1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कुदरती आफत के बाद सेना की मदद

२७ जून २०१३

उत्तराखंड में कुदरती आफत के बाद सेना का संयुक्त रूप से ये अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान बताया गया है. वायु सेना और थल सेना का भी अपने अपने स्तर पर सबसे बड़ा बचाव और राहत अभियान है.

https://p.dw.com/p/18xG2
तस्वीर: Manan Vatsyayana/AFP/Getty Images

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि, “देश के इतिहास में इतना बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन शायद ही कहीं हुआ होगा. 36 हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ये अभियान चलाया जा रहा है.” प्राकृतिक आपदा के दो दिन बाद यानी 18 जून से कार्रवाई शुरू की गई थी और तबसे बदस्तूर जारी है, दिन रात सैनिक परिश्रम, 0लगन और साहस के साथ जुटे हुए हैं और अब इस काम में उनका बलिदान भी जुड़ गया है.

25 जून को शाम ढलने से कुछ समय पहले के वक्त में गोचर से वायु सेना के अत्याधुनिक एमआई17 हेलीकॉप्टर ने केदारनाथ के लिए उड़ान भरी. उसमें 20 लोग सवार थे. इनमें वायु सेना के पांच जवानों के अलावा एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान थे. केदारनाथ में 150 से ज्यादा लाशों के दाह संस्कार के लिए लकड़ियां भी इसमे ले जाई जा रही थीं. वापसी में हेलीकॉप्टर गौरीकुंड के ऊपर संकरी घाटी में उलझ गया, मौसम भी बिगड़ रहा था, विजिबिलिटी कम हो चली थी और बारिश होने लगी थी. पायलट एक जोखिम भरी उड़ान पर था, कुछ ही मिनटों में उसे वापस गोचर लैंड कर जाना था लेकिन इन मिनटों से भी कम समय में इस अभियान के तहत सेना की पहली बड़ी और स्तब्ध कर देने वाली क्षति हो गई.

Indien Überschwemmungen Uttarakhand 25.06.2013
तस्वीर: Manan Vatsyayana/AFP/Getty Images

वायु सेना ने रूस से मिले इस अत्याधुनिक और ऐसे ही विकट हालात में काम करने में सक्षम हेलीकॉप्टर के क्रैश हो जाने की जांच शुरू कर दी है. अधिकारियों ने कहा है, “अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि खराब मौसम से हेलीकॉप्टर गिरा या फिर उसमें कोई तकनीकी खराबी आ गई थी.” वायु सेना के प्रवक्ता जैरेड गोल्वो के मुताबिक, “इस मामले में कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं.” घटना के बाद एयर चीफ मार्शल एनएके ब्राउन ने गोचर स्थित वायु सेना के बेस कैंप का दौरा किया और जवानों का हौसला बढ़ाया. ब्राउन के मुताबिक, दुर्घटनाग्रस्त हेलीकॉप्टर का कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डैटा रिकॉर्डर मिल गया है. उन्होंने कहा, “हमारे जवान नपेतुले जोखिम लेते ही हैं. ये उनका काम है.” ब्राउन ने कहा, “मैने अपने जवानों से कहा है कि लड़ाई की तरह यहां भी आपको बस जुटे रहना है.”

इस घटना से समझा जा सकता है कि वो इलाका कितना दुर्गम रहा होगा जहां एमआई17 जैसा हेलीकॉप्टर भी आखिरकार ढेर हो गया. पायलट अजय प्रकाश का कहना है, “ये एक जंग की तरह ही है जहां मन मुताबिक कुछ नहीं है.” यहां तक कि कोई योजनाबद्ध बचाव आकार भी कभी कभी फॉलो करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि मौसम की उलटपलट है, लगाताकर बारिश और भूस्खलन की घटनाएं हैं. उनके मुताबिक इस समय यह स्थिति "रेस अगेंस्ट टाइम" जैसी है. केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट को पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक वायु सेना ने 1189 और सेना ने 419 उड़ानें भरी.

सेना और वायु सेना के करीब 50 हेलीकॉप्टर इस मिशन "सूर्या होप" में लगाए गए थे. चीता से लेकर अत्याधुनिक बचाव हेलीकॉप्टरों के जरिए सेना मदद पहुंचा रही है. दुनिया का सबसे बड़ा एमआई26 हेलीकॉप्टर भी यहां मदद पहुंचा रहा है. बद्रीनाथ के रास्ते में लामबगड़ के पास हो या गोविंदघाट को घांघरिया से जोड़ने वाला पुल हो या केदार घाटी के विकट रास्ते या गंगोत्री मार्ग पर तबाह रास्ते, सब जगह सेना और आईटीबीपी के जवान रस्सियों के सहारे, अस्थायी रस्सी पुल के सहारे, लकड़ी के तख्तों को उफनते नालों के बीच आरपार डालकर और नुकीली चढ़ाइयों पर हाथ थामते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं. असहाय लोगों और बच्चो बूढ़ों को ये जवान अपनी पीठों पर लादते हुए लाए. जीवित बच कर देहरादून लौटी यशोदा चंदोला ने कहा, “सेना न होती तो जिंदा बच कर नहीं आ सकती थी. वे गणेशचट्टी में फंसी थी, वहां से सेना ने निकालकर ऊखीमठ पहुंचाया, फिर वहां से देहरादून.” सेना के काम से अभिभूत यशोदा जैसे हजारों लोग हैं.

मौसम का जैसा हाल इन दिनों उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में हैं उसमें हेलीकॉप्टर से ज्यादा लोगों को निकाल लाना मुमकिन नहीं हो पाया था. लिहाजा पैदल मार्ग से लोगों को निकाला जा रहा है. लोग कई कई किलोमीटर पैदल चलते हुए आने को विवश हैं. अगले 72 घंटे तक ये काम सेना की मदद से ही हो पाएगा. सुप्रीम कोर्ट में पेश अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि “मौसम अनुकूल रहा तो 72 घंटे में फंसे हुए बाकी यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा.” सेना ने सूर्यो होप नाम से वेबसाइट भी बना दी है, जिसमें तमाम तरह के अपडेट हैं खासकर बचाए गए लोगों के नामों की सूची और नाम खोजने के लिए टूल आदि.

रिपोर्टः शिवप्रसाद जोशी

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें