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बटुए से नहीं सेलफोन से खरीदारी

१५ अगस्त २०१३

नगदी के दिन लद रहे हैं. भविष्य के बाजार में पैसा देने के लिए सेल फोन का ही इस्तेमाल होगा. इस समय इसके लिए कई सिस्टम पर काम चल रहा है, लेकिन अंत में इस रेस में कुछेक ही बचेंगे.

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स्मार्टफोन अब यूनिवर्सल मशीन बनने की राह पर है. टेलिफोन करने के अलावा फोटो खींचने और इंटरनेट सर्फिंग के लिए इसका इस्तेमाल तो हो ही रहा है, भविष्य में इसके साथ और क्या क्या किया जा सकता है, उसके लिए विचारों की कमी नहीं है. घर में इलेक्ट्रिक उपकरणों के नियंत्रण से लेकर कार से डाटा पाने तक जिसे सीधे वर्कशॉप को भेजा जा सकेगा. अगर विशेषज्ञों की चले तो वे सेल फोन को मनीबैग बना दें. (मोबाइल पर देखेगा डॉक्टर)

फिर असली धन बैंक में या घर पर रखा रह सकता है. जिसे खरीदारी करनी है, वह बटुए के बदले अपना स्मार्टफोन उठाएगा और मोबाईल पेमेंट कर देगा. यह सिर्फ कल्पना ही नहीं है, तकनीकी तौर पर तो आज भी संभव है लेकिन बाजार फिलहाल शुरुआती दौर में है, जिसमें विभिन्न प्रोवाइडरों ने अलग अलग मॉडल रेस में भेज रखा है. फिलहाल यह साफ नहीं है कि कौन सा मॉडल बाजी मारेगा और सफल रहेगा. जर्मनी में सेल फोन प्रोवाइडर ओ2 और डॉयचे टेलिकॉम के अलावा विभिन्न क्रेडिट कार्ड प्रोवाइडर, सैमसंग और एपल जैसी आईटी कंपनियां तथा पे पाल और गूगल जैसी इंटरनेट कंपनियां पेमेंट के लिए अलग अलग सिस्टम पेश कर रही हैं.

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तस्वीर: SumUp

टेस्ट फेज के लक्ष्य

इस समय अलग अलग तरीकों जरिए मोबाईल पेमेंट को लोकप्रिय करने की कोशिश चल रही है. जर्मन आईटी संगठन बिटकॉम के श्टेफेन फॉन ब्लूमरोएडर कहते हैं, "लेकिन साल के शुरू में इस मुद्दे को एनएफसी (नीयर फील्ड कम्युनिकेशन) के आधार पर आगे बढ़ाने के लिए बड़ी दूरसंचार कंपनियों और कुछ कारोबारियों के साथ एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा." इसमें सेलफोन में लगा एक चिप दुकानदार के पेमेंट सिस्टम के साथ कनेक्ट हो जाता है और डिजीटल पेमेंट हो जाता है. ब्लूमरोएडर को विश्वास है कि यह सिस्टम आखिरकार लोकप्रिय हो जाएगा.

इस भरोसे की वजह ये भी है कि बिटकॉम खुद इस प्रोजेक्ट में हिस्सेदार है लेकिन सुपरबाजार चेन एडेका ने अपना खुद का एक सिस्टम शुरू किया है. एडेका और नेटो के सुपरबाजारों में पहले से पंजीकृत हो चुके ग्राहक स्मार्टफोन की मदद से पेमेंट कर सकते हैं. इसका एक फायदा यह है कि इसमें डिसकाउंट का हिसाब अपने आप हो जाएगा. ग्राहकों को कूपन इकट्टा करने के परेशान करने वाले सिस्टम से छुटकारा मिल जाएगा. दिक्कत यह होगी कि इस रजिस्ट्रेशन का फायदा ग्राहक सिर्फ एडेका और नेटो की दुकानों में उठा पाएगा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

आसान सिस्टम से फायदा

बर्लिन की स्टार्टअप कंपनी समअप के मैनेजिंग डाइरेक्टर यान डीपेन कहते हैं, "हमारा मानना है कि अंत में वही तकनीकी मान्य होगी जो ग्राहकों के लिए सबसे आसान होगी. ग्राहकों को न तो कई गजेट की जरूरत होनी चाहिए और न ही कई ऐप्स की." समअप कंपनी डेढ़ साल से बाजार में दुकानों के जरिए घुसने की कोशिश कर रही है. वह छोटी और मझोली दुकानों को स्मार्टफोन के साथ जोड़ने के उपकरण बेच रही है, जिसकी मदद से दुकानदार पेमेंट ले सकें.

ज्यादातर छोटी दुकानों के लिए इस समय उपलब्ध तकनीक की मदद से बैंक कार्ड या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट लेना बहुत ही महंगा पड़ता है. समअप सिस्टम में दुकानदार को अपने स्मार्टफोन या टैबलेट पर सिर्फ एक ऐप डाउनलोड करना पड़ता है, खुद को रजिस्टर करना पड़ता है और उसके बाद उन्हें एक कार्डरीडर भेज दिया जाता है. कार्डरीडर को अपने फोन या टैबलेट से जोड़कर वह कार्ड से पेमेंट ले सकता है. बर्लिन की स्टार्टअप कंपनी के पास अकाउंटिंग के लिए भी सिस्टम है.

पहले दुकानदार फिर ग्राहक

समअप का अगला कदम ग्राहकों को सेलफोन की मदद से ऐप के जरिए पेमेंट की सुविधा देना है. ग्राहक इस ऐप में अपने क्रेडिट कार्ड या बैंक कार्ड की जानकारी देगा. दुकानदार के पास एक दूसरा ऐप होगा जिसके जरिए वह ग्राहक के ऐप के साथ संपर्क कर सकेगा. समअप कंपनी के प्रमुख डीपेन ने डॉयचे वेले को बताया, "यह सिस्टम बन चुका है, लेकिन इस समय उसका टेस्ट चल रहा है. हमने उसे फिलहाल बाजार में नहीं उतारा है."

आइडिया यह है कि पेमेंट के लिए स्मार्टफोन को भी जेब से बाहर निकालने की जरूरत नहीं रहेगी. इसके अलावा कुछ अतिरिक्त सुविधाएं भी होंगी. मसलन यह सिस्टम जियोडाटा का इस्तेमाल कर कॉफीहाउस को यह बता पाएगा कि उसका पुराना ग्राहक आया है. सेल्समैन को ग्राहक की तस्वीर और उसकी प्यारी ड्रिंक की जानकारी प्लैश हो जाएगी. सत्यापन के लिए वह ग्राहक के चेहरे की ओर देखेगा और पैसा देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

सही तादाद का इंतजार

इस तरह का ऐप बाजार में तभी अपनी जगह बना पाएगा जब पर्याप्त तादाद में दुकानदार उसे लागू करेंगे. डीपेन कहते हैं, "इसलिए हमारे नजरिए से वे उद्यम सफल होंगे जिनके पास कारोबारियों का व्यापक आधार होगा." अब तक दुकानदारों का इस तरह का कोई नेटवर्क नहीं है, इसलिए ग्राहकों के लिए पेमेंट ऐप को डाउनलोड कर उसका इस्तेमाल करने का कोई प्रोत्साहन भी नहीं है. समअप मोबाइल क्रेडिट कार्ड सोल्यूशन के जरिए रिटेलर्स का नेटवर्क बनाने की कोशिश कर रहा है. डीपेन कहते हैं कि जर्मनी में उनके दसियों हजार ग्राहक हैं, जबकि रूस सहित जिन 11 देशों में कंपनी सक्रिय है, वहां भी नेटवर्क बनाने के प्रयास हो रहे हैं.

अपने रिटेलर्स नेटवर्क को फैलाने के लिए समअप क्रेडिट कार्ड कंपनी अमेरिकन एक्सप्रेस और डिसकाउंट वेबसाइट ग्रुपोन के साथ सहयोग कर रही है. प्रतिद्वंद्वी भी सोए नहीं हैं. पिछले साल कई कार्ड रीडर कंपनियां खुली हैं. प्रमुख अमेरिकी कंपनी स्क्वैयर के अलावा पेलीवेन और स्कैंडेनेविया की आईसेटेल बाजार में आई हैं. बिटकॉम के ब्रूमरोएडर के अनुसार ये बहुत ज्यादा हैं. वे कहते हैं, "बाजार में सफाई होगी." एक दशक पहले की तरह जब ऑक्शन प्लेटफॉर्म ईबे रिकॉर्डो डॉट डीई जैसी कंपनियों का सफाया करने में कामयाब रहा था. लेकिन डीपेन समअप के लिए खतरा कहीं और ही देखते हैं, "हमारा मुख्य प्रतिद्वंद्वी नगदी है." जर्मनी में अभी भी दुकानों में आधे से ज्यादा पेमेंट नगद में होता है.

रिपोर्ट: इंसा व्रेडे/एमजे

संपादन: निखिल रंजन

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