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140 लीटर पानी से एक कप कॉफी

५ सितम्बर २०१३

भला एक कप कॉफी में इतना पानी कैसे छिपा हो सकता है? यह बात सुनने में अटपटी जरूर लग सकती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप जो कॉफी पीते हैं, उसे बनाने में कितना पानी लगता है?

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तस्वीर: Fotolia/Sergej Khackimullin

जरा हिसाब लगाइए कि जिस कॉफी को आप पी रहे हैं उसकी खेती में कितना पानी लगा होगा. इसके बाद पैकेजिंग में जो सामान इस्तेमाल हुआ उसमें कितना पानी खर्च हुआ होगा. इस लिहाज से अगर देखा जाए तो आपकी एक कप कॉफी में 140 लीटर पानी छिपा है. इसी तरह से आपने जो शर्ट पहनी है, हो सकता है कि उस पर खर्च हुआ पानी हजारों लीटर के बराबर हो. इसे वर्चुअल वाटर कहते हैं.

वर्चुअल वाटर फुट प्रिंट

वर्चुअल वाटर यानी आभासी पानी. लंदन स्थित किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर जॉन एंथनी एलन ने इस सिद्धांत को रचा. इसके लिए उन्हें 2008 में स्टॉकहोम वाटर पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया. इस पुरस्कार के लिए स्टॉकहोम स्थित अंतर्राष्ट्रीय वाटर इंस्टिट्यूट विजेताओं का चयन करता है .प्रोफेसर एलन को सम्मानित करते हुए वाटर इंस्टिट्यूट ने कहा कि वर्चुअल वाटर का सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य नीति और शोध पर खासा प्रभाव डाल सकता है. आने वाले सालों में यह सिद्धांत दुनिया भर में पानी के प्रबंधन को लेकर छिड़ी बहस को एक नई दिशा दे सकता है.

हर वस्तु के उत्पादन के पीछे आभासी पानी की छाप होती है जिसे विज्ञान की भाषा में वर्चुअल वाटर फुट प्रिंट कहा जाता है. प्रोफेसर एलन इस बारे में बताते हैं, "वर्चुअल वाटर वह पानी है, जो किसी वस्तु को उगाने में, बनाने में या उसके उत्पादन में लगता है. एक टन गेहूं उगाने में करीब एक हजार टन पानी लगता है. कभी-कभी इससे भी ज्यादा."

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हिसाब लगाइए कि कॉफी की खेती से ले कर पैकेजिंग में कितना पानी खर्च हुआ होगा.तस्वीर: AP

धनराशि ही नहीं, जलराशि भी

मांसाहारी चीजों कि तुलना में शाकाहारी खाद्य पदार्थों के पीछे कम पानी लगता है. पप्रोफेसर एलन कहते हैं, "मैं लोगों से यह पूछता हूं कि क्या आप ढाई लीटर पानी वाले आदमी हैं या फिर पांच लीटर वाले? अगर आप मांसाहारी हैं तो आप पांच लीटर पानी वाले आदमी हैं और अगर आप शाकाहारी हैं तो फिर आप दिन भर में केवल ढाई लीटर पानी ही खर्च करते हैं."

ऐसा इसलिए है क्योंकि एक किलो मांस पैदा करने के पीछे करीब 15,500 लीटर पानी खर्च होता है. वहीं एक किलो अंडों में करीब 3,300 लीटर पानी लगता है. औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन में भी वर्चुअल वाटर सिद्धांत लागू किया जा सकता है. एक टन के वजन वाली एक कार के पीछे लगभग चार लाख लीटर पानी लगता है.

स्टॉकहोम वाटर इंस्टिट्यूट के प्रोफेसर यान ल्युट भविष्य में होने वाली पानी संबंधी दिक्कतों के बारे में कहते हैं, "आने वाले सालों में खाद्यान की मांग कई गुना बढ़ेगी. इस मांग को पूरा करने के लिए हमारे पास पर्याप्त पानी नहीं होगा. अगर हम इसी गति से आगे बढ़ते रहे तो आने वाले सालों में हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है."

वर्चुअल वाटर के रिसर्चरों ने पाया है कि एशिया में रह रहा हर व्यक्ति एक दिन में औसतन 1,400 लीटर आभासी पानी का इस्तेमाल करता है, जबकि यूरोप और अमेरीका में 4,000 लीटर. पिछले कई सालों में वर्चुअल वाटर एक बड़ा मुद्दा बन गया है, लेकिन अब भी कई देशों की सरकारें इस मुद्दे को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं.

पीसी/आईबी

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