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मामूली सुधार से ब्रिटेन की मंदी को झटका

२५ अप्रैल २०१३

ब्रिटिश अर्थव्यवस्था की पहली तिमाही में उम्मीद से बेहतर नतीजे बता रहे हैं कि देश ने मंदी को झटका दिया है. खर्च में कटौती की नीति पर चल कर आलोचना से जूझ रही सरकार को राहत की कुछ सांसें मिली हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी विभाग ने गुरुवार को बताया कि अर्थव्यवस्था साल की पहली तिमाही में उससे पहले के तीन महीनों की तुलना में 0.3 फीसदी तेजी से बढ़ी है. आर्थिक जानकारों ने इसके 0.1 फीसदी तेज रहने की संभावना जताई थी लेकिन अनुमानों को पीछे छोड़ इसने लगातार तीन सालों से नीचे जाती अर्थव्यवस्था की लय तोड़ दी है.

खबर बाहर निकली नहीं कि मुद्रा बाजार में पाउंड चढ़ गया. यह चढ़ाई इस उम्मीद पर थी कि अच्छे नतीजे बैंक ऑफ इंग्लैंड के मुद्रा में सुधार की खातिर नए कदमों के लिए उत्साह का माहौल बनाएंगे. डॉलर के मुकाबले पाउंड की कीमत 1.2 फीसदी चढ़ कर प्रति डॉलर 1.5445 पर पहुंच गई.

Symbolbild Britische Pfund
तस्वीर: AP

आर्थिक विश्लेषक क्रिस विलियम्सन ने कहा, "बैंक ऑफ इंग्लैंड के नीतिगत कदमों की संभावना इस उम्मीद से बेहतर नतीजे के कारण अब काफी कम हो गई है." मुद्रा की स्थिति बेहतर करने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड ब्रिटेन के वित्तीय तंत्र में मुद्रा की मात्रा बढ़ा देता है जिससे कि ज्यादा कर्ज और विकास के लिए ज्यादा पैसा मिल सके. हालांकि विलियम्सन ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि ये आंकड़े इस बात का संकेत नहीं हैं कि बहुत तेज वापसी शुरू हो गई है. विलियम्सन ने कहा, "अर्थव्यवस्था पिछले 18 महीनों में थोड़ा कम या ज्यादा लेकिन स्थिर रही है और इससे यह साफ है कि विकास की वापसी सरकार और बैंक ऑफ इंग्लैंड के कंधों पर टिके बोझ को कम करने में कोई खास मददगार नहीं होगी क्योंकि अर्थव्यवस्था को टिकाऊ और तेज विकास चाहिए साथ ही उसमें कोई गड़बड़ी भी नहीं होनी चाहिए."

आमतौर पर मंदी का मतलब है दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था का लगातार सिकुड़ना. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था साल 2012 की आखिरी तिमाही में सिकुड़ी थी और अब नए साल की पहली तिमाही के आंकड़े कह रहे हैं कि अर्थव्यवस्था 1.2 फीसदी की तेजी से बढ़ी है. अर्थव्यवस्था पर निगाह रखने वालों को डर है कि एक और मंदी की खबर लोगों को डरा देगी और कटौती का दायरा बढ़ेगा.

ब्रिटेन की सरकार बड़ी बेताबी से विकास के बड़े आंकड़े जुटाना चाहती है जिससे कि वह खर्च में कटौती के अपने कार्यक्रम को उचित ठहरा सके. अर्थव्यवस्था के आंकड़ों ने उसे खुश होने का मौका दिया है. वित्त मंत्री जॉर्ज ऑसबोर्न ने कहा है, "आज के आंकड़ों से यह उत्साहजनक संकेत मिला है कि अर्थव्यवस्था ठीक हो रही है. हम सब जानते हैं कि पिछले सालों में जो समस्याएं उभरी हैं उनका कोई आसान हल नहीं है और मैं यह वादा भी नहीं कर सकता कि आगे का सफर बहुत अच्छा होगा लेकिन सिर पर मौजूद समस्याओं से लगातार जूझ कर ब्रिटेन सुधर रहा है और भविष्य के लिए उचित अर्थव्यवस्था बन रही है. "

Großbritannien Finanzminister George Osborne
तस्वीर: picture-alliance/dpa

ब्रिटेन की विपक्षी लेबर पार्टी ने ओसबोर्न पर इस बात के लिए दबाव बढ़ा दिया है कि घाटा कम करने के लिए किए जा रहे बजट में कटौती को कम किया जाए. फिलहाल यह आंकड़ा सालाना जीडीपी के 7.4 फीसदी पर है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने संकेत दिया है कि वह आने वाली समीक्षा के दौरान ब्रिटेन पर करीब से निगाह रखेगा. साथ ही यह सलाह भी दी गई है कि सरकार अब अपने खर्च में कटौती की गति पर दोबारा विचार कर सकती है.

गुरुवार के आंकड़ों को करीब से देखने पर पता चला है कि पहली तिमाही में विकास सबसे बड़ी हिस्सेदारी सेवा क्षेत्र की रही है. साथ ही औद्योगिक उत्पादन ने भी खासी मदद की है. निर्माण के क्षेत्र में काफी कमी आई है और उसकी वजह से दूसरे क्षेत्रों में हासिल विकास का असर कम हुआ है. अर्थशास्त्री विकी रेडवुड ने कहा, "आज के आंकड़े कुछ उम्मीद बंधा रहे हैं कि सब कुछ सही दिशा में बढ़नी शुरू हुई हैं." इन सब के बावजूद अर्थव्यवस्था अब भी कमजोर है. महंगाई वेतन की तुलना में ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, जाहिर है कि जीवनशैली का स्तर नीचे जा रहा है और बेरोजगारी अभी भी 7.9 फीसदी की ऊंचाई पर है.

एनआर/एमजे(एपी)

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