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"बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली की जरूरत"

१९ सितम्बर २०१३

पश्चिम बंगाल में पोलियो की जगह हेपेटाइटिस बी दिए जाने के कारण 116 बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

स्वास्थ्य सेवाओं पर हमने बात की भारत के स्वैच्छिक स्वास्थ्य संगठन के सीईओ आलोक मुखोपाध्याय से

डॉयचे वेले: भारत विकास तो कर रहा है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं के बहुत ही बुरे हालात हैं. इस से कैसे निपटा जाए?

आलोक मुखोपाध्याय: इस दिक्कत का सामना करने के लिए हमें कई चीजें बदलनी होंगी. एक तो हमारे यहां स्वास्थ्य सेवाओं को ले कर उचित रवैये की कमी है. कई बार लोग ऐसे काम करते हैं जिनका ना तो कोई तुक होता है और ना ही वे वैज्ञानिक होते हैं. लोगों में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी बहुत कम है और हमें इस पर संजीदगी से काम करने की जरूरत है. हमें सेमीनार करने होंगे, बैठकें करनी होंगी और गांवों के स्तर पर बहस करनी होगी ताकि लोगों तक स्वास्थ्य से जुड़े अलग अलग मुद्दों की जानकारी पहुंच सके. इसके लिए हमें दूरदर्शन जैसे टीवी चैनलों और बॉलीवुड का भी सहारा लेना होगा, क्योंकि इनकी पहुंच बहुत ज्यादा है.

आप टीवी से जागरूकता फैलाने की बात कर रहे हैं. मीडिया इसमें क्या भूमिका निभा सकता है?

मीडिया तो पहले ही अपना काम बखूबी कर रहा है. हमारा सिस्टम इतना अस्थिर है कि कई बार महामारी के बारे में स्वास्थ्य अधिकारी कुछ बताते ही नहीं और मीडिया चैनलों के जरिए उनके बारे में पता चलता है. तो मीडिया अपनी भूमिका तो निभा ही रहा है, लेकिन वह प्रचार करने में भी मददगार साबित हो सकता है. जैसा कि हम जानते हैं कि धूम्रपान और तंबाकू चबाना भारत में बड़ी समस्या है. अगर मीडिया इसका प्रचार करे तो बहुत मदद मिल सकती है और खर्च भी बच सकता है.

Indien Demonstrationen Gesundheitssystem März 2012
कोलकाता में स्वास्थ्य प्रणाली के खिलाफ विरोध प्रदर्शनतस्वीर: DW

ऐसा तो नहीं है कि भारत एक गरीब देश है, जिसके पास स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं, तो फिर क्या वजह है कि इसे प्राथमिकता नहीं दी जाती?

अगर हम भारत की तुलना यूरोप के किसी देश से करें या फिर किसी भी विकसित देश से, तो पाएंगे कि वहां हेल्थ सेक्टर में भारी निवेश किया जाता है. वहीं भारत का निवेश पूरे एशिया में सबसे बुरा है, म्यांमार जैसे देशों से भी कम. किसी भी देश में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निवेश होना जरूरी है. तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में सेवाएं अच्छी हैं, लेकिन बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बेहद गरीबी है, साक्षरता की कमी है और महिलाओं की स्थिति भी लगातार बिगड़ती ही जा रही है. अगर महिलाओं के हालात नहीं सुधरेंगे, तो आप कोई उम्मीद नहीं कर सकते. जिस देश में लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र में हो जाती है, वहां किस विकास की बात करें..

पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य अधिकारियों की लापरवाही से सौ से ज्यादा बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ गया. इस से दुनिया के सामने भारत की क्या छवि बनती है?

यह बहुत ही दुखद घटना है. खास कर तब जब एशिया का पहला मेडिकल कॉलेज भारत में ही शुरू हुआ, चीन से 50 साल पहले. मुझे यह सोच कर दुख होता है कि हम कैसे इस दयनीय स्थिति में आ गए जबकि चीन इतनी तरक्की कर गया. टीकाकरण अभियान के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होता है. लेकिन हमारे तो स्वास्थ्य अधिकारी ही ऐसे हैं जो किसी बात की जिम्मेदारी नहीं लेते. हर चीज योजना के तहत ही होनी चाहिए, लेकिन दुख की बात है कि हमारे देश में ऐसा कुछ होता नहीं है.

भविष्य में ऐसी गलती दोबारा ना हो, इसके लिए क्या किया जाए?

हमें बहुत मेहनत करनी होगी. सबसे पहले तो इस बात का ध्यान देना होगा कि हर विभाग में पर्याप्त कर्मचारी हों और उन्हें अपनी जिम्मेदारी के बारे में ठीक से पता हो. हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अस्पतालों में जरूरत से ज्यादा भीड़ ना हो. आर्थिक संसाधनों को चार गुना करना होगा. हमें एक मजबूत गवर्निंग बॉडी की भी जरूरत है जो सभी गतिविधियों पर नजर रख सके. इसके अलावा ऐसे मामलों में सख्त कानून की भी जरूरत है ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजी दी जा सके. अगर हम ये सब कर पाते हैं तो भविष्य में ऐसी घटनाओं के होने की संभावना कम हो सकती है.

आपकी संस्था कई साल से इस दिशा में काम कर रही है. इतने साल में आपने स्वास्थ्य व्यवस्था में कैसे बदलाव देखे हैं? भविष्य में आप क्या उम्मीद करते हैं?

मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं कि सुधार तो हुए हैं, लेकिन स्वास्थ्य एक ऐसा क्षेत्र है जहां देरी की कोई गुंजाइश नहीं है. देश को आजाद हुए 60 साल से ज्यादा हो गए और स्वास्थ्य सेवाओं की हालत इतनी बुरी है. मुझे नहीं लगता कि इसके लिए कोई भी दलील वाजिब है. देशवासियों तक अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचानी ही होंगी और वे भी मुनासिब दामों पर. अगर यह सब लागू हो जाए तो हमारी स्वास्थ्य प्रणाली में विकास देखा जाएगा. मुझे यकीन है कि ऐसा होगा, लेकिन इसे वक्त लगेगा. सेहत सब कुछ तो नहीं है, लेकिन बिना अच्छी सेहत के कुछ भी नहीं..

इंटरव्यू: इसरा भट्ट/आईबी

संपादन: आभा मोंढे

वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ इंडिया 40 साल से स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहा है और दुनिया के सबसे बड़े हेल्थ नेटवर्क में से एक है.

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