1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कुशायर पर कब्जे से मजबूत असद

६ जून २०१३

सीरिया में सरकार समर्थक सेना ने रणनीतिक लिहाज से अहम कुशायर इलाके पर कब्जा कर लिया है. रूस अमेरिका के साथ संभावित शांति वार्ता की स्थिति में राष्ट्रपति बशर अल असद का पाला मजबूत रहेगा.

https://p.dw.com/p/18lFp
तस्वीर: reuters

एक साल पहले कुशायर को विद्रोहियों ने कब्जे में ले लिया था. मध्य सीरिया में कुशायर के लिए करीब तीन हफ्ते की जंग ने साबित कर दिया है कि लेबनानी शिया गुट हिज्बुल्लाह इसमें कितनी बड़ी भूमिका निभा रहा है. हिज्बुल्लाह असद के प्रमुख समर्थकों में है. विश्लेषकों का मानना है कि इस गुट के लड़ाके गुरिल्ला युद्ध में कुशल हैं और असद शासन को जब भी उनकी जरूरत होगी वह उनके लिए मौजूद रहेंगे.

ब्रुकिंग्स दोहा सेंटर के शादी हमीद का कहना है कि शासन अब पहले से बेहतर स्थिति में है जबकि विद्रोहियों का मनोबल टूटा है. हमीद ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा,"कुशायर ने यह साबित कर दिया है कि सत्ता का गिरना तय नहीं है बल्कि हो सकता है कि विद्रोहियों की ही हार हो जाए."

दो हफ्ते पहले हिजबुल्लाह गुट ने कुशायर पर हमला किया था और बुधवार को इसके असद सरकार के कब्जे में आने का एलान कर दिया गया. हजारों लड़ाके, आम लोग और घायल शहर छोड़ कर भाग गए हैं, इनमें से ज्यादातर ने आस पास के विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके में शरण ली है. हमीद ने कहा, "मनोवैज्ञानिक स्तर पर यह बेहद अहम है ना सिर्फ सीरिया के लिए बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी. किसी भी शांतिवार्ता में यह असद सरकार को फायदेमंद स्थिति में रखेगा."

Syrien Konflikt Bürgerkrieg Staatspräsident Baschar al-Assad
तस्वीर: picture alliance/dpa

अंतरराष्ट्रीय समुदाय पिछले महीने से ही रूस अमेरिकी पहल पर शांतिवार्ता के लिए दबाव बना रहा है जिसे जेनेवा 2 नाम दिया गया है. दो साल से चली आ रहे जंग को खत्म करके विद्रोहियों और सत्ता के प्रतिनिधियों को बातचीत की मेज पर लाना इसका लक्ष्य रखा गया है. असद सरकार का कहना है कि वह जेनेवा 2 में शामिल होने के लिए तैयार है जबकि विद्रोहियों का कहना है कि वो हिज्बुल्लाह और ईरानी ताकतों के सीरिया से बाहर निकलने के बाद ही इस बातचीत में शामिल होंगे.

विश्लेषकों के मुताबिक अब कुशायर हाथ से निकलने के बाद विद्रोही शायद ही बातचीत में आने को तैयार हों क्योंकि यह उनके लिए बहुत बुरा समय है. उधर असद सरकार अब दमिश्क, होम्स और अलेप्पो जैसे प्रमुख शहरों को संभावित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से पहले साफ करने की कोशिश करेगी. पेरिस जुड यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र पढ़ाने वाले खट्टार अबू दियाब कहते हैं, "सत्ता इस समय काफी ताकवर नजर आ रही है क्योंकि वह दमिश्क से लेकर तटवर्ती इलाकों तक अपने कब्जे में ले सकती है." सरकार के गढ़ दमिश्क से तटवर्ती इलाकों के बीच कुशायर एक अहम कड़ी है और अब इस पर सरकारी ताकतों का कब्जा है. यह अलावी समुदाय का प्रमुख इलाका है और असद का परिवार इसी समुदाय से आता है.

Syrien 02.06.2013 Aleppo al-Mansoura
तस्वीर: Reuters

हिज्बुल्लाह के हथियारों का जखीरा ईरान से सीरिया के रास्ते आता है और इसके नेता हसन नसरल्लाह ने कुशायर पर हमले से पहले ही एलान किया था कि असद की सत्ता गिरने नहीं दी जाएगी. वैसे जानकार बताते हैं कि हिज्बुल्लाह को ऐसा करने के लिए ईरान से आदेश मिला. इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि हिजबु्ल्लाह की सीरिया में मौजूदगी भले ही कुशायर से साबित हुई हो लेकिन वो सीरियाई सेना के लिए कार्रवाई की योजना जंग की शुरुआत से ही बना रहे थे.

कुशायर पर असद सरकार के कब्जे ने उसकी स्थिति जरूर बेहतर कर दी है लेकिन ऐसा भी नहीं कि सब कुछ उनके हाथ में आ गया है और दो साल से चल रही जंग उन्होंने जीत ली है. मार्च 2011 में शुरू हुए विद्रोह में अब तक 94000 लोगों ने जान गंवाई है. ज्यादातर लोगों का मानना है कि अब यह लड़ाई शायद और लंबी खिंचे क्योंकि बातचीत मुश्किल होगी.

एनआर/एएम(एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी