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पाक में पोलियो का आतंक

२ सितम्बर २०१३

सैयद वली अपने तीन बच्चों को पोलियो का टीका दिलाना चाहते हैं लेकिन उन्हें डर है कि चरमपंथी उन्हें निशाना बना देंगे. पाकिस्तान में पोलियो का डर आतंकवाद की तरह लोगों में बैठता जा रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

कट्टरपंथियों ने पोलियो के टीके पर पाबंदी लगा दी है और सैयद वली को डर है कि अगर वे कहीं से ये टीका लाते हैं और पकड़े जाते हैं, तो खैर नहीं. दूरदराज के गांव में रहने वाले वली कहते हैं, "मेरे पास टीका खरीदने के पैसे तो हैं लेकिन अगर तालिबान को पता लग जाए, तो उन्हें क्या जवाब दूंगा."

उत्तरी वजीरिस्तान में पोलियो के पांच नए मामले सामने आए हैं और स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कई और मामले उभर सकते हैं. सुरक्षा की वजह से पोलियो का टीका लगाने वाले वहां नहीं जा पा रहे हैं. पाकिस्तान के कई दूसरे इलाकों में भी पोलियो के मामले आ रहे हैं.

मामले बढ़ने का डर

अधिकारियों को डर है कि आतंकवादियों की चेतावनी और टीका देने वालों की टीम पर हमलों के बाद पाकिस्तान के दूसरे इलाकों में स्थिति गंभीर हो सकती है. खास कर इस मौसम में, जब संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है. पाकिस्तान में विश्व स्वास्थ्य संगठन के पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के समन्वयक डॉक्टर इलियास दुर्री का कहना है, "यह उबलते हुए पानी की देगची की तरह नहीं है, जहां हर जगह से बुलबुले निकल रहे हों. इसमें सिर्फ कुछ जगहों से भाप निकल रही है." उनका कहना है, "हमें डर है कि इन इलाकों के वाइरस दूसरे इलाकों में फैल सकते हैं और पिछले एक दो सालों में हमने पोलियो के खिलाफ जो कामयाबी पाई है, वह बुरी तरह प्रभावित हो सकती है."

पाकिस्तान उन गिने चुने देशों में है, जहां पोलियो का खतरा बचा हुआ है. 2011 में यहां पोलियो के 198 मामले सामने आए, जो किसी भी दूसरे देश से ज्यादा हैं. पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की मदद से देश में पोलियो के खिलाफ अभियान चलाया गया और सिर्फ 58 नए मामले सामने आए. लेकिन आतंकवादियों की धमकी के बाद इस पर असर पड़ सकता है. इस साल अब तक 27 मामले सामने आए हैं. डॉक्टर दुर्री कहते हैं कि इन 27 में से 17 मामले तालिबान और अल कायदा से प्रभावित इलाकों के हैं.

यह कैसा विरोध

पिछले साल पाकिस्तान तालिबान के दो शक्तिशाली नेताओं ने अमेरिकी ड्रोन हमलों के विरोध में पोलियो के टीके पर पाबंदी लगा दी. दर्जन भर टीकाकर्मियों और उनकी सहायता करने वालों की हत्या भी कर दी गई. शक तालिबान पर है, हालांकि वह इन हत्याओं से इनकार करता है. चरमपंथियों का आरोप है कि टीके से बच्चे नपुसंक हो जाते हैं और टीका देने वालों को 'अमेरिका का जासूस' बताया गया. इस तरह की अफवाहों को उस वक्त ज्यादा बल मिला, जब पता चला कि अमेरिकी एजेंसी सीआईए ने 2011 में ओसामा बिन लादेन के ठिकाने को पुख्ता करने के लिए पाकिस्तानी डॉक्टर की मदद से खास टीकाकरण अभियान चलवाया.

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टीकाकरण करवाने से डरतस्वीर: Getty Images

धमकियों की वजह से मीरान शाह शहर में रहने वाले सैयद वली जैसे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि क्या चरमपंथियों की धमकी के बावजूद बच्चों को टीका लगवाएं या नहीं. कुछ परिवार वाले अगर जोखिम लेना भी चाहें, तो उनके सामने छह घंटे का सफर करके पेशावर तक जाना आसान नहीं. उत्तरी वजीरिस्तान में दो मेडिकल चौकी बनाई गई है, जहां बच्चों को टीके दिए जा रहे हैं. कुछ लोग तो यहां पहुंच रहे हैं लेकिन ज्यादातर लोगों को डर है कि अगर उन्होंने इन चौकियों का रुख किया, तो चरमपंथियों को इसका पता लग जाएगा.

क्या है पोलियो

पोलियो का वाइरस बच्चों पर हमला करता है और गंदगी के माहौल में इसका खतरा ज्यादा रहता है. इससे उनके तंत्रिका तंत्र पर असर पड़ता है या फिर जान भी जा सकती है. यह बड़ी तेजी से फैलता है और जब तक इस पर ध्यान जाता है, बच्चे अपंग हो सकते हैं. औसतन, पोलियो के 200 मामलों में एक बच्चा अपंग हो जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़े डॉक्टर दुर्री का कहना है कि अधिकारियों ने उत्तरी वजीरिस्तान में पोलियो के पांच मामलों की पुष्टि की है, जबकि बन्नू जिले में भी तीन मामले सामने आए हैं.

उत्तरी वजीरिस्तान के मीर अली शहर में रहने वाले इरफान खान का कहना है कि अधिकारियों को चरमपंथियों से बात करके इस मसले को हल करना चाहिए, "सरकार और चरमपंथियों को समझौता करना चाहिए कि बच्चों को पोलियो का टीका मिल पाए."

एजेए/एएम (एपी)

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