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सूडान में भारतीय शांति सैनिकों की मौत

९ अप्रैल २०१३

दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र के एक काफिले पर विद्रोहियों के हमले में पांच भारतीय शांति रक्षकों की मौत हुई है. घात लगाकर किए विद्रोहियों के हमले में चार भारतीय शांति रक्षक घायल भी हुए हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

दक्षिणी सूडान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया, "भारत के पांच शांति सैनिक आज सुबह जोंगलाइ राज्य में हुए हमले में मारे गए हैं. इस हमले में घायलों को हेलीकॉप्टर से जूबा ले जाया गया है." पांच सैनिकों के अलावा सात आम नागरिकों के भी मारे जाने की बात कही जा रही है. संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता लियाम मैक डोवेल ने नागरिकों के मरने की बात तो कही लेकिन संख्या बताने से इनकार कर दिया. हमला जिस काफिले पर हुआ वह दक्षिणी सूडान के पिबोर से बोर शहर जा रहा था.

घायल सैनिकों के इलाज के साथ ही मारे गए भारतीय सैनिकों के शव को वापस लाने के इंतजाम किए जा रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधी और सूडान मिशन की प्रमुख हिल्डे जॉन्सन से मुलाकात कर सारी जानकारी ली और इंतजामों में उनके साथ सहयोग कर रहे हैं.

सूडान में संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में 2,200 शांति सैनिक के दो बटालियन तैनात हैं. इनमें से एक जोंगलाई में है जबकि दूसरा मलाक्कल में. इससे पहले भी इन शांति सैनिकों पर हमला हुआ है. पिछले महीने ही एक भारतीय सैनिक को गोली मार कर घायल कर दिया गया था. भारत एशिया से पहला देश था जिसने दक्षिणी सूडान की राजधानी जूबा में अपना वाणिज्य दूतावास खोला. 2007 में वाणिज्य दूतावास खोलने के बाद 9 जुलाई 2011 को जब दक्षिणी सूडान अलग देश बना तो उसे उसी दिन से मान्यता देने वाले देशों में भारत भी शामिल था. सूडान की आजादी के जश्न में शामिल होने खुद भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भी एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मौजूद थीं. हिल्डे जॉन्सन ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर हमले की निंदा की है. भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में मदद करने वाले प्रमुख देशों में है.  

दक्षिणी सूडान की सैन्य प्रवक्ता कर्नल फिलिप अगुअर ने हमले के लिए विद्रोही नेता डेविड याऊ याऊ के गुट पर आरोप लगाय है. यह विद्रोही गुट पिछले कई महीनों से सक्रिय है. अगुअर ने कहा, "निश्चित रूप से यह हमला डेविड याउ याउ के लड़ाकों ने किया है. वे लोग सूडान की सेना पर भी पिछले छह महीनों से हमला कर रहे हैं."

दक्षिणी सूडान जुलाई 2011 में सूडान से कई दशकों के गृहयुद्ध के बाद अलग हुआ हालांकि दोनों पक्ष अलग होते वक्त भी कई मुद्दों पर सहमति नहीं बना पाए. इनमें तेल के निर्यात और सीमा से जुड़े मामले हैं. सूडान के दोनों ही हिस्सों में अशांति फैली हुई है. दोनों देश एक दूसरे पर अशांति फैलाने का आरोप लगाते हैं. सूडान की राजधानी खारतूम में नेताओं ने इस बात से इनकार किया है कि उनका देश याउ याउ के गुट को हथियार दे रहा है.

एनआर/एजेए(डीपीए, पीटीआई, एएफपी)

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