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आजादी की आवाज बॉब्स

२२ जून २०१३

ग्लोबल मीडिया फॉरम के दौरान बॉब्स में जूरी विजेताओं को इनाम दिए गए. किसमें क्या खासियत थी और इनाम पाकर किसे कैसा लगा, जानिए यहां.

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तस्वीर: DW

ली चेंगपेंग को मीडिया की आदत है. जब उन्हें बॉब्स पुरस्कारों की ट्रॉफी दी गई तो उन्होंने इस बात पर खास ध्यान दिया कि उनकी उंगलियां ट्रॉफी पर लिखे "बॉब्स" को छिपाएं नहीं. लेकिन जब बेस्ट ब्लॉग का पुरस्कार जीतने पर उन्होंने अपनी बात सामने रखी तो उनके बोल दिल को छू देने वाले थे.

ली ने बताया कि चौथी कक्षा के बाद पहली बार उन्होंने इनाम जीता. उस वक्त उन्होंने स्कूल में बताया कि उन्हें रास्ते में पड़ा युआन का सिक्का मिला जिसे उन्होंने पुलिसवाले को दे दिया लेकिन वास्तव में सिक्का उन्होंने अपनी मां की पर्स से चुराया था. चीन में सच बोलने के लिए इनाम नहीं मिलता, ली का मानना है.

Li Chengpeng
ली चेंगपेंगतस्वीर: DW/S.Liu

चीन में लेखक और ब्लॉगर ली सरकार सेंसर के खिलाफ बड़ी आवाज हैं. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे सैंकड़ों चीनी युवा ली की वेबसाइट पर आते हैं. चीन में वेइबो नाम के सर्च इंजिन के नतीजों पर भी सेंसर का साया है. फ्रीवेइबो के जरिए चीन के बाहर कुछ युवाओं ने वेइबो में सर्च नतीजों को सेंसर से आजाद करने की कोशिश की है. फ्रीवेइबो को बॉब्स में बेस्ट इनोवेशन का पुरस्कार मिला.

ली और फ्रीवेइबो की ही तरह मोरक्को में कुछ युवा सरकार के कानून 475 के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं. उन्होंने इसी नाम की फिल्म भी बनाई है. इस मुहिम को बेहतरीन सामाजिक अभियान का इनाम दिया गया. मुहिम में शामिल हूदा लमकद्दम ने इस पुरस्कार को उन सब लोगों के नाम किया जो अपने शरीर पर अपना अधिकार रखने की पैरवी करते हैं. मोरक्को में इस 475 कानून का गलत इस्तेमाल कर बलात्कार पीड़ित महिलाओं की शादी उनके आरोपियों से करा दी जाती है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का इनाम दिया गया टोगो की फाबी कुआसी को. यह ब्लॉगर अपने ब्लॉग में पुलिस अत्याचार के बारे में लिखती हैं. फाबी हाल ही में मां बनी हैं, इसलिए इनाम लेने वह डॉयचे वेले नहीं पहुंच पाईं. लेकिन उनकी जगह उनके भाई इनाम लेने बॉन आए.

Gewinner des Bobs Awards
होदा लमकद्दमतस्वीर: DW/M. Magunia

बांग्लादेश से पहुंची महफूजा अखतर जो इन्फोलेडी नाम के प्रॉजेक्ट के लिए काम करती हैं. बांग्लादेश में साइकलों पर सवार इन्फोलेडी गांवों में जाकर लोगों तक जानकारी पहुंचाती हैं, उनके बैंक के काम करवाती है और महिलाओं को प्रसव में स्वास्थ्य के बारे में बताती है. महफूजा कहती हैं कि वह गांव में लोगों की लगभग हर परेशानी को सुलझा सकती है, चाहे वह इंटरनेट पर डॉक्टर से सलाह लेने की बात हो या किसी को शहर में अपने बच्चों का हालचाल पूछना हो.

इंटरनेट से सहूलियत की बात बहुत होती है लेकिन इसके खतरों पर हम ध्यान नहीं देते. फेसबुक पर जाते हुए, ईमेल चेक करते हुए इंटरनेट हमारी कौन कौन सी जानकारी जमा करता है, हमें पता नहीं चलता. इसे रोकने की तरकीब लिखी गई है 'मी एंड माई शेडो' वेबसाइट पर. इस वेबसाइट को बेहतरीन रचनात्मक ब्लॉग का इनाम दिया गया.

एमजी/एएम(डीडब्ल्यू)

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