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क्रिसमस पर इंसानियत को आवाज

Priya Esselborn२४ दिसम्बर २०१२

जर्मन राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने देशवासियों से आपसी एकजुटता की अपील की. उन्होंने कहा कि देश को प्रतिबद्ध नागरिकों की जरूरत है. दूसरे राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने भी अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई की ओर ध्यान दिलाया.

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तस्वीर: Getty Images

क्रिसमस संदेश में बढ़ते सामाजिक अंतरों की ओर ध्यान दिलाते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जर्मनी में लोगों का एक हिस्सा "ऐसे जीवन के मद्देनजर असुरक्षित है जो तेज, भ्रामक और अस्थिर हो गया है." उन्होंने कहा कि अमीरी और गरीबी की खाई बढ़ रही है, जलवायु परिवर्तन और बूढ़ा होता समाज नए जवाब ढूंढ रहा है. "हिंसा भी हमें चिंतित कर रही है." कभी पादरी रहे राष्ट्रपति ने कहा कि इन चुनौतियों को देखते हुए जर्मनी को न सिर्फ सक्षम राजनीतिज्ञों की जरूरत है बल्कि प्रतिबद्ध नागरिकों की भी. उन्होंने देशवासियों से हिम्मत और साहस दिखाने की मांग की है. राष्ट्रपति ने कहा, "राजनीति की भाषा में इसे एकजुटता कहते हैं. धर्म की भाषा में पड़ोसी से प्रेम. लोगों की भावनाओं में यह प्यार है."

क्रिसमस के मौके पर राजनीतिक और धार्मिक नेताओं उन मुद्दों को उठाते हैं जो सामाजिक समरसता के लिए जरूरी हैं. ऐसे मुद्दे जो रोजमर्रा की रेलमपेल में पीछे छूटते चले जाते हैं. आम तौर पर समाज और प्रशासन, जीवन की भौतिकता से जुड़ी चीजों के निबटारे में व्यस्त रहता है, आध्यामिकता और सामाजिक स्थिरता पर चर्चा का कम ही होती है.

Symbolbild Christentum in Deutschland
जर्मनी के चर्च नेतातस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मनी के सबसे बड़े प्रांत नॉर्थराइन वेस्टफेलिया की मुख्यमंत्री हन्नेलोरे क्राफ्ट ने शिकायत की है कि समाज में आदर और शालीनता समाप्त होती जा रही है. उन्होंने बच्चों और किशोरों को सामाजिक मूल्यों की बार बार शिक्षा देने की वकालत करते हुए कहा, "यदि हम ध्यान नहीं देंगे तो हमारे मूल्य धीरे धीरे समाप्त हो जाएंगे." क्राफ्ट ने अमीरों और गरीबों में बढ़ती खाई को समाज के लिए खतरा बताया. उन्होंने इस खाई को कम करने की मांग करते हुए कहा कि ऐसा नहीं होने पर सामाजिक संरचना चरमरा जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि कामगारों को न्यूनतम पगार और पेंशनर को उचित पेंशन देकर हालत सुधारी जा सकती है.

जर्मनी के बड़े चर्चों ने भी समाज में बढ़ते विभाजन की ओर ध्यान दिलाया है और कमजोर तबके के लिए एकजुटता की मांग की है. कैथोलिक बिशप सम्मेलन के प्रमुख रोबर्ट सोलिच ने कहा, "गरीब पीछे छूट रहे हैं और अमीरी कुछेक हाथों में सिमटती जा रही है. यह खतरनाक विकास है." उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सामाजिक अंतर बढ़ते रहे तो अशांति बढ़ेगी. उन्होंने समाजिक न्याय की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा, "हर इंसान को मानवीय आय का मौका चाहिए." उन्होंने कहा कि अधिक आयवालों को उनके कर्तव्य के बारे में ध्यान दिलाने की जरूरत है.

इवांजेलिक गिरजे के प्रमुख निकोलाउस श्नाइडर ने इस पर जोर दिया कि क्रिसमस उम्मीदों का त्योहार है. "हर तरह की नाउम्मीदों के खिलाफ उम्मीद का." बर्लिन के बिशप मार्कुस ड्रोएगे ने भी क्रिसमस के मौके पर गरीबी के खिलाफ ज्यादा प्रयासों की मांग की है. उन्होंने कहा "समाज को अपनी सोच बदलनी होगी और समझना होगा कि ऐसे सामाजिक इलाके भी हैं जिन्हें बाजार के ठंडे नियमों के सहारे नहीं छोड़ा जा सकता." उन्होंने शिकायत की कि सामाजिक बाजार अर्थव्यवस्था तेजी से बाजार अर्थव्यवस्था में बदलती जा रही है.

Kamp-Lintfort Kumpel Zeche Hannelore Kraft
खनिक के साथ क्राफ्टतस्वीर: picture alliance / dpa

हनोवर के बिशप राल्फ माइस्टर ने राजनीतिज्ञों से अधिक दूरदर्शिता की उम्मीद जगाते हुए शिकायत की है कि वे सिर्फ अगले चुनाव के बारे में सोचते हैं. उन्होंने सामाजिक न्याय को आनेवाले दिनों का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बताया और कहा कि आर्थिक विकास का फायदा सिर्फ कुछ लोगों को मिल रहा है. उन्होंने फायदे के समुचित बंटवारे की मांग की.

राजनीतिक और धार्मिक नेता समाज में एकजुटता और न्याय की मांग कर रहे हैं तो कुछ लोग हकीकत में इन प्रयासों में लगे हैं. जर्मनी में क्रिसमस की पूर्व संध्या परिवार के साथ क्रिसमस मनाने का मौका है. इस दिन जिन लोगों का परिवार नहीं है, वे नितांत अकेले होते हैं. कोलोन के निकट वेसेलिंग के पेटर कूहवाइडलर सोलह साल से ऐसे लोगों के लिए 24 दिसंबर के सुबह से खाना बनाते हैं और उन्हें भोज के लिए आमंत्रित करते हैं.

जर्मन गायक फ्रांक सांडर भी सालों से बर्लिन के नामी होटल में क्रिसमस के मौके पर बडे़ भोज का आयोजन करते हैं. भोज के लिए करीब 2,800 गरीब और बेघर लोगों को बुलाया गया था. खाना परोसने वालों में इस साल ग्रीन पार्टी के प्रमुख चेम ओएजदेमीर और बॉक्सर ग्राचियानो रोच्चिगियानी भी थे. ब्रेमेन के निकट हॉर्न में 69 वर्षीया मारिता हॉफ्स पिछले चार साल से क्रिसमस पर भोज का आयोजन कर रही हैं, जिसमें यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र या अकेली मां जैसे लोग हिस्सा लेते हैं, जो क्रिसमस की शाम अकेले नहीं गुजारना चाहते. मारिता हॉफ्स कहती हैं, "मैंने अपने लिए एक नया क्रिसमस पा लिया है.

एमजे/ओएसजे (डीपीए, एएफपी)

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