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तालिबान ने सुष्मिता को मारा

५ सितम्बर २०१३

अफगानिस्तान में संदिग्ध तालिबान उग्रवादियों ने भारतीय लेखिका सुष्मिता बनर्जी को मार दिया है. 1990 के दशक में बनर्जी ने तालिबान की गिरफ्त से छूटने की दास्तान पर एक किताब लिखी थी.

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तस्वीर: Sebastian D'Souza/AFP/Getty Images

49 साल की सुष्मिता बनर्जी ने अफगानिस्तान के जांबाज खान से शादी की और हाल ही में भारत से अपने पति के साथ रहने अफगानिस्तान चली गईं. पुलिस के मुताबिक तालिबान उग्रवादी उनके घर पहुंचे और उनके पति और परिवार के बाकी सदस्यों को बंदी बना लिया. फिर वे बनर्जी को घर से बाहर ले गए और उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया. उनका शव पास ही के एक धार्मिक स्कूल के बाहर पाया गया. इलाके के पुलिस प्रमुख दौलत खान जादरान ने इस बात की पुष्टि की है.

अब तक किसी भी संगठन ने उनपर हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. इलाके के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बनर्जी पकटिका प्रांत में स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही थीं. उन्हें वहां सैयदा कमाला के नाम से भी जाना जाता था और वह अपने काम के लिए स्थानीय महिलाओं के वीडियो बना रही थीं.

Afghanistan Taliban Kämpfer Waffe
तस्वीर: imago stock&people

अपनी किताब काबुलीवालार बंगाली बोऊ यानी काबुलीवाला की बंगाली पत्नी में बनर्जी ने 1995 में तालिबान की गिरफ्त से आजाद होने की अपनी कहानी बताई है. यह किताब भारत में काफी मशहूर हुई और 2003 में इस पर एस्केप फ्रॉम तालिबान नाम की फिल्म बनाई गई. इस फिल्म में मनीषा कोइराला ने लेखिका का किरदार अपनाया था जो अफगानिस्तान में अपने पति के साथ रहती है.

अफगानिस्तान में रह रहे भारतीय लोगों को तालिबान ने पहले भी निशाना बनाया है. कई भारतीय कंपनियां और सहायता एजेंसियां वहां देश के पुनर्निर्माण में लगी हैं. एक अनुमान है कि 3-4 हजार लोग इन कंपनियों और एजेंसियों के लिए काम कर रहे हैं. लेकिन तालिबान उन्हें अपना दुश्मन मानता है. हत्या के अलावा धमकियां देने और बंधक बनाने की भी कई घटनाएं पहले हो चुकी हैं. हाल ही में भारतीय दूतावास पर भी एक बड़ा हमला हुआ था.

एमजी/एनआर(एएफपी, पीटीआई)

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