हवाई जहाज जैसी होगी ट्रेन
१२ अप्रैल २०१३जर्मनी में इको फ्रेंडली और तेज रफ्तार परिवहन पर रिसर्च चल रही है. अब तेज रफ्तार डबल डेकर ट्रेनें बनाने की तैयारी हो रही है. उनमें 1,600 लोग सवारी कर सकेंगे. लेकिन ऐसे में कई चुनौतियां भी हैं. इतने यात्रियों के एक साथ प्लेटफॉर्म पर आने से बहुत भीड़ तो नहीं होगी, सबको चढ़ाने उतारने की वजह से ट्रेन लेट तो नहीं होगी, जर्मनी में परिवहन विशेषज्ञ इन सवालों के जवाब ढूंढने में लगे हैं. दिक्कतों को दूर करते हुए नया कॉन्सेप्ट तैयार किया जा रहा है.
भीड़ पर काबू
भीड़ कम करने के लिए भारी सामान को एयरपोर्ट की तरह पहले ही चेक इन किया जा सकता है. हैंड बैग या छोटा सामान या तो लॉकर में या फिर सीट के नीचे जा सकता है. लेकिन सिर्फ इतना कर देने से सारी समस्या दूर नहीं होगी. जर्मन स्पेस एजेंसी डीएलआर भी इस प्रोजेक्ट से जुड़ी है. डीएलआर के इंजीनियर आंद्रेई पोपा बताते हैं, "सेंकेड क्लास के यात्री निचले तल पर बैठेंगे और फर्स्ट क्लास के ऊपरी मंजिल पर. इससे हमें अहसास हुआ कि अगर चढ़ने और उतरने का काम साथ किया जाए तो समय बचेगा." यानी यात्री एक तरफ से चढ़ेंगे और दूसरी तरफ से उतरेंगे.
दूसरे माले में आने जाने वालों के लिए रैम्प लगाया जा सकता है. यह भी माना जा रहा है कि दो तलों वाला प्लेटफॉर्म इसके लिए ज्यादा ठीक रहेगा.
हर पहिए में मोटर
रिसर्चर ट्रेन के नए लेकिन बेसिक मॉडल पर फिर से विचार कर रहे हैं. नेक्स्ट जनरेशन ट्रेन प्रोजेक्ट के योआखिम विंटर बताते हैं, "हर पहिए की अपनी मोटर होगी. ट्रेन को खींचने के लिए इंजन की जरूरत नहीं पड़ेगी. मोटरों की ताकत पूरी ट्रेन में जाएगी. इससे ट्रेन की गति का समीकरण ही बदल जाएगा. हर पहिया मोड़ों पर मुड़ भी सकेगा, इसकी वजह से शोर भी कम होगा."
सुंरग में होने वाले शोर पर भी ध्यान दिया जा रहा है. विंटर कहते हैं, "सुरंग में हमारी मुश्किल यह है कि जब आप बहुत तेज रफ्तार से घुसते हैं तो ऐसा शोर होता है जैसे किसी पंप को अचानक पूरी ताकत से दबाया गया हो. उससे खांसी जैसी आवाज आती है."
एक प्रयोग के जरिए इंजीनियरों ने इसे कम करने का उपाय निकाला है. अगर सुरंग के सिरों को गोल के बजाए चिमनी जैसा, यानी मुहाने पर चौड़ा और अंदर संकरा बनाया जाए, तो आवाज कम होगी.
साथ ही अगर हर पहिए में अलग मोटर होगी तो बोगियों को जोड़ना और तोड़ना भी आसान होगा. इससे ट्रेन की नाक भी बदल जाएगी, उसमें कपलिंग सिस्टम नहीं रहेगा. इसकी जगह टक्कर सहने वाला सिस्टम लगाया जा सकेगा. एल्युमीनियम के नए ढांचे की वजह से ट्रेन बहुत हल्की हो जाएगी. रिसर्च के कुछ नतीजे मौजूदा ट्रेनों पर टेस्ट किए जा रहे हैं. यानी कहा जा सकता है कि भविष्य की ट्रेन पूरी रफ्तार से करीब आ रही है.
रिपोर्ट: ओ सिंह
संपादन: ईशा भाटिया