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मिस्र क्रांति के निराशा भरे दो साल

२५ जनवरी २०१३

अरब वसंत की दूसरी सालगिरह पर मिस्र में फिर से सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए है. दो साल पहले के प्रदर्शनों में शामिल होने वाले आज भी पुलिस दमन और बदतर स्थिति की शिकायत करते हुए बदलाव की मांग कर रहे हैं.

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तस्वीर: AP

तहरीर चौक की नाकेबंदी है. वहां जाने वाले रास्तों पर कंटीले तार और रेत की बोरियां बाड़ की तरह लगी है ताकि हमलों को रोका जा सके. कभी हरियाली भरे मैदान पर प्रदर्शनकारियों के सफेद तंबू हैं. क्रांति की दूसरी वर्षगांठ पर यह चौक सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों का केंद्र बना हुआ है. अब गुस्से का लक्ष्य मुस्लिम ब्रदरहुड की नीतियां हैं.

इब्राहिम केंडेरियान 26 साल के हैं. 25 जनवरी 2011 को, जिसे गुस्से का दिन कहा गया था, वह अलेक्जांड्रिया में थे. वहां से प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया था. इब्राहिम राजधानी पहुंचे थे. 28 जनवरी को वे लगातार बढ़ रही रैली का हिस्सा थे, जो तहरीर चौक की ओर जा रही थी. रास्ते में हिंसा शुरू हो गई. "पुलिस ने हर चीज का इस्तेमाल किया, रबर की गोलियां, आंसू गैस के गोले, हवाई फायरिंग. और फिर वे अपनी गाड़ियों को लेकर प्रदर्शनकारियों पर पिल पड़े." केंडेरियान का कहना है कि एक पुलिस वैन ने उनकी आंखों के सामने दो लोगों को कुचल दिया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने तहरीर स्क्वैयर तक पहुंचने तक हिम्मत नहीं हारी. बहुत से लोगों को अपनी हिम्मत की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी.

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इस्माइलिया में मुस्लिम ब्रदरहुड के मुख्यालय में प्रदर्शनकारियों ने आग लगाईतस्वीर: Reuters

दो साल से जारी हिंसा

लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के पतन के बावजूद आजादी और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने वाले लोगों के खिलाफ सरकार की हिंसा नहीं रुकी. पिछले दो सालों से हिंसा जारी है. इब्राहिम को भी यह अनुभव करना पड़ा है. एक साल पहले एक प्रदर्शन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा. पुलिस के साथ सहयोग करने वाले अपराधियों ने उनका बटुआ चुरा लिया. उन्हें घंटों तक यातना दी गई. "उन्होंने हमारा हाथ मरोड़ा और लगातार पिटाई की. बाद में कुछ लोग आए उन्होंने मुझे मारने की भी धमकी दी."

बहुत से दूसरे मिस्रवासियों की तरह इब्राहिम भी पिछले दो सालों के विकास पर निराश हैं. हालांकि मुबारक को हटा दिया गया, सेना को रोजमर्रे के प्रशासन से बाहर कर दिया गया, चुनाव कराए गए. लेकिन इस बीच इस्लामी कट्टरपंथी सत्ता में आ गए हैं. वे आजादी पर रोक लगा रहे हैं, नए संविधान के साथ देश को बांट दिया है लेकिन गरीबी दूर करने के लिए कुछ भी नहीं किया है. आर्थिक प्रगति की उम्मीदें फिलहाल नहीं हैं. इब्राहिम राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी और उनकी पार्टी पर भी नाराज हैं. "वे कुछ नहीं बदल रहे. और वे किसी की सुनते भी नहीं. लोग मर रहे, वे बस जीना चाहते हैं, खाने को कुछ चाहते हैं."

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राष्ट्रपति मुर्सी से निराश जनतातस्वीर: picture alliance / dpa

बदहाल समाज कल्याण

सड़क से कुछ ही मीटर दूर, जहां एक साल पहले इब्राहिम गिरफ्तार हुए थे, वे एक गैस धमाके की बात बताते हैं. धमाके में उनके पड़ोसी के परिवार के ज्यादातर लोग मारे गए. वे अस्पताल से लौटे हैं. वहां की बुरी हालत है. अस्पताल के बिस्तरों पर तकिया नहीं हैं, डॉक्टर नहीं हैं, खाना नहीं मिलता और सब कुछ गंदा है. मरीजों का वहां इलाज नहीं हो रहा है. "एक स्वास्थ्य मंत्री है, वह क्या कर रहा है. वहां एक औरत ने मुझे बताया कि दूसरी जगहों पर हालत और खराब है."

अजीब विडम्बना है कि रोजमर्रा की जिंदगी में अब तक नहीं हो रही प्रगति ही इब्राहिम को उम्मीद की किरणें भी दिखा रही है. बहुत से लोग अब महसूस करेंगे कि मुस्लिम ब्रदरहुड अपना वायदा पूरा नहीं कर सका, वे स्थिति को जल्द बदलने की हालत में नहीं हैं. "अच्छी बात यह है कि वे खुद अपने को पतन की ओर जा रहे हैं. अपनी गलतियों की वजह से उनका भी वैसे ही पतन होगा जैसे मुबारक का हुआ." इब्राहिम का कहना है कि अब क्रांति के लिए एक नेता खोजने का वक्त आ गया है.

नया विरोध

लेकिन यहां भी पिछले दो सालों में बहुत कुछ नहीं बदला है. विपक्ष कभी एक राय पर आता नहीं दिखा. वह सिर्फ मुस्लिम ब्रदरहुड को नकारने में एकमत है जिसे वह खतरनाक और नकारा मानता है. मोहम्मद अल बारादेई और हमदीन सबाही जैसे जाने माने विपक्षी नेताओं ने भी इब्राहिम को निराश किया है. खासकर अल बारादेई को प्रदर्शनकारियों का पूरा समर्थन था, लेकिन उन्होंने कभी पहल नहीं की, कोई दूरदर्शिता नहीं दिखाई.

क्रांति की दूसरी वर्षगांठ को इब्राहिम विरोध प्रदर्शनों के दूसरे चरण की शुरुआत के रूप में देखते हैं. उनका कहना है कि ज्यादा से ज्यादा मिस्रवासी मुस्लिम ब्रददरहुड की सरकार से निराश होते जा रहे हैं. "जो अभी हो रहा है वह बहुत खतरनाक है. यह एक आमे नावे परमाउ धमाके की तरह है. 25 जनवरी को शुरू होगा और मैं समझता हूं कि 26,27 और 28 जनवरी को बड़ी हिंसा होगी, मुस्लिम ब्रदरहुड के खत्म होने तक.

लेकिन तय नहीं कि वर्षगांठ को क्या होगा. बहुत से मिस्रवासी शांति और स्थिरता भी चाहते हैं और इसीलिए कोई उपद्रव नहीं चाहते. लेकिन मुस्लिम ब्रदरहुड पार्टी पर आम लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने का दबाव काफी बढ़ गया है.

रिपोर्ट: मथियास जाइलर/एमजे

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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