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यूपी पर मुफ्त लैपटॉप का बुखार

१० जुलाई २०१३

चुनावी वादा पूरा करने के लिए यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने कार्यकाल में लगभग 1.5 खरब रुपए से ज्यादा के लैपटॉप बाटेंगे. यूपी के गांव से लेकर बाजार तक अब बस लैपटॉप की ही चर्चा है.

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तस्वीर: DW/S. Waheed

मुख्यमंत्री बनते ही अखिलेश यादव ने लैपटॉप के बैग पर 'पूरे होते वादे' लिख लैपटॉप बाटने शुरु किए. लैपटॉप का क्रेज इतना बढ़ा कि सीतापुर के वीरपाल ने बाराबंकी के एक प्रधानाचार्य को 15 हजार रिश्वत देकर फर्जी मार्कशीट बनवा लैपटॉप हसिल करने की कोशिश की पर पकड़ गया. ओरैया में लैपटॉप बांटने के कार्यक्रम में एक छात्रा ने अपनी नस काट ली क्योंकि वो मुख्यमंत्री से मिलना चाहती थी.

गाजियाबाद में लैपटॉप बांटने का कार्यक्रम तय हुआ तो सूची में अपना नाम डलवाने के लिए छात्रों के दो गुट भिड़ गए. लखीमपुर की रईसा के लिए लैपटॉप अब तक की उसकी सबसे कीमती चीज है. लखनऊ की सीमा के घर उसे रखने की सही जगह नहीं तो उसने उसे पड़ोसी हामिद को दिया जो उसे रोज तीन घंटे के लिए लैपटॉप देता है और हर महीने किराए के रूप में 700 रुपए भी. फ्री लैपटॉप को बेचने की खबरें भी हैं इसीलिए इटावा के कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिहं यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश ने कहा जो बेचता पाया गया उस पर एफआई आर होगी.

Indien Laptop Kampagne der Regierung von Uttar Pradesh
तस्वीर: DW/S. Waheed

गांव गांव युवाओं में लैपटॉप पाने की ललक है. स्कूल-कालेज में भी बस लैपटॉप ही चर्चा में है. लखनऊ के आईटी ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय शुक्ला कहते हैं कि डेस्कटॉप के ताबूत में आखिरी कील सरकार की निशुल्क लैपटॉप योजना ने ठोंकी. इसने कम्प्यूटर का माहौल तो बनाया पर हर किसी को लैपटॉप ही चाहिए. नेस्को इंफोटेक के शाहिद कहते हैं लैपटॉप का बाजार बढ़ा है पर सरकार की योजना से कुछ खास फर्क नहीं पड़ा. डेल के डीलर वीएम पांडियन मानने को तैयार नहीं कि फ्री लैपटॉप योजना से डेस्कटाप का बाजार चौपट हुआ. लखनऊ में लैपटॉप के मैकेनिक रईस कहते हैं कि इन दिनों उनका काम चमका है.

माइक्रोसॉफ्ट कंपनी इस आईटी क्रांति पर मुम्बई की इंडियन मार्केट रिसर्च ब्यूरो आईएमआरबी से अध्ययन करा रही है कि आखिर इसका असर क्या है.लैपटॉप खरीदने और बांटने की जिम्मेदारी उठा रहे इलेक्ट्रॉनिक्स कार्पोरेशन के विश्व के सबसे बड़े टेंडर में एचसीएल, लेनेवो और एसर को पीछे करते हुए एचपी ने लैपटॉप की कीमत 19 हजार 58 रुपए रखी. जबकि बाजार में लैपटॉप के दाम 25 से 30 हजार तक हैं. सचिव आईटी जीवेश नंदन के मुताबिक एचपी को यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन अब तक 15 लाख लैपटॉप के आर्डर दे चुका है. इस वर्ष 11 जिलों में 80 हजार लैपटॉप मुख्यमंत्री बांट चुके हैं और करीब 14 लाख बंटने बाकी हैं.

Indien Laptop Kampagne der Regierung von Uttar Pradesh
तस्वीर: DW/S. Waheed

छात्रों की विशाल संख्या अब समस्या बन रही है. यूपी बोर्ड से इंटर पास कर साढ़े 22 लाख छात्रों की फौज इस साल फिर तैयार हो गई. दूसरे बोर्डों से भी करीब एक लाख छात्रों ने इस साल इंटर किया है. इनमें करीब दो तिहाई यूपी में ही आगे पढ़ेंगे तो 17-18 लाख लैपटॉप सरकार को देने होंगे. अगर हर साल औसतन कम से कम 15 लाख लैपटॉप का ही लक्ष्य मान लिया जाए तो सपा सरकार 2017 तक एक खरब, 42 अरब 50 करोड़ रुपए के करीब 75 लाख लैपटॉप बांट चुकी होगी.

बीएसपी नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा लैपटॉप का घाटा भरने के लिए सरकार ने बिजली के दाम 35 फीसदी बढ़ा दिए. बीजेपी प्रवक्ता विजय पाठक इसे लॉलीपाप कहते हैं. इसे बांटने के खर्च पर बोले 'दो टके की बुलबुल नौ टके हुसकाई' की कहावत को चरितार्थ कर रही है सपा सरकार. हालांकि सरकार ने अब बिना मुख्यमंत्री के लैपटॉप वितरण करने का फैसला किया है क्योंकि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम पर जितना खर्च होता है वो उसमें बंटने वाले लैपटॉप से कई गुना ज्यादा है.

रिपोर्ट: एस. वहीद, लखनऊ

संपादनः एन रंजन

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