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समाज

बढ़ता सेक्स सामग्री का बाजार

३१ अगस्त २०१३

भारत में प्यार छिपा कर होता है फिर सेक्स से जुड़ी चीजें कैसे खुलेआम बिक सकती हैं. कंडोम खरीदने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं लेकिन प्यार और कारोबार कहां मानता है, पर्दे के पीछ ही सही ये बाजार बढ़ रहा है.

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Symbolbild Sexpuppenverbot in Sambia
तस्वीर: imago/bonn-sequenz

भारत में सेक्स खिलौनों और सेक्स से जुड़ी दूसरी चीजों को न तो खुलेआम खरीदा बेचा जाता है और न ही इसकी अनुमति है. इस तरह के कारोबार को अपराध की श्रेणी में रखा गया है लेकिन फिर भी गैरकानूनी तरीके से बहुत सी जगहों पर सेक्स खिलौने बेचे जाते हैं. कुछ सर्वे और इन सामानों से जुड़े उद्योग पर नजर रखने वाले बताते हैं कि भारत में सेक्स से जुड़े खिलौने, उपकरण और दूसरे सामानों की भारी मांग है. हालांकि इन्हें पसंद करने वाले लोगों की दिक्कत यह है कि इस तरह के सामान आसानी से नहीं मिल पाते. दिल्ली के पालिका बाजार और मुंबई के क्राफर्ड मार्केट या मनीष मार्केट जैसे कुछ इलाकों में इस तरह के सामान चोरी छिपे बेचे जाते हैं. गैरकानूनी होने के बावजूद सेक्स खिलौने का एक बड़ा बाजार भारतीय समाज में इनकी जरूरत और इनके प्रति बदलते नजरिये का अहसास दिलाता है.

कानून के अनुसार भारत में 'सेक्स खिलौने' की बिक्री प्रतिबंधित है और इसे बेचने के लिए दो साल तक की सजा और दो हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है. एडवोकेट लीकेश ढोलकिया बताते हैं कि भारतीय कानून में "सेक्स खिलौने" का जिक्र नहीं है लेकिन कहा गया है कि, ऐसी कोई भी चीज जो समाज में अश्लीलता फैलाए उसे बेचना कानूनन अपराध है.

बड़ा बाजार

विशाल आबादी वाले भारत में तो हर तरह के कारोबार की बड़ी संभावना है लेकिन फिर भी कुछ चीजें सामाजिक दायरों और परंपराओं की वजह से खुले बाजार का हिस्सा नहीं बन पातीं. हालांकि तमाम प्रतिबंधो के बावजूद सेक्स उत्पादों के लिए भी भारत को बड़ा बाज़ार माना जा रहा है. बाजार की संभावना को देखते हुए माइक्रोसॉफ्ट में बड़ी नौकरी छोड़कर इस कारोबार में घुसने वाले समीर सरैया कहते हैं, "सेक्स से जुड़े सामान के कारोबार में काफी अवसर है." समीर ने बताया कि, बाजार का सर्वे करने के बाद उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ "दैट्स पर्सनल डॉट कॉम" की शुरुआत की. उनकी कंपनी भारतीय कानून के दायरे में रहकर सेक्स से जुड़े सामानों (एडल्ट प्रोडक्ट) को ऑनलाइन बेचती है.

समीर सरैया के किए रिसर्च में 'भारतीय सेक्स खिलौना बाजार' से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे हैं. समीर कहते हैं, "ये बाजार हर साल 35 फीसदी की दर से बढ़ रहा है." समीर के मुताबिक भारत में सेक्स से जुडे सामानों का कारोबार फिलहाल 1200-1500 करोड़ रुपए का है. मांग में तेज वृद्धि को देखते हुए आसार हैं कि 2016 में यह बाजार 2,450 करोड़ रुपए और 2020 में 8,700 करोड़ रुपए का हो जाएगा.

जर्मन प्यूर से लेकर कनाडाई शुंगा तक

जर्मनी में प्रचलित ‘प्यूर' और ‘प्रीमियम बॉडीवियर' कनाडा का ‘शुंगा', अमेरिका का ‘एलेगेंट मोमेंट्स' और ‘मेल बेसिक्स' जैसे सेक्स से जुड़े सामान भारतीय ग्राहकों को लुभा रहे हैं. भारत के कई शहरों में चीन में बने वाइब्रेटर, डिल्डो और फेटिश क्लॉथ्स बेचे जाते हैं. देसी जड़ी-बूटियों से सेक्स क्षमता बढ़ाने के दावे वाली दवाइयों की कमी नहीं है लेकिन सेक्स खिलौने बनाने में कोई भी भारतीय कंपनी मुकाबले में नहीं है. कुछ समय पहले भारत सरकार की एक कंपनी हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड ने कंडोम के पैक के साथ उत्तेजना पैदा करने वाला एक यंत्र बांटना शुरू किया था लेकिन यह विवादों में घिर गयी. वैसे यह यंत्र भी चीन में बना था.

महिलाएं भी मांगती हैं

सेक्स उत्पादों को बेचने वाली भारत की पहली कंपनी के सीईओ समीर बताते हैं कि महिला खरीदारों की संख्या भी कम नहीं है. महिलाओं के बीच एरोटिक लॉन्जिरी, लुब्रीकेंट्स और लोशन काफी लोकप्रिय है. कंडोम बनाने वाली कंपनी ड्यूरेक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 13% महिलाएं "आर्गेनिक सेक्स टॉयज" का उपयोग करती हैं. समीर कहते हैं कि लोग घरेलू चीजों को अप्राकृतिक इस्तेमाल करते हैं जो नुकसानदेह हो सकता है.

पिछले 4 महीने से सेक्स से जुड़े सामानों की मार्केटिंग से जुड़े सलाउद्दीन काजी बताते हैं, "18 से 23 वर्ष के लड़के-लड़कियों में "लिप-बाम" काफी लोकप्रिय है. ये बाम चुम्बन को मजेदार बनाते हैं. इसके अलावा फन अंडरवियर सभी उम्र और वर्गों में लोकप्रिय है." वे आगे कहते हैं कि इन दिनों ‘खाये जा सकने (एडिबल) वाले इनर वियर' भी मांगे जा रहे हैं. समीर बताते हैं कि "सेक्स खिलौने" की भारी मांग है और प्रतिबंध के चलते आपूर्ति ना के बराबर है. गैरकानूनी तरीके से बाजार में बेचे जा रहे सेक्स खिलौनों में चीन से आए सामानों का कब्जा है.

विरोध भी समर्थन भी

भारतीय समाज में एक वर्ग है जो सेक्स से जुड़ी इस तरह की चीजों के इस्तेमाल को गलत नहीं मानता, लेकिन खुलकर बात करने वालों की संख्या आज भी ज्यादा नहीं है. समाज का बड़ा वर्ग इस तरह के सामानों को भारतीय संस्कृति के खिलाफ मानता है. महिलाओं की तरफ से भी इन्हें खुले आम बेचने का विरोध होता आया है. पिछले २ वर्षों से सेक्स का आनंद बढ़ाने वाले सामानों का उपयोग कर रहे जॉन (बदला हुआ नाम ) कहते हैं कि सेक्स खिलौनों पर प्रतिबंध समझ से परे है. वर्तमान जीवन शैली में इसके महत्व को इनकार नहीं किया जा सकता. जॉन कहते हैं कि इन के बारे में उन्हें तब पता चला जब उनके एक मित्र ने उन्हें तोहफे के रूप में दिया.

एक और खरीदार ने सकुचाते हुए कहा कि अगर दुकान में मिलना शुरू भी हो जाय तब भी वह ऑनलाइन खरीदारी ही पसंद करेंगे. मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक इनके उपयोग को गलत नहीं मानते. उनके मुताबिक सेक्स में असंतुष्टि की वजह से होने वाले तनाव को कम करने में ये उत्पाद कारगर साबित हो सकते हैं.

रिपोर्ट: विश्वरत्न, मुंबई

संपादन: निखिल रंजन

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