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घुसपैठ के आरोपों से भारत-चीन में तनाव

२३ अप्रैल २०१३

भारतीय इलाके में चीनी सेना की घुसपैठ की खबरों के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि मामले को शांति से सुलझाया जाएगा. वहीं चीन का कहना है कि वह तो पहले से ही अपने इलाके में है.

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तस्वीर: Getty Images

भारत ने चीन की सेना पर लद्दाख में नियंत्रण रेखा पार करने का आरोप लगाया है. आरोपों के मुताबिक 15 अप्रैल को चीनी सेना नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय इलाके में 10 किलोमीटर तक घुसी. घुसपैठ लद्दाख के दौलत बेग ओल्दी सेक्टर में हुई. देपसंग घाटी तक पहुंची चीनी सेना ने भारतीय इलाके में टेंट भी गाड़ दिए. इन रिपोर्टों के आने के बाद सीमा पर ही मंगलवार को दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की दूसरी बार बैठक हुई.

सैन्य अधिकारियों की बैठक के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, "हमने चीनियों से कहा है कि वह इस सेक्टर में यथास्थिति बनाए रखें. इसका मतलब है कि घटना से पहले की स्थिति." विदेश मंत्रालय का यह भी कहना है कि सीमा पर तैनात दोनों देशों की सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर आमने सामने होंगी.

आमने सामने का मतलब लड़ाई से नहीं है. 2005 के प्रोटोकॉल के मुताबिक आमने सामने का अर्थ है कि सीमा पर तैनात दोनों देशों की सेनाएं स्थिति को खराब होने से रोकने के लिए संयम के साथ जरूरी कदम उठाएंगी. प्रोटोकॉल का हवाला देते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि ऐसी स्थिति में "दोनों पक्षों को कूटनीतिक और अन्य उपलब्ध रास्तों के जरिए तुरंत परामर्श करना होगा ताकि तनाव को बढ़ने से रोका जा सके."

Map India China disputed borders
अक्साई चीन और अरुणाचल प्रदेश पर विवाद

चीन का कहना है कि वह मामले की पड़ताल कर रहा है. हालांकि सोमवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने ऐसा बयान जारी किया, जिससे भारत चिंता में पड़ गया. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, "सीमा पर तैनात चीन की सीमा दोनों देशों के बीच हुए एलएससी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) करार को मानने के लिए वचनबद्ध है. सीमा पर तैनात हमारी सेना एलएससी के चीनी इलाके में गश्त कर रही है. उन्होंने कभी एलएससी पार नहीं की."

लद्दाख में तैनात अधिकारी त्सेरिंग आंगचुक के मुताबिक भारतीय अधिकारियों से हो रही बातचीत के बावजूद चीन ने भारतीय दावे वाला इलाका खाली नहीं किया है. भारत का आरोप है कि हाल के सालों में चीनी सेना ने कई बार सीमा पार की है. चीन ने भारतीय प्रशासित इलाके में पहचान के तौर पर अपने प्रतीक चिह्न भी बनाए हैं. भारतीय अधिकारियों का कहना है कि इस बार हुई घुसपैठ अभूतपूर्व रूप से गहरी है.

बीते हफ्ते भारतीय विदेश सचिव रंजन मथाई चीन के राजदूत को तलब कर चुके हैं. सोमवार को भारतीय रक्षा मंत्री एके एंटनी भी कहा कि, "भारत अपने हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएगा."

Indien Verteidigungsminister A.K. Antony
एंटनी का सधा बयानतस्वीर: AP

एशिया के ये दोनों पड़ोसी दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले दो देश हैं. दोनों के बीच बीते छह दशकों से सीमा विवाद है. 1962 में इसी विवाद की वजह से दोनों के बीच युद्ध भी हुआ, जिसमें भारत की हार हुई. चीन पूर्वोत्तर भारत के 90,000 वर्ग किलोमीटर इलाके पर अपना दावा जताता है. यह इलाका अरुणाचल प्रदेश में आता है. वहीं भारत का आरोप है कि चीन ने कश्मीर में उसकी 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन कब्जाई है. सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच अब तक 15 दौर की बातचीत भी हो चुकी है लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला.

बीजिंग को तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का भारत में रहना भी नापसंद है. चीन दक्षिण चीन सागर में वियतनाम के साथ काम कर रही भारतीय कंपनियों के रुख से भी नाराज रहता है. वहीं भारत को चीन और पाकिस्तान की दोस्ती तनाव देती है. ढेर सारे मतभेदों के बावजूद दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते अच्छे हैं. 2002 में जहां द्विपक्षीय व्यापार पांच अरब डॉलर था, वहीं 2011 में यह 75 अरब डॉलर हो गया. हालांकि व्यापार संतुलन भी चीन के ही पक्ष में है. माना जाता रहा है कि आपसी कारोबार और तेज आर्थिक विकास भारत और चीन को करीब लाता है, लेकिन न सुलझते भावनात्मक विवाद इस नजदीकी पर हमेशा भारी पड़ते हैं. ये विवाद दोनों देशों के बीच शंका, अविश्वास और दुश्मनी का भाव बरकरार रखते हैं.

ओएसजे/एमजे (पीटीआई, एपी)

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