कोशिश करते रहेंगे कलमाड़ी
२५ जून २०१३भारतीय खेल मंत्रालय ने दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों के घपले के बाद एशियन एथलेटिक्स असोसिएशन के मौजूदा अध्यक्ष कलमाड़ी से नाता तोड़ लिया है लेकिन मोनैको में अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स संघ ने कलमाड़ी की मान्यता को कायम रखा है. संघ का कहना है कि कलमाड़ी पर अभी सिर्फ इल्जाम लगा हैं इसलिए जब तक कोई अंतिम फैसला न हो, संघ कलमाड़ी पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकता. एशियन एथलेटिक्स असोसिएशन के अध्यक्ष की हैसियत से कलमाड़ी अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स संघ के सदस्य भी हैं.
भारत में एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप दूसरी बार हो रहा है. इससे पहले 1989 में यह प्रतियोगिता दिल्ली में हुई. वैसे इस प्रतियोगिता का आयोजन चेन्नई में होना था लेकिन तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने श्रीलंका के तमिलों के मुद्दे को लेकर फैसला लिया कि प्रतियोगिता में श्रीलंका के खिलाड़ियों को चेन्नई नहीं आने दिया जाएगा. दिल्ली सरकार ने भी खेलों का आयोजन करने से मना कर दिया और करीब एक महीने पहले प्रतियोगिता का आयोजन पुणे में होने की बात हुई.
कलमाड़ी के लिए पुणे एक दैविक वरदान साबित हुआ है. पुणे कलमाड़ी का शहर है जहां से उन्होंने खेलों से रिश्ता जोड़ा है और कांग्रेस का नेता होने की वजह से शहर पर उनकी अच्छी पकड़ है. यहां वे 45 देशों से आने वाले वोटरों की अच्छी खातिर करके चुनाव में जीत हासिल कर सकते हैं.
एशियन चैंपियनशिप में लंदन ओलंपिक खेलों में पदक जीतकर आए खिलाड़ी भी हिस्सा लेंगे लेकिन पुणे खेलों में शायद कलमाड़ी का चुनाव में प्रदर्शन खेल से बड़ा मुद्दा रहेगा. ईरान के डिस्कस थ्रोवर एहसान हदादी, जापान के हैमर थ्रोवर कोजी मुरोफूशी और चीन की शॉटपुट खिलाड़ी गोंग लीजियाओ लंदन में पदक जीतने वाले कुछ खिलाड़ी हैं, लेकिन हो सकता है कि कलमाड़ी इन पर भारी पड़ें.
एशियन एथलेटिक्स असोसिएशन के अध्यक्ष के चुनाव में कलमाड़ी का सीधा मुकाबला कतर एथलेटिक्स फेडरेशन के अध्यक्ष देहलान अल हमाद से होगा. अल हमाद ओलंपिक स्टार सेबास्टियन को और सेर्गेई बुबका के साथ अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स संघ के तीन में से एक उपाध्यक्ष हैं.
अल हमाद एशिया में एथलेटिक्स के विकास को मुद्दा मानते हैं. उनका दावा है की कलमाड़ी ने एशियन एथलेटिक्स के लिये कुछ नहीं किया है. उनका कहना है की कलमाड़ी की बदनामी के कारण एशियन असोसिएशन में स्पॉन्सर नहीं आ रहे. "एशिया में लोग बहुत हैं और आर्थिक रूप से भी एशिया की स्थिति अच्छी है, लेकिन फिर भी एशियन एथलेटिक्स असोसिएशन को स्पॉन्सर नहीं मिल रहे हैं. हमें इसे ठीक करना है और यही मेरा अजेंडा है,'' अल हमाद ने डीडब्ल्यू को बताया.
कलमाडी अभी खामोश हैं, उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. लेकिन एशिया की एथलेटिक्स पर नजर रखने वालों को यह मालूम है कि नेपाल, भूटान, श्रीलंका, अफगानिस्तान जैसे देशों में कलमाड़ी की मजबूत पकड़ है और एशिया में खाड़ी देशों का बढ़ता प्रभाव रोकने के लिये अगर चीन ने मलेशिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और म्यांमार जैसे देशों को कलमाड़ी का साथ देने के लिए मना लिया तो कलमाड़ी एक बार फिर एशियन एथलेटिक्स के अध्यक्ष बन जाएंगे. कुछ भी हो, यह तो तय है की चुनाव खिलाड़ियों के प्रदर्शन से ज्यादा रोचक होगा.
रिपोर्टः नॉरिस प्रीतम
संपादनः मानसी गोपालकृष्णन