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सेना के साथ बढ़ते सू ची के रिश्ते

२७ मार्च २०१३

म्यांमार में विपक्षी नेता आंग सान सू ची ने पहली बार सेना के जनरलों के साथ सालाना सैनिक परेड में हिस्सा लिया जबकि देश में सांप्रदायिक हिंसा जारी है. ह्यूमन राइट्स वाच का आरोप है कि सरकार मानवीय सहायता में बाधा डाल रही है.

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तस्वीर: Reuters

म्यांमार पर पांच दशकों तक शासन करने वाली जिस सेना ने सालों तक विपक्षी नेता का दमन किया, उसने उसी के सामने अपने बल का प्रदर्शन किया जबकि सेना प्रमुख ने कहा कि सेना देश के लोकतांत्रिक परिवर्तन में मदद के लिए राजनीति में शामिल रहेगी. आंग सान सू ची परेड के दौरान पहली कतार में बैठी थीं. उनकी प्रतीकात्मक उपस्थिति दो साल पहले सैनिक शासकों द्वारा बागडोर सुधारवादी सरकार को सौंपे जाने के बाद देश में आए बदलाव को दिखाती है. सेना ने 2011 में ही राजनीतिक नेतृत्व निर्वाचित सरकार को सौंप दिया था, लेकिन इस पर उसका अभी भी पूरा नियंत्रण है कि वह तय करे कि लोकतंत्र और सू ची कितनी दूर तक जा सकती हैं.

Myanmar Burma Birma Nationalfeiertag in Naypyitaw Militärparade
राजधानी में परेडतस्वीर: Reuters

म्यांमार के संविधान में संसद की एक चौथाई सीटें सेना के लिए सुरक्षित हैं, जिसकी वजह से किसी भी महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन में सेना को वीटो अधिकार प्राप्त है. यदि सू ची 2015 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना चाहती हैं तो इसके लिए संविधान को बदलना होगा, क्योंकि उनके पति ब्रिटिश थे और संविधान में विदेशी नागरिकों के रिश्तेदारों पर राष्ट्रपति बनने से रोक है. सेना दिवस के मौके पर सू ची की पार्टी ने सेना से 2008 में बने संविधान को बदलने के लिए विपक्ष के साथ सहयोग करने की अपील की है.

सैनिक परेड में सू ची की उपस्थिति ऐसे समय में हुई, जब राष्ट्रपति थेन सेन देश के समुदायों के बीच भयानक हिंसा का सामना कर रहे हैं जिसमें पिछले हफ्ते 40 लोग मारे गए. पूर्व जनरल थेन सेन ने इसके बाद आपात स्थिति लागू कर दी और हिंसा रोकने के लिए सेना को तैनात कर दिया. मानवाधिकार कार्यकर्ता इस बात से नाराज हैं कि 15 साल तक सैनिक शासन की जेल में रहने वाली सू ची एक साल से चल रही सांप्रदायिक हिंसा पर आम तौर पर चुप्पी साधे रही हैं.

Myanmar Unruhen Flüchtlinge in Mae Surin 24.03.2013
हिंसा से भागे शरणार्थीतस्वीर: Nicolas Asfouri/AFP/Getty Images

2015 में होने वाले चुनावों से पहले सैनिक परेड में सू ची की भागीदारी को सेना के साथ गर्माते रिश्तों के रूप में देखा जा रहा है. उनकी पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रैसी ने इस पर सिर्फ इतनी टिप्पणी की, "उन्होंने परेड में हिस्सा लिया क्योंकि उन्हें बुलाया गया था." सू ची के पिता आंग सान देश की आजादी के हीरो थे और उन्होंने राष्ट्रीय सेना का गठन किया था और ब्रिटिश उपनिवेश के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. जनवरी में सू ची ने स्वीकार किया था कि जातीय संघर्ष में मानवाधिकारों के हनन के आरोपों के बावजूद उन्हें सेना पसंद है.

ताजा जातीय हिंसा के बाद ह्यूमन राइट्स वाच ने आरोप लगाया कि म्यांमार की सरकार व्यवस्थित तरीके से मानवीय सहायता में बाधा डाल रही है और अराकान प्रांत में रोहिंगा मुसलमानों पर भेदभाव वाली नीतियां थोप रही है. मानवाधिकार संस्था ने मांग की है कि सरकार राहत संस्थाओं को मुस्लिम आबादी की मदद की बेरोकटोक अनुमति दे, उन्हें अलग रखने वाले इलाकों को खत्म करे और विस्थापितों की वापसी की योजना पेश करे.

एमजे/एजेए (एएफपी, एपी)

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