1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

नकली दवाओं का जंजाल

३० सितम्बर २०१३

पूरी दुनिया में नकली दवाओँ का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. खतरनाक नतीजों के बावजूद यह बड़े मुनाफे का कारोबार है. अंतरराष्ट्रीय सहयोग इसे रोकने की कोशिश में है.

https://p.dw.com/p/19rcq
तस्वीर: picture-alliance/dpa

चारकोल से बनी दर्द निवारक दवाएं, जहरीले आर्सेनिक वाली भूख मिटाने की दवा और नपुंसकता का इलाज करने के लिए दवा के नाम पर बेचा जाता सादा पानी. हर साल अंतरराष्ट्रीय अपराध जगत नकली दवाएं बेच कर अरबों रुपये कमा रहा है. यह दवाएं इंटरनेट के जरिये, काउंटर से या फिगर गैर कानूनी तरीके से बेची जाती हैं. आम तौर पर यह दवाएं कोई असर नहीं करतीं लेकिन कई बार घातक होती हैं और जान भी ले सकती हैं. अनुमान है कि केवल अफ्रीका में करीब सात लाख लोग मलेरिया या टीबी की नकली दवा इस्तेमाल करने के कारण मारे जाते हैं.

भारत और जर्मनी समेत दुनिया के तमाम देशों में नकली दवाओं का कारोबार बढ़ रहा है. जर्मन शहर कोलोन में कस्टम्स विभाग की अधिकारी रुथ हालिती कहते हैं, "हर साल तादाद बढ़ रही है." इस साल के पहले छह महीनों में कस्टम विभाग ने 14 लाख नकली दवा की गोलियां, पाउडर और एम्पुल जब्त किए हैं. 2012 की तुलना में यह करीब 15 फीसदी ज्यादा है. हालिती का कहना है कि यह तो कुछ भी नहीं, "वास्तविक संख्या तो इससे बहुत ज्यादा है."

Gefälschte Potenzmittel
तस्वीर: picture-alliance/dpa

चोरी छिपे ढुलाई

बहुत सी नकली दवाइयां पूर्वी एशियाई देशों से आती हैं. जर्मनी का फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डा यूरोप में सामान पहुंचाने का सबसे बड़ा केंद्र है. हर साल हवाई रास्ते से फ्रैंकफर्ट आने वाले करीब 90 टन सामान की तलाशी ली जाती है. सामान को पहले ढुलाई के लिए की गई पैकिंग से पकड़ने की कोशिश होती है. हालिती बताती हैं, "इनकी खास पैकिंग या फिर भेजने वाले की जगह कोई संदिग्ध नाम हो सकता है." अगर कोई पत्र या पार्सल संदिग्ध हो तो फिर इसे छानबीन के लिए लैब में भेजा जाता है जहां इसकी हर सिरे से पूरी जांच की जाती है.

नकली दवाएं अब छोटी मोटी नहीं रही कि कोई कुछ बना कर बेच दे. यह बहुत बड़ा कारोबार बन चुकी है. हालिती तो कहती हैं, "इस तरह का दूसरा अपराध अगर कोई जानकारी में है तो वह नशीली दवाओँ का धंधा ही है." इसकी वजह भी बहुत साफ है. इस धंधे में पैसा बहुत है, वास्तव में नशीली दवाओँ के कारोबार से भी ज्यादा. वियाग्रा जैसी दवा के नकली कारोबार में 25 हजार फीसदी का फायदा होता है. मुनाफे का ये आंकड़ा नकली कोकेन के धंधे से कम से कम 10 गुना ज्यादा है.

Zoll findet gefälschte Potenzmittel
तस्वीर: picture-alliance/dpa

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

नकली दवा के कारोबारियों के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क पर नकेल कसने के लिए सरकारें दूसरे देशों के साथ सहयोग कर रही है हैं. इस साल के मध्य में अंतरराष्ट्रीय ढुलाई के मालों की पूरे हफ्ते चेकिंग की गई जिससे कि नकली दवाओं को ढूंढा जा सके. पुलिस ने 10 लाख संदिग्ध दवाइयां पकड़ीं और करीब 200 लोग गिरफ्तार किए गए.

यूरोपीय संघ भी बड़ी सक्रियता से नकली दवाओं के बाजार पर नकेल डालने की कोशिश में है. 2010 में सभी दवाओं की पैकिंग के लिए एक नए दिशानिर्देश बनाए गए जिसके तहत इन पैकेटों पर एक सिक्योरिटी कोड डालना जरूरी कर दिया गया. इसके जरिए हर पैकेट की पहचान की जा सकती है और तुरंत इसे बनाने वाले तक पहुंचा जा सकता है. इस योजना को अभी कुछ फार्मेसियों के साथ मिल कर काम करना है. इनमें ऑनलाइन फार्मेसी भी शामिल हैं.

Gefälschte Medikamente Asien
तस्वीर: picture alliance/Thomas Muncke

हालांकि इन दिशानिर्देशों का संदिग्ध वेबसाइटों पर कोई असर होगा यह कहना मुश्किल है और सबसे ज्यादा पैसा वो ही कमा रही हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहा है कि ऑनलाइन बेची जा रही हर दूसरी दवा नकली है.

इन नकली दवाओँ का खतरा सबसे ज्यादा विकासशील देशों में हैं जहां दवाओँ के कारोबार पर नियम कानून का पहरा बहुत मामूली या है ही नहीं. जर्मनी की दवा उद्योग से जुड़े योआखिम ओडेनबाख कहते हैं, "जैसी कानूनी संरचना हमारे यहां है, दवाओं और फार्मेसी के लिए वहां वैसा कुछ भी नहीं है." खास तौर से कम पैसे वाले लोगों का जोखिम और ज्यादा है क्योंकि वे आधिकारिक फार्मेसी की बजाय इधर उधर से दवाएं लेते हैं.

घातक नकली दवाएं

मलेरिया, दिल की बीमारी, ब्लड प्रेशर यहां तक कि एचआईवी के इलाज के लिए भी अवैध रास्ते से दवा खरीदी जा सकती है. कई बार यह दवा असली न हो कर नकली होती है. इसके अलावा इन दवाओं को एक साथ बहुत असुरक्षित तरीके से रखा जाता है. नकली दवा बनाने वाले अपने लैब में बहुत कम ध्यान रखते हैं और लैब के नमूने बताते है कि कई बार इनमें चूहे की लेड़ी जैसी चीजें भी मिली होती हैं. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 1990 के मध्य में कोई 2500 लोग दिमागी बुखार की वैक्सीन लेने के तुरंत बाद मर गए थे.

रिपोर्टः हाइमो फिशर/एनआर

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी