दिलाते संगीत के खास अपने अंदाज को तैयार करने में उन्होंने अपने ग्रुप के साथ खासी मेहनत की है. सैनिक शासन के दौर में यह काम इतना आसान नहीं था लेकिन पिछले कुछ महीनों में ढीली पड़ती पाबंदियों की रस्सी ने उन्हें उड़ने को आकाश दे दिया है.

Rockband Side Effect
तस्वीर: DW/Nadine Wojcik

म्यांमार बदल रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यहां की जमीन पर ऐतिहासिक कदम रखे हैं, राजनीतिक कैदी रिहा हो रहे हैं, सेंशरशिप फिलहाल ठंडे बस्ते में है और दुनिया के दरवाजे इस देश के लिए खुल रहे हैं. कनाडा में कुछ संगीतकार दोस्तों की मदद से इस गुट ने अपने पहले अलबम के लिए क्राउड फंडिंग वेबसाइट के जरिए पैसा जुटाया. हालांकि आर्थिक पाबंदियों के कारण उन्हें दान में मिले 3,000 डॉलर अब तक उनके पास नहीं पहुंच पाए हैं.

बदलाव का संगीत

साइड इफेक्ट ने जब अपना गीत 'चेंज' बजाना शुरू किया तो बर्लिन की जैसे बावला हो गया. गाना सरल था और दर्शक डार्को के सुर में अपना सुर मिलाने लगे. यह बैंड के कुछ चुनिंदा अंग्रेजी गानों में से है. उन्होंने तो कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि देश के बाहर जा कर कार्यक्रम करने का मौका मिलेगा इसलिए उनकी ज्यादातार रचनाएं स्थानीय भाषा में ही हैं. यह गाना इस मामले में भी थोड़ा अलग है कि इसमें उम्मीदों और आशाओं की बात की गई है. डार्को कहते हैं, "ज्यादातर वक्त में मैं निराश रहा हूं, मुझे जिंदगी बेकार लगती रही क्योंकि इससे बहुत कुछ उम्मीद नहीं जगती है. उदाहरण के लिए अगर आप डिग्री हासिल कर लें तो पश्चिमी देशों में नौकरी मिल जाती है लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं होता. आपके पास चाहे कोई भी डिग्री हो किसी भी नौकरी को आपका इंतजार नहीं है और जीने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. मैं जीने के लिए एक वजह ढूंढ रहा था और वो मुझे वह संगीत में मिली."

Rockband Side Effect
तस्वीर: DW/Nadine Wojcik

2007 में बौद्ध संन्यासियों के विरोध प्रदर्शन ने डार्को पर गहरा असर डाला. उन्हें उम्मीद थी कि संन्यासी शांतिपूर्ण लोग हैं और वो सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी. पर देश में उनकी तरह के ज्यादातर लोगों को निराश होना पड़ा, सरकार ने प्रार्थना कर रहे संन्यासियों पर हिंसक कार्रवाई की. डार्को कहते हैं, "इससे मेरी सोच बदल गई. हमने देश के लिए कुछ करने का निश्चय किया. हम राजनेता नहीं हैं, लेकिन संगीतकार के रूप हम अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकते हैं. इस देश को अच्छे संगीतकारों, कवियों और कलाकारों की जरूरत है."

सेंसर और संगीत

बर्लिन में साइड इफेक्ट को मिली कामयाबी बड़ी बात है लेकिन म्यांमार में केवल संगीत से उनकी जीवन नहीं चल सकता. देश में बहुत कम कार्यक्रम होते हैं और उनमें से ज्यादार में कोई पैसा नहीं मिलता. डार्को और उनकी पत्नी पुरुषों के कपड़े का एक छोटा स्टोर चलाते हैं, ड्रम बजाने वाले त्सेर तू रेडियो के लिए काम करते हैं और डार्को के छोटे भाई 23 साल के जोजफ नाविक बनने की तैयारी कर रहे हैं.

इसी साल अगस्त में देश के सेंसर कानूनों को निलंबित कर दिया गया. इसका बैंड पर बड़ा असर हुआ क्योंकि पहले उन्हें अपने गानों को पहले सरकारी सेंसर विभाग में भेजना पड़ता था. ज्यादातर गानों में हर दिन की निराश सच्चाइयों का जिक्र होने के बावजूद अधिकारी गानों के कई हिस्से काट कर निकाल दिया करते. अब ऐसा नहीं करना पड़ता लेकिन फिर भी मुश्किल कम नहीं. जिस दिन भी बैंड के संगीत में कुछ आपत्तिजनक हुआ डार्को और उनके साथियों को जेल जाना होगा. इस जोखिम के बावजूद संगीकार राहत महसूस कर रहे हैं और आराम से बात कर रहे हैं.

ईमानदार संगीत

डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने वाले एलेक्सांद्र ड्लुत्साक और कार्स्टन पिएफ्के साइड इफेक्ट को जर्मनी ले कर आए. इन लोगों ने अपनी फिल्म "यंगून कॉलिंग" में देश के पंक संगीत को दिखाया था. पिएफ्के कहते हैं कि इन लोगों के बगैर उनकी फिल्म पूरी नहीं हो सकती थी और वह यह भी चाहते थे कि साइड इफेक्ट जर्मनी आए. उन लोगों ने रास्ता ढूंढना शुरू किया और आखिरकार गोएथे इंस्टीट्यूट की मदद ने इस सपने को साकार किया. दोनों देशों के बीच पहले संगीत के साझा कार्यक्रम में जर्मन पंक बैंड प्रिसिलिया सक्स ने साइड इफेक्ट के साथ रिहर्सल किया और फिर साथ में कार्यक्रम दिया.

कंसर्ट के बाद डार्को थोड़े थके जरूर नजर आए लेकिन लोगों के रुख से बेहद खुश भी. डार्को ने कहा, "यहां के लोग बेहद ईमानदार और निष्कपट हैं, ये लोग बेहद शालीन हैं हर बात में शुक्रिया कहते है और साथ ही हर वक्त खुश भी रहते हैं. इनकी ईमानदारी वैसी ही है जैसी 2004 से हमारी संगीत के प्रति रही है."

म्यांमार के लिए साइड इफेक्ट मौज मस्ती में मगन एक छोटा सा गुट है लेकिन डार्को कहते हैं,"जब कोई संगीतकार धैर्य दिखाता है और अपने प्रति सच्चा रहता है तो कभी न कभी उसे इसका श्रेय मिल ही जाता है."

रिपोर्टः नादिन वोज्सिक/ एनआर

संपादनः ओंकार सिंह जनौटी

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी