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सियासी संकट में ट्यूनीशिया

७ फ़रवरी २०१३

अरब क्रांति की शुरुआत करने वाले देश ट्यूनीशिया में विपक्षी नेता की हत्या के बाद राजनीतिक संकट गहरा गया है. देश के प्रधानमंत्री ने जो फॉर्मूला दिया था, वह स्वीकार नहीं किया गया और अब शुक्रवार को आम हड़ताल होने वाली है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

देश में इस्लामिक पार्टी सबसे बड़ा राजनीतिक दल है. इसने अपने ही प्रधानमंत्री के उस फॉर्मूला को नकार दिया, जिसके तहत गैर राजनीतिक सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा गया है. विपक्षी पार्टी के बड़े नेता चोकरी बेलाद की हत्या कर दी गई.

इस घटना के बाद ट्यूनीशिया में भारी राजनीतिक उथल पुथल मच गई है. सिर्फ विपक्ष से ही नहीं, अपने ही गठबंधन के अंदर से भी ट्यूनीशिया सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बेलाद को उनके घर के सामने कुछ बंदूकधारियों ने लगातार कई बार गोली मार दी. इसके बाद पूरे देश में धरना प्रदर्शन हो रहे हैं और पुलिस लोगों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ रही है.

प्रधानमंत्री हामदी जेबाली ने देर बुधवार को इस बात का एलान किया कि वह सरकार को भंग कर सकते हैं, जिसके बाद विशेषज्ञों की विशेष टेक्नोक्रैट सरकार बनाई जाएगी, जो अगले चुनाव तक अपना काम कर सके. विपक्षी पार्टियां लंबे समय से इस बात की मांग कर रही थीं.

Proteste gegen Übergangsregierung in Tunis
तस्वीर: Picture-Alliance/dpa

लेकिन गुरुवार को खुद सरकार की पार्टियों ने इस बात का विरोध शुरू कर दिया. देश की सबसे बड़ी पार्टी इन्नहदा के उपाध्यक्ष अब्देल हामिद जालासी का कहना है कि उनकी पार्टी इस प्रस्ताव का विरोध करती है. इस बीच देश के सबसे बड़े मजदूर यूनियन ने शुक्रवार को आम हड़ताल का प्रस्ताव रख दिया है. मुस्लिम देशों में शुक्रवार की हड़ताल बहुत मायने रखती है, जहां जुमे की वजह से सैकड़ों हजारों लोग एक साथ जमा होते हैं.

टूयूनीशिया में करीब तीन दशक तक जिने अल आबेदीन बेन अली का शासन रहा. इसके बाद 2010 के दिसंबर में एक फल विक्रेता ने विरोध करते हुए आत्मदाह कर लिया था. इसके बाद टूयूनीशिया और बाद में अरब के दूसरे देशों में लंबे वक्त से शासन कर रहे तानाशाहों के खिलाफ क्रांति शुरू हुई. बेन अली सऊदी अरब भाग गए, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक गिरफ्तार हैं और उन पर मुकदमा चल रहा है, जबकि लीबिया के नेता मुअम्मर गद्दाफी मारे गए.

हालांकि इस क्रांति के बाद भी इन देशों की स्थिति सुधर नहीं पाई है. ट्यूनीशिया और अरब में सत्ता कट्टरपंथी पार्टियों के हाथ में चली गई है और वहां लगातार राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है.

विपक्षी नेता के मारे जाने के बाद ट्यूनीशिया के गाफसा शहर में दंगे भड़क उठे हैं. लोग पुलिस वालों पर पत्थरबाजी कर रहे हैं और बदले में जवान उन पर लाठियां भांज रहे हैं.

हालांकि राजधानी ट्यूनिस इस हिंसा से दूर है. वहां खराब मौसम चल रहा है और लगातार बारिश हो रही है. इन्नहदा की वेबसाइट पर लिखा है कि जालासी मानते हैं कि देश में अभी भी सक्षम नेतृत्व नहीं है और सरकार में विस्तार की जरूरत है. बेन अली के जमाने में इन्नहदा पर कड़ी पाबंदी थी लेकिन जनवरी 2011 में उनके सत्ता से हटने के बाद स्थिति बदल गई है.

हाल के दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत में गतिरोध आया है और कैबिनेट में फेरबदल की बातचीत बीच में ही अटक गई है. मारे गए नेता बेलाद के रिश्तेदारों का कहना है कि सरकार गुंडों की भर्ती कर रही है ताकि विपक्षी पार्टियों को निशाना बनाया जा सके.

साल भर पुरानी सरकार फिर से मुश्किल में आ खड़ी हुई है. प्रधानमंत्री जेबाली ने जब सभी पार्टियों वाली सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया, तो उनकी तारीफ हुई लेकिन विपक्षी नेता की हत्या के बाद देश एक बार फिर दोराहे पर खड़ा हो गया.

एजेए/एमजी (एपी, एएफपी)

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