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ध्यान लगाने वाली पहाड़ी

Anwar Jamal Ashraf२२ अगस्त २०१३

बुल्गारिया की रिला पहाड़ियों पर वायलिन बज रहा है. महिलाएं गा रही हैं. सफेद लिबास में कोई 2000 तीर्थयात्री बढ़े चले जा रहे हैं. सब कुछ एक निश्चित लय ताल के साथ चल रहा है.

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तस्वीर: Maria Bojkova

अगस्त में हर साल व्हाइट ब्रदरहुड के मानने वाले दुनिया भर के लोग रिला झील के पास पहुंचते हैं. गर्मियों में करीब 2100 मीटर की ऊंचाई पर ये अपना नया साल मनाने आते हैं.

इस दिन की खासियत वह अनुष्ठान है, जो देखने में डांस की तरह लगता है. पहाड़ियों पर एक बड़ा सा गोला बना कर जमा हुए लोग पैन्यूरित्मी डांस करते हैं. थोड़ी ईसाइयत और थोड़ी भारतीय संस्कृति का मिला जुला रूप इस समाज को तैयार करता है. लोगों का मानना है कि 19 अगस्त के आस पास यहां ब्रह्मांड की ऊर्जा अपने चरम पर होती है और इस विशेष डांस से ऊर्जा को दुनिया भर में फैलाया जा सकता है.

इस रिवायत में शामिल होने से पहले 80 साल की एलेक्जेंड्रीना स्टोईलोवा ने सफेद हैट को ठीक करते हुए कहा, "हम उत्सव से पहले रिला आते हैं तो भागदौड़ वाली शहरी जिंदगी की गंदगी को यहां की ऊर्जा से अपने शरीर को मुक्त करते हैं."

भाई बहन वाला पंथ

इस तीर्थयात्रा में शामिल होने वाला हर व्यक्ति एक दूसरे को "भाई और बहन" कह कर संबोधित करता है. वे रिला की सात झीलों के पास तंबू लगाते हैं, प्रार्थनाओं के साथ सूर्योदय का स्वागत करते हैं और पास की पहाड़ी पर चढ़ने से पहले ध्यान लगाते हैं. पहाड़ी पर इनका खास पैन्यूरित्मी डांस होता है.

Der Blick aus meinem Fenster Maria Bojkova
तस्वीर: Maria Bojkova

बुल्गारिया के आध्यात्मिक गुरु पेटेर डनोव ने 1897 में इस पंथ की शुरुआत की. उन्होंने बंधुत्व वाले प्रेम, सेहत की टिप्स, सकारात्मक सोच और प्रकृति के साथ मिल कर रहने की बातें बताईं. डनोव को मास्टर बिन्सा डुनो भी कहते हैं, जिन्होंने 1930 से ही अपने अनुयायियों को इस पहाड़ी पर लाना शुरू किया. उस वक्त करीब 40,000 लोग यहां आया करते थे. बाद में बुल्गारिया की सरकार ने इसे सेहतमंद अभ्यास करार दिया और राजधानी सोफिया के एक स्कूल में शारीरिक शिक्षा की जगह पैन्यूरित्मी को विकल्प के तौर पर रखा गया.

कम्युनिस्ट मार

लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद बुल्गारिया में कम्युनिस्ट शासन आ गया और यह मूवमेंट ढीला पड़ गया. लंबे वक्त से इस पंथ से जुड़े 68 साल के प्रोफेसर ह्रिस्टो मादियारोव का कहना है, "तब पैन्यूरित्मी गुपचुप तरीके से किया जाता था. हालांकि आधिकारिक तौर पर इस पर पाबंदी लगा दी गई लेकिन लोग फिर भी रिला की पहाड़ियों पर आते थे."

उन्होंने कहा, "1957 के बाद चीजें बहुत खराब होने लगीं. जब अधिकारियों ने हमारी किताबें जब्त कर लीं और उन्हें जला दिया गया. यहां तक कि कई भाइयों और बहनों को नौकरी से भी निकाल दिया गया." मादियारोव का कहना है कि सोफिया में इससे जुड़े लोगों पर खास निगरानी रखी जाने लगी और पुलिस सदस्यों से सख्ती से पूछताछ करने लगी. हालांकि ईसाइयत ने इसे कभी भी अपना हिस्सा नहीं माना है, आज भी नहीं.

बुल्गारिया में 1989 में कम्युनिस्ट सत्ता के पतन के बाद आधिकारिक तौर पर इसे धार्मिक अभियान के रूप में रजिस्टर किया गया और 2007 में एक टेलीविजन सर्वे में डनोव को सर्वकालिक दूसरा सबसे महान बुल्गारियाई घोषित किया गया. यह पंथ दूसरे देशों में भी लोकप्रिय हुआ. फ्रांस में डनोव के अनुयायी मिहाइल इवानोव ने इसे बेल्जियम और स्विट्जरलैंड से लेकर कनाडा, मेक्सिको, आइसलैंड और कांगो तक फैलाया. उन्हें ओमराम मिखाएल एवानहोव के नाम से भी जाना जाता है.

बार बार आऊंगा

डेविड गेरार्ड 37 साल पहले इस पंथ से जुड़े थे. बुल्गारिया पहुंचने पर वह कहते हैं, "मैं दूसरी बार रिला आया हूं. मैं यहां आते रहना चाहता हूं, पैन्यूरित्मी डांस करते रहना चाहता हूं. यहां की पहाड़ियां स्विट्जरलैंड से अलग हैं." ग्रेनाडा की 43 साल की मारिया जीसस का कहना है कि वह आठ साल से स्पेन में पैन्यूरित्मी कर रही हैं और इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है.

एक नए रिसर्च के नतीजे इस महीने प्रकाशित किए गए हैं, जिनमें बुल्गारिया की खेल अकादमी की प्रोफेसर ल्यूडमिला चेरवेनकोवा का कहना है कि छह महीने तक पैन्यूरित्मी करने से काफी फायदा होता है. इससे "संतुलन बेहतर होता है और तनाव घटता है."

एजेए/एमजे (एएफपी)

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