1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

एशिया में बढ़ते अफ्रीकी

१६ अगस्त २०१३

पिछले सालों में एशियाई देशों के आर्थिक विकास के साथ अफ्रीका से भारी संख्या में लोग आ रहे हैं. भारत में भी पढ़ने और काम करने आने वाले अफ्रीकियों की संख्या बढ़ी है. लेकिन उनके साथ भेदभाव भी होता है. मलेशिया भी अपवाद नहीं.

https://p.dw.com/p/19R8S
तस्वीर: Getty Images

पिछले साल 70,000 अफ्रीकी मलेशिया गए. उनमें से बहुतों को बेहतर जिंदगी मिल गई है, लेकिन कई अभी भी दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे बड़े शहरों में शामिल कुआलालम्पुर में परेशानियां झेल रहे हैं. रोबर्ट अडेसीना हर सुबह काम करने ट्रेन से सेंट्रल कुआलालम्पुर जाते हैं. जैसे ही वे डब्बे में घुसते हैं, सारी निगाहें उनकी ओर मुड़ जाती हैं. वे डीडब्ल्यू को बताते हैं, "यह हर रोज होता है. उन्हें लगता है कि मैं कोई बाहरी दुनिया का हूं."

नाइजीरिया के अडेसीना ट्रेन में एक महिला के बगल में बैठते हैं. वह बदबू की आशंका से अचानक अपने हाथों से मुंह ढक लेती है. वे बताते हैं, "यह दरअसल बहुत ही दिलचस्प है. आप सोचेंगे कि बच्चे उन लोगों को देखकर इस तरह का बर्ताव करेंगे, जिन्हें उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है. लेकिन वयस्क लोग हर समय इस तरह का व्यवहार करते हैं. इस देश में अफ्रीकियों के बारे में लोगों का अज्ञान आश्चर्य में डालने वाला है."

Afrikaner in Malaysia
तस्वीर: DW/N. Abdullahi

बहुत से अफ्रीकी आप्रवासियों को मलेशियाई समाज में घुलने मिलने में मुश्किल हो रही है. मलेशिया के इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के अनुसार 2012 में 79,352 अफ्रीकी मलेशिया में घुसे. इसके अलावा 25,467 अफ्रीकियों को सरकारी या गैरसरकारी संस्थानों में पढ़ने के लिए स्टूडेंट वीजा दिया गया. चाहे वे पढ़ रहे हों या काम कर रहे हों, अफ्रीकी आप्रवासियों का एक ही सपना है, मलेशिया में बेहतर जिंदगी.

संघर्ष करते कामगार

मलेशिया में ज्यादातर अफ्रीकी कामगार संघर्ष कर रहे हैं. शहर के बाहर मेरी मुलाकात माइकल ओनी से होती है. उसके पास स्टूडेंट वीजा है. कोई पूछे तो वह बताते है कि वह स्थानीय यूनिवर्सिटी में इकॉनॉमिक्स की पढ़ाई कर रहे है, लेकिन नाइजीरिया में उसके पिता समझते हैं कि वह काम कर रहा है. वे बताते हैं, "मैं अपने को किसी अफ्रीकी आंकड़े जैसा महसूस करता हूं, जिस पर आपको दुख और खेद होता है, दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करता एक और अफ्रीकी." वे बताते हैं कि नाइजीरिया में कोई जिंदगी नहीं है. "मैं यहां अच्छा करना चाहता हूं, बेहतर इंसान बनना चाहता हूं, कुछ कमाना चाहता हूं."

माइकल ओनी बताते हैं कि उन्हें नाइजीरिया के कुछ आपराधिक गैंग्स ने काम की पेशकश की है, जो ड्रग्स या सेक्स रैकेट चलाते हैं. लेकिन मलेशिया में ड्रग्स के साथ पकड़े जाने वाले के लिए मौत की सजा है. इसलिए वे ऐसे कामों में नहीं पड़ना चाहते. हालांकि मलेशिया में रहने वाले अफ्रीकियों का बड़ा हिस्सा कानूनी तौर पर वहां रहता है और काम या पढ़ाई करता है, लेकिन अपराध और हिंसा में फंसे कुछ लोग भी हैं. डीडब्ल्यू को शहर के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय एक गैंग के सदस्यों से मुलाकात का मौका मिला.

Sechs Migranten sterben auf dem Weg nach Sizilien
तस्वीर: picture-alliance/dpa

संगठित अपराध

इस गैंग के सरगनाओं में एक नाइजीरिया का है और मलेशिया में अवैध रूप से रहता है. उसने वापस भेजे जाने के डर से अपना नाम तो नहीं बताया, लेकिन कहा कि सिर्फ अपराध के जरिए ही वह इस देश में रह सकता है. "क्या आप सोचते हैं कि मैंने कुआलालम्पुर में पैसे कमाने का वैध रास्ता नहीं आजमाया? मैं इन एशियनों के लिए सिर्फ काला बंदर हूं. वे मेरी आंखों में भी नहीं देखते." वह बताता है कि पहले उसने पढ़ने की कोशिश की ताकि पढ़कर कोई काम कर सके. "यह मेरी योजना थी, लेकिन यहां पढ़ना भी बहुत मुश्किल है. देखिए मुझे ड्रग बेचकर बहुत पैसा मिलता है, यदि कमाने का यही रास्ता है तो रहे."

घाना दूतावास के एक कर्मचारी कोफी आडो बताते हैं कि मलेशिया में रहने वाले अफ्रीकियों को एक ही समझा जाता है, लेकिन इसके लिए मीडिया दोषी है. "अफ्रीकियों से संबंधित अपराध या आप्रवासन वाले हर लेख में लोगों के देश के बारे में कभी नहीं लिखा जाता." उनकी शिकायत है कि पत्रकारों को यह भी पता नहीं कि अफ्रीका में 55 देश हैं. अप्लाइड साइकोलॉजी के प्रोफेसर टोनी एप्स्टाइन का कहना है कि दक्षिण पूर्वी एशिया के लोगों को पता ही नहीं कि वे अफ्रीकियों के साथ कैसा बर्ताव करें, वे उनकी संस्कृति नहीं समझते. "अफ्रीकियों के साथ बर्ताव नस्लवाद से नहीं बल्कि अनभिज्ञता से प्रभावित है."

Symbolbild afrikanische Flüchtlinge im Mittelmeer
तस्वीर: picture-alliance/Milestone Media

यूरोप की किलेबंदी

अफ्रीका से एशिया में होने वाले आप्रवासन का ट्रेंड नया है. जानकारों का मानना है कि ऐसा यूरोप में जारी आर्थिक मुश्किलों और अफ्रीका से यूरोप जाने में लगातार लगाई जा रही बाधाओं के कारण हो रहा है. एक व्यक्ति ने डीडब्ल्यू को बताया कि चूंकि वह मलेशिया में अवैध रूप से रह रहा है, इसलिए उसके लिए धन कमाने का एकमात्र रास्ता अपराध है. मलाया यूनिवर्सिटी में बिजनेस मैनेजमेंट के प्रोफेसर स्टीवन न्योर्ज कहते हैं कि यूरोप ने किलेबंदी कर ली है. "पिछले दशक में सैकड़ों अफ्रीकी यूरोप में घुसने की कोशिश में मारे गए हैं. यदि कुछ कामयाब हो जाते हैं तो बढ़ते प्रतिबंधों के कारण दर्जनों को डिपोर्ट कर दिया जाता है."

स्टीवन न्योर्ज का कहना है कि एशिया के आर्थिक विकास ने अफ्रीकियों को आकर्षित किया है और वे यहां रोजी रोटी कमाने तथा अपने परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने की संभावना देखते हैं. लेकिन मलेशिया में रहने वाले अफ्रीकी पेशेवरों की यही उम्मीद है कि भावी पीढ़ियों को बेहतर जिंदगी की उम्मीद में देश छोड़कर जाना नहीं पड़ेगा. रोबर्ट अडेसीना कहते हैं, "मेरा मानना है कि अफ्रीका सफलता हासिल करेगा, और कौन जानता है, आप लोगों को अफ्रीका जाते देखेंगे."

रिपोर्ट: नजद अब्दुल्लाही/एमजे

संपादन: आभा मोंढे

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी