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विज्ञान बना भगवान

आभा मोंढे२१ अगस्त २०१३

सुपर मक्का स्मार्ट स्टैक्स प्रकृति का चमत्कार सा लगता है. यह कीड़ों से खुद को बचा लेता है और कीटनाशकों का इस पर कोई असर नहीं होता. लेकिन लगता है इसके साथ ही विज्ञान ने भगवान बनने की कोशिश की है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP

यूरोपीय आयोग पर भरोसा किया जाए तो मोनसांटो कंपनी अपना सुपर मक्का, स्मार्ट स्टैक्स जल्द ही यूरोपीय संघ में ला सकती है. इस बारे में 2012 के अक्टूबर में ही फैसला ले लिया गया था. यह जानकारी यूरोपीय संघ के उपभोक्ता मामलों के आयुक्त टोनियो बोर्ग ने जर्मन अखबार जाइट ऑनलाइन को दी. इसके तहत इंसान और जानवरों के इस्तेमाल के लिए इसे मंगवाया जाएगा हालांकि इसकी खेती ईयू में नहीं होगी.

स्मार्ट स्टैक्स की खासियत है कि यह मक्का की दो ऐसी किस्मों से बनाया गया है जिनके जीन्स के साथ पहले से ही छेड़ छाड़ की चुकी थी. यह अपने आप कई कीड़ों, मक्खियों के लिए जहर बना लेता है. और खरपतवार और कीटनाशक खत्म करने वाली दो दवाओं का इस पर कोई असर नहीं होता. विज्ञान का चमत्कार या जीवन के लिए घातक, इस बारे में लोगों के विचार एक दूसरे से बिलकुल अलग हैं.
और टेस्ट किए जाएं
स्मार्ट स्टैक्स में कुल मिला कर छह अलग अलग तत्वों को मिलाया जाता है. पर्यावरणवादियों का कहना है कि उत्पाद और उसमें इस्तेमाल किए जाने वाले तत्वों के पर्यावरण पर असर के बारे में बहुत कम जानकारी है और इसके असर के बारे में भी कम ही परीक्षण हुए हैं. यह बताया जाना कि यह मक्का 90 दिन तक खिला कर टेस्ट की गई है, ये दावा जर्मनी के पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण संघ (बुंड) की मार्था मैर्टेन्स के लिए बहुत कम है. उनका कहना है,"इस परीक्षण से तो केवल अति जहरीले तत्वों का ही पता लगाया जा सकता है. इसका नहीं कि लंबे समय में इसका असर क्या होगा."

इस मुद्दे पर वह फ्रांस के शोधकर्ता जिल एरिक सेरालिनी के किए एक परीक्षण की याद दिलाती हैं. मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट सेरालिनी ने एक विवादास्पद शोध के दौरान पता लगाया था कि जिन चूहों को दो साल तक जीन संवर्धित मक्का खिलाया गया उनके स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर हुआ.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

थुनेन इंस्टीट्यूट फॉर बायोडाइवर्सिटी के प्रोफेसर क्रिस्टॉफ टेबे कहते हैं कि ये तो सही है कि इतने कम समय में लंबे उपयोग के बाद होने वाले असर का पता नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने कहा, "सेरालिनी की कोशिश बेकार है. क्योंकि वह मानक तरीके से नहीं की गई थी. उदाहरण के लिए परीक्षण के दौरान इस्तेमाल किए गए चूहे परीक्षण के लिए नहीं थे." यूरोपीय संघ से मिली अनुमति एक विशेष समय के लिए दी गई है पोस्ट मार्केट मॉनिटरिंग की शर्त के साथ है. माइक्रोबायोजिस्ट क्रिस्टॉफ टेबे कहते हैं कि इस दौरान अचानक होने वाला असर देखा जाएगा. टेबे खुद भी यूरोपीय संघ के खाद्य विभाग ईएफएसए की जीन संवर्धित मामलों की कमेटी में हैं.

कोई खतरा नहीं

अभी तक मोनसांटो की यूरोप में आने के लिए जरूरी जांच या फिर और किसी स्वतंत्र शोध संस्थाओं ने इसके स्वास्थ पर बुरे असर के संकेत नहीं दिए हैं. स्मार्ट स्टैक्स के लिए इस्तेमाल की गए जीन संवर्धित तत्व कई देशों में पहले से खाने में आ रहे हैं लेकिन कहीं से भी स्वास्थ्य पर असर के बारे में कोई रिपोर्ट नहीं.

सुपर मक्के के बारे में फिलहाल सबसे बड़ी आशंका तो यही है कि यह स्थानीय पौधों से क्रॉस कर सकता है और फिर अचानक संवर्धित जीन दूसरी फसलों में चला जाएगा. जर्मनी के मामले में टेबे चेतावनी हटा लेते हैं. उनके मुताबिक, "यहां मक्के में ये आशंका बहुत कम है क्योंकि यहां क्रॉस के लिए कोई पार्टनर ही नहीं है." स्थानीय फसल को जीन संवर्धन से बचाने का उपाय है कि सामान्य फसल वाले खेत और जीन संवर्धित बीज के खेत के बीच अंतर पर्याप्त हो और यूरोपीय संघ में ये मक्का उगाया नहीं जाएगा बल्कि सिर्फ बेचा जाएगा.

मोनसांटो का सुपर मक्का स्मार्ट स्टैक्स नुकसान पहुंचाने वाले कीड़ों को एक खास प्रोटीन से दूर रखता है. ये प्रोटीन प्राकृतिक रूप से बेसिलस थ्यूरिंजिएंसिस में मिलता है. इंसान को इसका नुकसान होने की आशंका कम है. "ये प्रोटीन खास केमिकल के साथ ही जुड़ सकते हैं और ये सिर्फ कुछ ही कीड़ों में होता है, इंसानों या जानवरों में नहीं. ये प्रोटीन इंसानी अमाशय में आराम से विघटित होते हैं. जर्मनी में पहले से ही नुकसान करने वाले कीड़ों को मारने के लिए प्रोटीन का इस्तेमाल होता है. उनका इस्तेमाल कीटनाशकों के तौर पर किया जाता है.

मानसेंटो के जीन संवर्धित कपास ने भारत में किसानों की क्या हालत की थी ये कोई कैसे भूल सकता है. उत्तरी, दक्षिणी अमेरिका सहित भारत और ऑस्ट्रेलिया में जीन संवर्धित फसलें पहसे से बड़ी मात्रा में उगाई जा रही हैं. जबकि यूरोप में सिर्फ 50 जीन संवर्धित उत्पादों का आयात करने की अनुमति है. और सिर्फ दो ही यहां उगाए जाते हैं. फ्रांस और जर्मनी में मानसेंटो को जीन संवर्धित फसलों का भारी विरोध देखना पड़ा था.
जब मई में मानसेंटो ने यूरोप में जीन संवर्धित फसलें उपजाने से पूरी तरह इनकार कर दिया तो पहली नजर में तो ये कंपनी की हार लगी लेकिन फिर स्मार्ट स्टैक्स को अनुमति मिलना कंपनी की नीति के समर्थन में ही है. पहले तो उन्होंने ये संदेश दिया कि ठीक है हम पीछे हट रहे हैं लेकिन इस समय को उन्होंने यूरोप अमेरिका के बीच होने वाले मुक्त व्यापार समझौते में मध्यस्थता के लिए इस्तेमाल किया.

अगर यूरोपीय आयोग स्मार्ट स्टैक्स को घोषणा के मुताबिक ही आयात की अनुमति देता है तो यह ईयू के सभी सदस्यों पर लागू होगा. सदस्य देश सिर्फ तभी इनकी खेती पर रोक लगा सकते हैं जब वे इसमें किसी तरह का खतरा देखते हों. तो इस साल के आखिर से सुपर मक्का यूरोपीय संघ में आ सकता है.

रिपोर्टः मार्टिन कॉख/आभा मोंढे

संपादनः निखिल रंजन

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